जम्मू की मस्जिद से मौलाना ने नूपुर शर्मा और आशीष कोहली का सिर कलम करने की धमकी दी: जाने TOI, HT ने सच छिपाकर पाठकों को कैसे किया गुमराह

TOI, HT ने इस्लामवादियों का बचाव करते हुए पाठकों को किया गुमराह

मेन स्ट्रीम मीडिया संस्थान लंबे समय से इस्लामवादियों और चरमपंथियों के लिए नरम रुख अख्तियार करते रहे हैं। तथ्यों को छिपाने और पाठकों को अंधेरे में रखने की इनकी पुरानी आदत है, जिसके चलते पिछले कुछ सालों से इस्लामवादियों के हौसले बुलंद हुए हैं।

हाल ही में द टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) और हिंदुस्तान टाइम्स (HT) जैसे मुख्य धारा के प्रमुख मीडिया संस्थानों ने जम्मू की एक मस्जिद में एक मौलाना द्वारा दी गई धमकियों को अपने पाठकों तक नहीं पहुँचाने का फैसला किया।

इस्लाम के पैगंबर मुहम्मद पर टिप्पणी के मामले में बीते दिनों जम्मू-कश्मीर से एक बेहद खतरनाक मंसूबों वाला वीडियो सामने आया था, जिसमें भीड़ के सामने एक मुल्ला हिंदुओं के लिए अपशब्द कह रहा था और उनका गला काटने की बात कह रहा था। यह वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो गया था।

गला काटकर हत्या करने की धमकी देते हुए मौलाना वीडियो में कहता है, “भाइयों, वक्त हमें सर कलम करना भी सिखाता है। इसलिए बातों को जेहन में बिठा दो कि हम खामोश तब तक हैं, जब तक कि हमारा बर्दाश्त कायम है। बर्दाश्त के बाहर निकल गए तो फिर नूपुर शर्मा क्या, वो आशीष कोहली कुत्ता क्या, वो नूपुर शर्मा ‘गंदी’ क्या, उनके सर कहीं और धड़ कहीं और मिलेंगे।”

मौलाना ने हिंदुओं का मजाक उड़ाते हुए यह भी कहा था, “गाय का पेशाब पीने वालों का, गोबर के अंदर नहाने वालों की हैसियत ही क्या है दुनिया में? इनको जो रिस्क मिलता है हमारी दहशत से मिलता है। इनको जो हवा मिलती है हमारी बरकत से मिलती है। इनको जो दरिया से पानी मिलता है, हमारी बरकत से मिलता है। वरना इनका वजूद क्या है?”

मौलवी ने अपनी तकरीर में आशीष कोहली के सिर को धड़ से अलग करने की बात इसलिए कही, क्योंकि कोहली ने नूपुर शर्मा को अपना समर्थन था। उसके जहरीले भाषण के बाद भड़के सांप्रदायिक तनाव के बीच कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए क्षेत्र में कर्फ्यू लगा दिया गया।

हिंदुस्तान टाइम्स और टाइम्स ऑफ इंडिया ने तथ्यों को छिपाया

इसी बीच टाइम्स ऑफ इंडिया और हिंदुस्तान टाइम्स जैसे मीडिया संस्थानों को अपने पाठकों को अधूरी और भ्रामक जानकारी एक और मौका मिल गया। इस मौके को भुनाते हुए हिंदुस्तान टाइम्स (HT) ने अपना लेख, ‘कर्फ्यू लगाया, सेना को फ्लैग मार्च के लिए बुलाया गया’ इस शीर्षक के साथ प्रकाशित किया।

इस लेख में संस्थान ने मौलवी द्वारा हिंदुओं का मजाक उड़ाया गया, उन्हें अपशब्द कहे गए, जहरीला भाषण दिया गया आदि बातों को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया। हालाँकि, भड़काऊ भाषण का वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो गया है। इसके बावजूद संस्थान या कह लें संपादक ने अपने पाठकों तक इस सच को पहुँचना जरूरी नहीं समझा।

साभार: हिंदुस्तान टाइम्स

वीडियो में साफ दिख रहा है कि मुल्ले के चारों तरफ सैकड़ों लोग मौजूद हैं। वीडियो में सामने मस्जिद दिख रही है और अगल-बगल के मकानों की छतों पर भी लोग खड़े नजर आ रहे हैं। उसकी भड़काऊ तकरीर के बीच में भीड़ अल्लाह-हू-अकबर और या रसूल के नारे लगा रही है। इस दौरान नूपुर शर्मा और उनका समर्थन करने वाले आशीष कोहली लिए ‘सर तन से जुदा’ के नारे भी लगाए गए।

इसी तरह, टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) ने भी तथ्यों और सच्चाई से परे एक लेख प्रकाशित किया। टाइम्स ऑफ इंडिया ने ‘सांप्रदायिक तनाव के बाद जम्मू-कश्मीर में कर्फ्यू’ शीर्षक वाले अपने लेख में लिखा, “जम्मू की एक मस्जिद में एक मौलवी ने हिंदुओं का अपमान किया, उन्हें गाय का पेशाब पीने वाला बताया। बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा और पत्रकार आशीष कोहली को मौत की धमकी जारी कर सांप्रदायिक उन्माद को बढ़ावा दिया।”

साभार: टाइम्स ऑफ इंडिया

टाइम्स ऑफ इंडिया के लेख ने एक कदम आगे बढ़कर नूपुर शर्मा और आशीष कोहली के खून के प्यासे इस्लामवादियों का बचाव करते हुए कहा कि विवादित टिप्पणी के बाद समुदाय को उकसाया गया। हालाँकि, जम्मू में मस्जिद के बाहर क्या हुआ, इस पर विस्तार से नहीं बताया गया कि कहीं ऐसा न हो कि लोगों का ध्यान विवादित टिप्पणी से हटकर इस्लामवादियों के ‘सर तन से जुदा’ की धमकी देने और गौमूत्र के साथ हिंदुओं का अपमान करने पर चला जाए।

बता दें कि वीडियो में मौलाना ने यह भी कहा था, “नबी का कलमे पढ़ने वाला मुसलमान खुद मैदान में आए। ये भगवे भी हमारे दुश्मन, RSS भी हमारी दुश्मन तो मैं इसलिए अंजुमन इस्लामिया की तरफ से तमाम आवाम का शुक्रिया करता हूँ। मैं इनको (हिंदुओं) बताना चाहता हूँ कि सबसे कम दर्जे का मुसलमान इतना ईमान रखता है कि दुनिया के किसी भी ताकत गुस्ताख-ए-नबी का सर कलम कर सकता है।”

खुद को शांतिप्रिय बताते हुए मौलाना ने यह भी कहा था, “हम इंसाफ पसंद हैं। हमारा मजहब अमनपसंद मजहब है। प्रशासन को चाहिए कि जो अजान के खिलाफ बोले, उसका गला पकड़े। जो पर्दे के खिलाफ बोले उनका गला पकड़े। ये गला नहीं पकड़ सकते तो हम गला काटने के लिए तैयार हैं।”

Jinit Jain: Writer. Learner. Cricket Enthusiast.