‘लिख कर दे सकती हूँ – कभी किसी पार्टी का राज्यसभा ऑफर स्वीकार नहीं करूँगी’: 6 साल बाद TMC की हुईं सागरिका घोष, पति कहते थे – मोदी काल में संसद का महत्व ही नहीं

सागरिका घोष को TMC ने बनाया राज्यसभा सांसद, पहले कहती थीं - नहीं लूँगी सीट (फोटो सभार: इंस्टाग्राम हैंडल)

पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) ने ‘पत्रकार’ सागरिका घोष को राज्यसभा सांसद बनाए जाने की घोषणा की है। सागरिका घोष जहाँ ‘टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI)’ में लिखती हैं, वहीं उनके पति राजदीप सरदेसाई ‘इंडिया टुडे’ में काम करते हैं। राज्यसभा नॉमिनेशन के बाद पति-पत्नी का दोहरा रवैया भी सामने आया है। जहाँ राजदीप सरदेसाई कहते थे कि राज्यसभा सीट बिकती है, सागरिका घोष का कहना था कि वो कभी ऐसा ऑफर स्वीकार नहीं करेंगी।

सागरिका घोष ने इंदिरा गाँधी पर एक किताब लिख रखी है। मार्च 2018 में उनकी इस अंग्रेजी किताब का हिन्दू अनुवाद ‘इंदिरा: भारत की सबसे शक्तिशाली प्रधानमंत्री’ Amazon पर लिस्ट हुई थी। उन्होंने जब इस बारे में ट्वीट किया तो अजय खंडेलवाल नामक एक शख्स ने तंज कसा कि सागरिका घोष को राज्यसभा टिकट नहीं दिया गया। इस पर जवाब देते हुए सागरिका ने लिखा, “हाहा! मैं कभी कोई RS टिकट, PS टिकट या CS टिकट किसी भी राजनीतिक पार्टी से स्वीकार नहीं करूँगी सर।”

साथ ही उन्होंने चुनौती देते हुए कहा था कि वो ये चीज लिख कर भी दे सकती हैं, या फिर उनके इस ट्वीट को सेव भी किया जा सकता है। अब इसके 6 साल बाद जब सागरिका घोष खुद को राज्यसभा सांसद बनाए जाने की TMC की घोषणा को रीट्वीट कर रही है, लोग उनसे पूछ रहे हैं कि क्या अब उनकी राय बदल गई है? सागरिका घोष ने एक बार लिखा था कि पत्रकार होना ज्यादा बड़ी बात है, सरकार में शामिल होने या राज्यसभा जाने से।

वहीं राजदीप सरदेसाई का एक अन्य वीडियो भी सामने आया है जिसमें वो कहते दिख रहे हैं कि एक जमाने में राज्यसभा की अहमियत हुआ करती थी, लेकिन अब नरेंद्र मोदी के काल में तो संसद की ही कोई अहमियत नहीं रह गई है। उन्होंने कहा था कि उन्हें ये समझ ही नहीं आता है कि लोग राज्यसभा जाना क्यों चाहते हैं। अगस्त 2010 में CNN-IBN में काम करने के दौरान राजदीप सरदेसाई ने ‘खुलासा’ चलाया था कि राज्यसभा के टिकट बिक रहे हैं।

सागरिका घोष के पति राजदीप सरदेसाई को ‘रसगुल्ला पत्रकारिता’ के लिए भी जाना जाता है, जिसका इनाम शायद उन्हें पत्नी की राज्यसभा सांसदी के रूप में मिला है। राजदीप ने एक प्रश्न के उत्तर में स्वीकार किया था कि अगर वे ममता बनर्जी से उनके राज्य में हो रही हिंसा पर कठिन प्रश्न पूछते तो उन्हें रसगुल्ले नहीं मिलते। पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा को लेकर राजदीप सरदेसाई ने सीएम ममता बनर्जी से कोई सवाल नहीं पूछा था, क्योंकि वो ‘चाय पर चर्चा’ के लिए गए थे और सवाल पूछने पर उन्हें रसगुल्ले नहीं मिलते।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया