OpIndia ने कन्हैया लाल का कटा सिर याद दिलाया तो Youtube ने डिलीट किया वीडियो: वे मजहबी आतंक पर पर्दा भी डालेंगे, आपकी आवाज भी कुचलेंगे

यूट्यूब ने हमारे इस वीडियो को डिलीट कर दिया है

भारत की मीडिया को हमेशा से इकोसिस्टम हाँकती रही है। ऑपइंडिया ने उसे चुनौती दी। उसकी चमड़ी छीलनी शुरू की। उसके रोम-रोम में भरा हिंदूफोबिया रिस-रिस कर पाठकों के सामने आने लगा। बौखलाए इकोसिस्टम ने ऑपइंडिया की छवि मलिन करने का प्रोपेगेंडा शुरू किया। इसके लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से लेकर वैश्विक संस्थाओं और चेहरों तक को हथियार बनाया गया। संस्थान के लिए काम करने वाले लोगों के निजी जीवन में ताँक-झाँक की गई। हमारे आर्थिक तंत्र पर हमला किया गया। अब उसी इकोसिस्टम के दबाव में यूट्यूब ने हमारा एक वीडियो डिलीट कर दिया है।

यह वीडियो भारत की मेनस्ट्रीम मीडिया के उस चरित्र को बेपर्दा कर रही थी, जिसके तहत वह इस्लामी बर्बरता पर पर्दे डालती है। मजहबी आतंकियों के लिए पाठकों/दर्शकों के मन में सहानुभूति पैदा करने की कोशिश करती है।

दरअसल दैनिक भास्कर ने एक लंबी-चौड़ी रिपोर्ट प्रकाशित कर पाठकों को यह बताने की कोशिश की थी कि उदयपुर में 28 जून 2022 को कन्हैया लाल का गला रेतने वाले मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद अब बदल गए हैं। रिपोर्ट में बताया गया था कि इस मामले में गिरफ्तार आरोपित अजमेर की जेल में बंद हैं। अपने किए पर पछता रहे हैं। रिहाई की दुआ माँग रहे हैं। उनसे मिलने उनके परिवार वाले भी नहीं आते हैं। वे जेल में महापुरुषों की जीवनी पढ़ रहे हैं। इनके अध्ययन से उनका जीवन बदल गया है। यह भी बताया गया था कि अजमेर दरगाह का खादिम गौहर चिश्ती जिसने नुपूर शर्मा का सिर कलम करने की धमकी दी थी, वह भी इसी जेल में बंद है और अब वह भी बदल गया है।

अपने वीडियो में हमने इस रिपोर्ट की मंशा को लेकर सवाल उठाए थे। पूछा था कि जो लोग हिंदुओं को काफिर मानते हैं, वे कैसे काफिरों की जीवनी पढ़कर बदल जाते होंगे? पूछा था कि ​जो कौम सर तन से जुदा के नारों, मजहब के नाम पर हिंसा का विरोध तक नहीं करती, जो किसी का गला काटने के बाद वीडियो बनाकर हिंदुओं को यह संदेश देते हैं कि तुम काफिर हो, कहीं भी रहो सुरक्षित नहीं हो, हम जब चाहें तुम्हारा गला काट जाएँगे, उन्हें अपने किए पर क्यों और कैसे पाश्चाताप होता होगा?

दैनिक भास्कर में प्रकाशित रिपोर्ट

अपने वीडियो में हमने बताया था कि भारत की मेनस्ट्रीम मीडिया के लिए यह नया भी नहीं है। कभी मजहब के नाम पर हिंदू देवी देवताओं को खंडित करने वालों को ‘मानसिक रोगी‘ बताकर बचाव किया जाता है तो कभी आतंकी को ‘हेडमास्टर का बेटा’ बताकर उसकी हिंदू घृणा पर पर्दा डाला जाता है। बताया था कि कैसे फिर इन्हीं रिपोर्टों का इस्तेमाल इन मजहबी आतंकियों के महिमामंडन, न्यायिक व्यवस्था से उनके लिए राहत पाने के लिए किया जाता है। हमने मजहबी आतंक पर मीडिया की इस लीपापोती को लेकर दर्शकों को सचेत करते हुए उनसे इसका विरोध करने का आह्वान किया था।

हमने यूट्यूब की आपत्तियों पर जवाब देने के अपने अधिकार का इस्तेमाल किया है

यूट्यूब का कहना है कि हमने उसके गाइडलाइन का उल्लंघन किया है। यह गाइडलाइन बताती है कि आप ऐसे फुटेज का इस्तेमाल नहीं कर सकते जो हिंसा के वक्त फिल्माया गया हो। हमने अपने वीडियो में कन्हैया लाल का गला काटने वाले मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद की कुछ सेकेंड के लिए जो तस्वीर लगाई है, वह घटना के समय का नहीं है। उस वीडियो का हिस्सा है जिसे मजहबी आतंकियों ने हिंसा के बाद शूट किया था। यह तस्वीर मीडिया में धड़ल्ले से इस्तेमाल भी होती रही है।

आप ही बताइए ​क्या ऐसा करके हमने पत्रकारिता के किसी नैतिक मूल्यों का उल्लंघन किया है? क्या मीडिया की नंगई को उजागर करना अपराध है? फिर भी यूट्यूब ने हमारे वीडियो को हटा दिया।

हम जानते हैं कि ऐसा इसलिए हुआ है, क्योंकि हम इकोसिस्टम को सरेआम नंगा कर देते हैं। क्योंकि हम हिंदुओं की आवाज बनते हैं। हम मजहबी आतंक के खिलाफ बोलते हैं। भले यूट्यूब ने हमारा वीडियो हटा दिया हो, भले इससे हमारे आर्थिक हितों को चोट पहुँचता हो, बावजूद इसके हम न तो इकोसिस्टम को चुनौती देना बंद करेंगे, न ही मजहबी आतंकी के खिलाफ बोलना। क्योंकि हम यहाँ आपके लिए और यह जानते हैं कि आप भी हमारे लिए ही यहाँ हैं। हम जानते हैं कि हर मुश्किल समय की तरह इस बार भी आप हमारा संबल बनेंगे। हमारे लिए खड़े होंगे।

Editorial Desk: Editorial team of OpIndia.com