घरों में कैद रहती हैं अरब की औरतें, इसलिए मर्दों से ज्यादा दिखती हैं ‘थुलथुल’: द इकोनॉमिस्ट ने बताई मोटाई की वजह, लगी लताड़

द इकोनॉमिस्ट पर फूटा मुस्लिमों का गुस्सा

विदेश के जाने-माने समाचार पत्र ‘द इकोनॉमिस्ट’ ने हाल में अरब औरतों पर लिखे एक लेख में ‘मोटी’ शब्द का प्रयोग किया। इस लेख की शुरुआत जेनब नाम की महिला से हुई जिसका वजन 120 किलो है।

इस लेख का शीर्षक जहाँ दिया गया, “आखिर अरब जगत में औरतें जो हैं वो मर्दों से मोटी क्यों होती हैं।” वहीं इस लेख का निष्कर्ष यह दिखाया गया कि अरब में औरतें ज्यादातर घर में रहती हैं इसलिए वह मोटी होती हैं। इसके अनुसार औरतों को ज्यादा बाहर खेलने-कूदने का मौका नहीं मिलता जिससे वह मोटी हो जाती हैं जबकि जो मर्द हैं वो खेलते हैं, मजदूरी करते हैं, काम करते हैं और बाहर जाते रहते हैं।

जेनब का वर्णन करते हुए द इकोनॉमिस्ट ने बताया कि 60 साल की उम्र में ‘जेनब’ बगदाद के रेस्टोरेंट में काम करती है और उसका बॉस उसे वहाँ आखिरी में बचा तला-भुना खाना देता है। लेख के मुताबिक ऐसा खाना खा-खाकर जेनब 120 किलो की हो गई और उसकी बेटियों का वजन भी कुछ न करने के कारण आगे बढ़ता जाएगा।

द इकोनॉमिस्ट से नाराज हुए मुस्लिम

इस लेख और इसके शीर्षक को पढ़ने के बाद सोशल मीडिया यूजर्स गुस्से से आग बबूला हो गए हैं। कई यूजर्स ने इस लेख को घटिया बताते हुए इसे तथ्यों से परे बताया है।

वहीं अरब से जुड़े लोगों ने उनके पूछा है कि आखिर द इकोनॉमिस्ट को उनसे समस्या क्या है। क्यों एक के बाद एक घटिया लेख उनपे लिखे जाते हैं।

इस लेख में मोटी शब्द का प्रयोग देखने के बाद लोग उन स्टडीज का जिक्र कर रहे हैं जो बताती हैं कि इंग्लैंड और अमेरिका में मोटापे के चलते कितनी गंभीर बीमारियाँ हो रही हैं।

एक यूजर ने लिखा, “इस अखबार को अरब और इराक की महिलाओं से माफी माँगनी चाहिए। इन्होंने इस आर्टिकल से अरब महिलाओं की और उनके शरीर में होने वाले बदलावों की बेईज्जती की है जो बच्चे को जन्म देने के बाद होते हैं। ये बेहद शर्मनाक है।” यूजर ने कहा कि न केवल द इकोनॉमिस्ट को ये तस्वीर हटानी चाहिए बल्कि जिस महिला कलाकार की फोटो शेयर की है, उससे माफी भी माँगनी चाहिए।

इसी तरह भारत में दलितों के विरुद्ध झूठ फैलाने वाली इरेना अकबर भी इस लेख से आहत दिखीं। उन्होंने गुस्से में पूछा क्या ये घटिया अखबर ये भी बताएगा कि पश्चिम में औरतें, पुरुषों से मोटी क्यों हैं। उन्होंने इस अखबार को नारीविरोधी और इस्लामोबिक बताया।

बलसम मुस्तफा ने आर्टिकल में प्रयोग की गई महिला कलाकार की तस्वीर पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि जो महिला तस्वीर में दिख रही है वो बहुत छोटेपन से हर टैबू को तोड़ती आई है। उसे तो सम्मान दिया जाना चाहिए, न कि उसे या किसी और अरब महिला को बॉडी शेम।

इसी तरह अन्य यूजर्स भी द इकोनॉमिस्ट पर गुस्सा उतारते हुए दिखे। कुछ ने इल्जाम लगाया कि ये विदेशी अखबर अरब वालों से चिढ़ता है क्योंकि वहाँ की औरतों के पास ज्यादा अधिकार हैं। अगर वहाँ उन्हें कोई परेशान करता है तो सीधे जेल में होगा।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया