10 साल पहले जो अरब स्प्रिंग के लिए कहा, वही आज भारत के लिए दोहरा रहा ट्विटर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ट्विटर सीईओ जैक डोर्सी

किसान आंदोलन के मद्देनजर सोशल मीडिया पर लोगों को भड़काने वाले तमाम पाकिस्तानी अकाउंट लंबे समय से सुरक्षा एजेंसी के रडार पर थे। इनकी गतिविधियों पर गौर करते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिक मंत्रालय ने ट्विटर से ऐसे 1178 अकाउंट को ब्लॉक या रिमूव करने को कहा था, जिसे सोमवार को ट्विटर ने मानने से इनकार कर दिया। ट्विटर को इन अकाउंट्स की सूची 4 फरवरी को दी गई थी।

आदेश न मानने के लिए ट्विटर ने सोमवार (8 फरवरी 2021) को बयान जारी किया। बयान में समझाने की कोशिश की कि उसने ऐसा क्यों किया। हालाँकि, इस बयान के एक वाक्य “the tweets must continue to flow” ने विवाद और बढ़ा दिया। ट्विटर के पूर्व कर्मचारियों ने इसे देखा और फौरन इसके तार 10 साल पहले हुए ‘अरब स्प्रिंग प्रोटेस्ट से जोड़ लिए गए। जहाँ ट्विटर ने यही शब्द इस्तेमाल किए थे, लेकिन बिलकुल अलग संदर्भ में।

ये ट्विटर का हालिया बयान है: 

ट्विटर का बयान

जैसा कि आपको बताया कि बिलकुल समान शब्द 10 वर्ष पहले ट्विटर द्वारा इस्तेमाल किया गया था। तब, ट्विटर ने अपने बयान में उद्देश्य समझाते हुए तमाम तरह की बातें कही थीं। उसी बयान में लोगों को एक-दूसरे से कनेक्ट करने की बात, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात के साथ लिखा था कि कुछ ट्वीट्स एक दमित देश में सकाराकात्मक बदलाव की सुविधा दे सकते हैं।

अरब स्प्रिंग के दौरा ट्विटर का ब्लॉग

विचार करने वाली बात यह है कि उस समय इसी शीर्षक के साथ अरब देशों के लिए ऐसी बात कही गई थी, जो दिखाता था कि प्लेटफॉर्म अरब देशों को रिप्रेस्ड समझता था और उस प्रोटेस्ट को नई क्रांति लाने वाला। लेकिन, आज वही वाक्य भारत के संदर्भ में क्यों इस्तेमाल किया गया। अगर ट्विटर इस किसान आंदोलन को उस अरब स्प्रिंग प्रोटेस्ट से जोड़ता है तो यह हमारे लिए चिंता की बात है।

अरब स्प्रिंग का मकसद केवल और केवल हिंसक व अंहिसक तरीके से सत्ता में बैठी सरकार को उखाड़ फेंकने का था। ट्यूनीशिया को छोड़ दिया जाए तो अन्य अरब देश जैसे सीरिया, लीबिया, यमन आज भी लगातार युद्ध की स्थिति में बने हुए हैं। वहीं मिस्र में  सेना का शासन लागू हो गया है। कुल मिलाकर वो अरब स्प्रिंग जिसे क्रांति की नई लहर समझी गई उसका हासिल सिर्फ़ हिंसा, मौतों के अलावा कुछ और नहीं था।

अब मुद्दा अरब स्प्रिंग नहीं है, बल्कि वो सोच है जो भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में संवैधानिक तरीके से बहुमत पाने वाली भाजपा सरकार को गिराने में लगी है। यहाँ अरब स्प्रिंग जैसे हालात नहीं है। वोट के आधार पर देखें तो हमारे देश के पीएम सबसे जायज ढंग से कुर्सी पर बैठाए गए हैं। इसलिए अगर भारत जैसे देश के सामानांतर ट्विटर उस अरब स्प्रिंग को रखता है तो ये विश्व से सबसे सराहे जाने वाले नेता को बदनाम करने से अधिक और कुछ नहीं है।

हालातों को देखकर ये भी कह सकते हैं कि ट्विटर भारत में विद्रोह की कामना लिए बैठा है। यही कारण है कि वह खालिस्तानी आतंकियों को शह दे रहा है। अपनी पिछली विस्तृत रिपोर्ट्स में हम बता चुके हैं कि कैसे नए कृषि कानूनों पर भ्रम फैला कर देश के लोगों को उकसाया जा रहा है और अब ट्विटर भी अपने एजेंडे को हवा देने के लिए शब्दों और वाक्यों से नीयत साफ कर रहा है।

डोनाल्ड ट्रंप के अकाउंट के साथ हुई हरकत के बाद ये सबको पता चल चुका है कि ट्विटर वास्तविकता में स्वतंत्र विचारों पर बिलकुल विश्वास नहीं करता। कई अवसर आए हैं जब उसने गैर वामपंथी विचार वाले अकाउंट्स को ये कहकर ब्लॉक किया कि वह नियमों का उल्लंघन कर रहे थे। मगर आज जब बात भारत की आई, जहाँ सुरक्षा एजेंसियों की सूचना पर अकाउंट हटाने की माँग की गई, तो वह पीछे हट गया। जबकि, ऐसी ही स्थिति में अमेरिका के तमाम अकाउंट्स पर कार्रवाई हुई थी। इसलिए, यह मानना सिर्फ मूर्खता है कि ट्विटर एक गैर-पक्षपातपूर्ण जगह है।

ऑपइंडिया ने अपने एक लेख में कलर रेवोल्यूशन जैसी रणनीति को लेकर आगाह किया था, जिसे भारत सरकार के विरुद्ध इस्तेमाल किया जा रहा है। ट्विटर का अरब स्प्रिंग से किसान आंदोलन को जोड़ना दिखाता है कि किस तरह वह भारत सरकार को भारत के लोगों और पूरे विश्व में दर्शाना चाहता है।