‘शास्त्रों में तो हिंदू शब्द नहीं है’: पत्रकार राहुल देव के प्रोपेगेंडा की स्वामी रामभद्राचार्य ने श्लोकों से निकाली हवा, कहा- जिनको पढ़ना नहीं उनके लिए करिया अक्षर भैंस बराबर

पत्रकार राहुल देव और स्वामी रामभद्राचार्य (फोटो साभार: TEDx/जी न्यूज)

एक बहुत पुराना लिबरल प्रोपेगेंडा है कि हिंदू शब्द का शास्त्रों में कहीं जिक्र नहीं है। बहुत बाद में आकर यह शब्द उपयोग किया जाने लगा है। लेकिन इस प्रोपेगेंडा को तुलसी पीठाधीश्वर जगदगुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने तार-तार कर दिया है। ‘वरिष्ठ पत्रकार’ राहुल देव को जवाब देते हुए उन्होंने शास्त्रों में हिंदू शब्द के जिक्र के कई प्रमाण देते हुए कहा कि जिनको नहीं पढ़ना है उनके लिए करिया अक्षर भैंस बराबर है।

स्वामी रामभद्राचार्य ने यह टिप्पणी समाचार चैनल टीवी 9 भारतवर्ष के ‘5 एडिटर्स’ नामक कार्यक्रम के दौरान की। राहुल देव ने उनसे पूछा कि क्या आप हिंदू राष्ट्र से भी सहमत हैं? क्या हिंदू राष्ट्र बनना चाहिए? जवाब में स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा, “हिंदुस्थान है तो हिंदू राष्ट्र बनना चाहिए।” आगे वे कहते हैं मैं हिंदुस्तान नहीं बोल रहा हूँ पत्रकार महोदय, जानकर मैं हिंदुस्थान बोल रहा हूँ। इसके बाद राहुल देव कहते हैं कि हमारे शास्त्रों में तो हिंदू शब्द नहीं है। इस पर स्वामी रामभद्राचार्य ने उनसे पूछा कि ये किसने कहा।

इसके बाद स्वामी रामभद्राचार्य ने एक मंत्र का पाठ करते हुए कहा कि कौथुमी संहिता में जहाँ सिन्धव: है, वहाँ हिन्दव: भी आया है। इसके बाद कुछ श्लोक सुनाकर उन्होंने बताया कि सुमेरू तंत्र में भी हिंदू शब्द आया है। इन श्लोकों की व्याख्या कर उन्होंने राहुल देव को समझाया कि शास्त्रों में हिंदू किसे कहा गया है। उनका निवास स्थान कहाँ से कहाँ तक है, इन सबके बारे में विस्तार से बताया गया है। आगे स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा, “हिंदू शब्द के लिए कम से कम सैकड़ों श्लोक सुमेरू तंत्र में ही दिए गए हैं। अब जिनको पढ़ना ही नहीं है उनके लिए हमारी अवधी भाषा में कहा गया है कि करिया अक्षर भैंस बराबर।”

आप नीचे के वीडियो में 3 मिनट 15 सेंकेंड के बाद स्वामी रामभद्राचार्य और राहुल देव के बीच के इस संवाद को सुन सकते हैं।

इस कार्यक्रम के दौरान स्वामी रामभद्राचार्य से हिंदुओं के पुण्य स्थल पर इस्लामी आक्रांताओं के कब्जे का ​जिक्र करते हुए भी सवाल किया गया। जवाब में तुलसी पीठाधीश्वर ने कहा कि पहले अयोध्या, काशी और मथुरा ये तीन जगह तो हिंदुओं को मिलना ही चाहिए। इसके बाद शेष के लिए आगे देखेंगे। इसके बाद उनसे पूछा गया कि क्या धर्मगुरु ये भरोसा दिलाएँगे कि ये तीन जगह वापस मिलने के बाद हिंदू अन्य जगहों पर अपना दावा नहीं करेंगे। जवाब में स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि पहले ये तीन मिल जाएँ, फिर हम आगे बताएँगे। जब उनसे 1991 के प्लेसेज आफ वर्शिप एक्ट का हवाला देकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि कानून परिवर्तित भी होते रहे हैं। जो शाश्वत तौर पर हिंदुओं का है, वह उनको मिलना चाहिए।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया