Thursday, March 28, 2024
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जेल में फूट-फूट कर रोते हैं कन्हैया लाल का सिर कलम करने वाले हत्यारे, फिर ‘इमोशनल पक्ष’ लेकर आएगा मीडिया गिरोह? आतंकियों के ‘मानवीकरण’ का चलन

मीडिया द्वारा कट्टरपंथी अपराधियों और आतंकवादियों में 'मानवीकरण' दिखाने के लिए पछतावा, पारिवारिक गरीबी और अपराधियों जीवन के उतार-चढ़ाव को रचनात्मक ढंग से प्रस्तुत किया जाता है।

राजस्थान के उदयपुर में नूपुर शर्मा का समर्थन करने के कारण कन्हैया लाल की बेरहमी से सिर कलम कर हत्या करने वाले इस्लामवादी रियाज और गौस मोहम्मद राजस्थान की अजमेर स्थित जेल में बंद हैं। रियाज और गौस ने कन्हैया लाल की हत्या करते हुए वीडियो बनाने के बाद खुद को इस्लाम के ‘जिहादी योद्धा’ के रूप में प्रस्तुत किया था। हालाँकि, अब ये आरोपी जेल में फूट-फूट कर रोते हैं।

दैनिक भास्कर’ की एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के अनुसार, रियाज और गौस मोहम्मद समेत कन्हैया लाल हत्याकांड के सभी 9 आरोपितों को पढ़ने के लिए महान व्यक्तियों की जीवनी दी जा रही है। जेल में, बंद 7 आरोपितों से तो उनके परिवार वाले मिलने आए हैं लेकिन दो आरोपितों रियाज और गौस से मिलने कोई भी नहीं आया है। हालाँकि, रविवार और बुधवार को सभी कैदियों को अपने परिवार जनों से मिलने की अनुमति है। 

जेल अधीक्षक पारिस जांगिड़ ने का कहना है कि हत्या के आरोपितों को पढ़ने के लिए किताबें दी जा रहीं हैं। चूँकि रियाज अनपढ़ है, इसलिए दूसरा कैदी उसे किताबें पढ़ाते हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि कन्हैया लाल हत्याकांड के सभी 9 आरोपितों को एकान्त और अंधेरी कोठरी में रखा गया है। उन्हें प्रतिदिन केवल 1 घंटे के लिए कोठरी से बाहर आने की अनुमति है।

जेल अधीक्षक ने यह भी कहा है कि कन्हैया लाल की हत्या के 7 आरोपितों ने अपने किए पर दुःख और पश्चाताप जताया है। जबकि, रियाज और मोहम्मद की बॉडी लैंग्वेज में कोई परिवर्तन नहीं है और उन्हें अपने किए पर कोई पश्चाताप नहीं है। हालाँकि, बाकियों को भी पश्चाताप है या नहीं, या फिर ये राजस्थान पुलिस या मीडिया द्वारा उनका ‘इमोशनल पक्ष’ दिखाने की साजिश है – कुछ कहा नहीं जा सकता।

एनआईए द्वारा 96 घंटे से अधिक की पूछताछ के बाद 16 सितंबर, 2022 को रियाज और गौस मोहम्मद को अजमेर की हाई-सिक्योरिटी जेल में ट्रांसफर किया गया था। कथित तौर पर रियाज एनआईए की पूछताछ के दौरान रो रहा था। साथ ही, उसने एक बार अपनी बीवी से मिलने देने के लिए भी जिद की थी और एनआईए की टीम से पूछ रहा था कि उससे मिलने कोई भी क्यों नहीं आ रहा है।

मीडिया अपराधियों और आतंकवादियों का ‘मानवीकरण’ करने की कोशिश करता है

गौरतलब है कि मीडिया द्वारा कट्टरपंथी अपराधियों और आतंकवादियों में ‘मानवीकरण’ दिखाने के लिए पछतावा, पारिवारिक गरीबी और अपराधियों जीवन के उतार-चढ़ाव को रचनात्मक ढंग से प्रस्तुत किया जाता है। खासतौर से भारतीय मीडिया ने कई बार ऐसे कृत्य किए हैं। मीडिया ने आतंकवादी बुरहान वानी को हेडमास्टर का बेटा, हिजबुल कमांडर रियाज नाइक को ‘लोकप्रिय शिक्षक’, जाकिर मूसा को ‘स्पोर्ट्स बाइक का प्रेमी’ समेत अन्य प्रकार से उसकी ‘अच्छाइयाँ’ दिखाने का प्रयास किया है।

यहाँ तक ​​​​कि, मीडिया ने पुलवामा हमले में 40 जवानों की हत्या के लिए जिम्मेदार आदिल अहमद डार का भी ‘चरित्र चित्रण’ किया था। मीडिया ने आदिल अहमद को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में दिखाया गया था जोकि सेना के जवान द्वारा थप्पड़ मारे जाने के बाद कट्टरपंथी आतंकी बन गया था।

कन्हैया लाल की निर्मम हत्या

इस्लामवादी रियाज और गौस मोहम्मद ग्राहक बनकर कन्हैया लाल की दुकान पर आए थे। कन्हैया लाल दर्जी का काम करते थे। जब वह इन लोगों का नाप ले थे तब, इन लोगों ने वीडियो बनाते हुए कन्हैया लाल का सिर कलम कर दिया था। कन्हैया लाल के शरीर पर 30 से अधिक घाव थे। कन्हैया लाल की ‘गलती’ बस इतनी थी कि उनके फोन से बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के बयान के समर्थन में एक पोस्ट शेयर किया गया था।

कहैया लाल की बेरहमी से हत्या करने के बाद, रियाज और गौस ने अपने खून से सने हथियारों को लहराते हुए और इस जघन्य कृत्य के बारे में चिल्लाते हुए एक डरावना वीडियो बनाया था। इस वीडियो में उन्होंने इस्लामी नारे “गुस्ताख-ए-नबी की एक ही सजा, सर तन से जुदा” नारा लगाते हुए दावा किया था कि उन्होंने इस्लाम के लिए कन्हैया लाल को मार डाला है।

कन्हैया लाल की हत्या के बाद अजमेर दरगाह के कुछ संरक्षकों (चिश्तियों) ने उनकी हत्या करने का समर्थन करते हुए उसका स्वागत भी किया था। इस हत्याकांड में शामिल इस्लामिक आतंकियों के क्रूर कृत्य के बाद भी कई मीडिया संस्थानों ने इस मुद्दे को दबाने की कोशिश की। यहाँ तक ​​कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इस जघन्य अपराध को सिर्फ एक हत्या के रूप में दर्शाने की कोशिश की थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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