‘मुस्लिमों के प्रति घृणा से आया है लव जिहाद, मुझे इस शब्द से गुस्सा आता है’: राजदीप ने हिन्दुओं के साथ सिखों को भी कहा भला-बुरा

पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने 'लव जिहाद' पर डाला पर्दा (फाइल फोटो)

मीडिया संस्थान ‘इंडिया टुडे’ ने ‘लव जिहाद’ और जम्मू-कश्मीर में सिख लड़कियों के अपहरण, जबरन धर्मांतरण और निकाह पर पर्दा डालने की कोशिश की है। हमेशा की तरह इस काम में इस गिरोह विशेष का नेतृत्व राजदीप सरदेसाई ही कर रहे हैं, जिन्होंने एक लेख के माध्यम से ज्ञान बाँचा है कि प्यार का अपराधीकरण नहीं किया जाना चाहिए। ये सलाह उन्हें ‘लव जिहादियों’ को देना चाहिए, लेकिन वो इसके खिलाफ आवाज़ उठाने वालों पर ही दोष मढ़ रहे हैं।

उन्होंने लिखा है कि ‘लव जिहाद’ शब्द से ही उन्हें क्रोध आता है। ये क्रोध ‘लव जिहाद’ करने वालों पर नहीं आता है, इतना तो साफ़ है। उनका कहना है कि मुस्लिमों के प्रति अत्यधिक घृणा से ये शब्द आया है। उनका कहना है कि इस्लामोफोबिया को सामान्य बताया जा रहा है। अपनी बात को साबित करने के लिए उन्होंने किसी ‘श्रीराम सेना’ और मंगलोर में किसी पब पर हमले की घटना का जिक्र किया है।

साथ ही उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी सीएम बनने से पहले ‘हिन्दू युवा वाहिनी’ नाम के ‘कानून हाथ में लेने वाले संगठन’ के नेतृत्व का आरोप लगाया। साथ ही आरोप मढ़ा कि ये संगठन इंटरफेथ शादियों को निशाना बनाता था। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कानून लाकर इंटरफेथ मैरिज को ‘लव जिहाद’ बता दिया है, जबकि सच्चाई ये है कि धोखे से शादी करने वालों और धर्मांतरण कराने वालों के खिलाफ ये कानून आया है।

बकौल राजदीप सरदेसाई, शादीशुदा जोड़े को ये साबित करने की जिम्मेदारी डाल दी गई है कि उन्होंने बिना किसी दबाव के शादी की है। देश भर में ‘लव जिहाद’ की रोज आती घटनाओं के बावजूद राजदीप सरदेसाई और ‘इंडिया टुडे’ इस तरह की सोच का बचाव कर रहा है। उनका कहना है कि धर्म, लिबर्टी और जीवन के अधिकार को छीना जा रहा है। उन्हें समझना चाहिए कि ये कानून ‘धर्मांतरण’ के खिलाफ नहीं, बल्कि इसे धोखे से ये जबरन कराए जाने के खिलाफ है।

उन्होंने 2022 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की बात करते हुए कहा कि उससे पहले ऐसे कई मामले सामने आएँगे, क्योंकि इन पर राजनीति होनी है। उन्होंने कश्मीर के मामले पर बात करते हुए कहा कि वहाँ दो सिख लड़कियों ने मुस्लिमों से शादी कर ली तो सिखों ने भी ‘लव जिहाद’ वाला राग अलापना शुरू कर दिया है। उन्होंने दावा किया कि उन लड़कियों के साथ कुछ हुआ ही नहीं है।

शायद राजदीप सरदेसाई पीड़िताओं के परिजनों से भी ज्यादा जानते हैं और जजों को पीड़िता के परिजनों को सुनने से पहले हर मामले में उनकी ही राय पहले जाननी चाहिए। वो कह रहे हैं कि शादीशुदा जोड़े पर सब कुछ साबित करने की जिम्मेदारी थोप दी गई है। लेकिन, संवेदनहीन होकर वो एक तरह से उन पीड़ित परिजनों की ही आलोचना करते हुए कह रहे हैं कि अगर कुछ गलत है तो पुलिस में जाओ, कोर्ट में जाओ और साबित करो।

यही तो हो रहा है न? एक व्यक्ति गिरफ्तार भी हुआ तो। फिर राजदीप सरदेसाई पूछते हैं कि गिरफ़्तारी क्यों हुई है? उनका कहना है कि पंजाब में चुनाव होने वाले हैं, इसीलिए ये सब हो रहा है। उन्होंने लड़कियों की राय जान कर फैक्ट-चेक करने को कहा। क्या किसी के चंगुल में फँसी पीड़िता उससे बाहर निकलने से पहले खुल कर अपनी राय दे पाएगी? फिर ऐसे मामलों का क्या, जहाँ पीड़िता नाबालिग है?

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उनका कहना है कि ‘लव जिहाद’ के कारण कुछ लोगों ने कानून अपने हाथ में ले लिया है। उन्होंने इसे महिला विरोधी तक करार दिया और कहा कि महिलाओं को अपने मन का करने का अधिकार है। राजदीप सरदेसाई को शायद पता ही नहीं है कि ‘लव जिहाद’ के FIR इन्हीं महिलाओं की शिकायत पर दर्ज किए जाते हैं। उन्होंने इस कानून को असंवैधानिक भी बताया। इसके लिए उन्होंने 1967 में एक कश्मीरी पंडित महिला द्वारा एक मुस्लिम से शादी और धर्मांतरण करने की खबर का जिक्र किया।

अब राजदीप सरदेसाई के पास ऐसा कोई उदाहरण तो होगा नहीं, जिसमें मुस्लिम महिला हो और हिन्दू पुरुष, इसीलिए वो ‘लव जिहाद’ को फेक बताने के अलावा और क्या कर सकते हैं। इसी तरह एक अन्य लेख में ‘इंडिया टुडे’ की ही प्रीती चौधरी ने लिखा है कि कश्मीर में सिख लड़कियों वाली घटना के दौरान हुए विरोध प्रदर्शन में कोई महिला नहीं थी, इसीलिए ये पितृसत्तात्त्मक है। साथ ही सिख समुदाय के पुरुषों को भला-बुरा कहा गया है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया