कश्मीर में भेजने के लिए अफगानिस्तान में आतंकियों को ट्रेनिंग दे रहा था पाकिस्तान, मार गिराए गए

कश्मीर भेजने के लिए अफगानिस्तान में आतंकियों को ट्रेनिंग दे रहा था पाक (प्रतीकात्मक तस्वीर)

पूरी दुनिया कोरोना जैसी महामारी से जूझ रही है। पाकिस्तान भी इससे अछूता नहीं। बावजूद भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देने की वह लगातार साजिशें रच रहा है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार कश्मीर में दहशतगर्दी फैलाने के लिए वह जैश के आतंकियों को अफगानिस्तान में ट्रेनिंग दे रहा था। साथ ही वह कोरोना संक्रमितों की घुसपैठ कराने की भी फिराक में है। इस बीच, किश्तवाड़ में दो आतंकी शुक्रवार को मुठभेड़ में मार गिराए गए।

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान में तालिबान के लड़ाके जैश ए मोहम्मद के आंतकियों को ट्रेनिंग दे रहे थे। इस बारे में भारतीय खुफिया एजेंसियों को जानकारी हाथ लगी है। जिसमें अफगानिस्तान के नांगरहार प्रांत के मुहम्मद डेरा इलाके में एक ट्रेनिंग कैंप का पता चला है। इस इलाके में अफगानी फोर्सेज़ और तालिबान के बीच सीधी गोलीबारी हुई थी। 13 और 14 अप्रैल की रात हुई मुठभेड़ में अफगानी सेना के 4 जवान मारे गए। कैंप की तलाशी के दौरान सुरक्षाकर्मियों ने देखा कि वहाँ तालिबान के केवल 5 लड़ाके ही ढेर थे। मारे गए अन्य 10 आतंकियों की पहचान जैश के सदस्य के तौर पर हुई है। इन आतंकियों को कश्मीर में गड़बड़ी फैलाने के मकसद से ट्रेनिंग दी जा रही थी। जैश के एक आतंकी को जिंदा पकड़ने में भी कामयाबी मिली है।

खुफिया सूत्रों के अनुसार मुफ्ती रऊफ असगर के बेटे वली अजहर ने भी अफगानिस्तान के इसी कैंप में ट्रेनिंग ली थी। इस कैंप का मुखिया हरकत उल मुजाहिदीन का आतंकी मुफ्ती असगर कश्मीरी बताया जाता है। इन कैंपों को चलाने में बड़ा रोल अब्दुल्ला नाम के एक आतंकी का है। अब्दुल्ला को कश्मीर में आतंकी घुसपैठ का स्पेशलिस्ट माना जाता है।

वहीं, दैनिक जागरण के अनुसार अब पाकिस्तान की सेना और उसकी खुफिया एजेंसी आइएसआइ कश्मीर में कोरोना आतंक फैलाने की साजिश रच रहे हैं। इसका खुलासा गुलाम कश्मीर में आतंकी बनने गए एक युवक द्वारा परिजनों को किए गए कॉल को इंटरसेप्ट करने से हुआ। यह जानकारी हाथ लगने के बाद एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सुरक्षा एजेंसियों ने घुसपैठरोधी तंत्र की समीक्षा कर उसे और चाक चौबंद कर दिया। सुरक्षाबलों को निर्देश दिया गया है कि वह सरहद पर पकड़े जाने या मारे जाने वाले घुसपैठियों के शवों को कब्जे में लेते हुए पूरा एहतियात बरतें।

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गौरतलब है कि अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में 25 मार्च को गुरुद्वारे पर आतंकी हमला हुआ था। इस्लामिक स्टेट ने इसकी जिम्मेदारी ली थी। हमले का मास्टरमाइंड इस्लामिक स्टेट खोरासन प्रोविंस (ISKP) का सरगना मौलवी अब्दुल्ला उर्फ़ असलम फ़ारूक़ी था। वह फिलहाल गिरफ्त में है। इस हमले को अंजाम देने वाला फिदायीन केरल का ही एक दुकानदार मोहम्मद साजिद था। वह चार साल पहले चौदह लोगों के साथ ISIS ज्वाइन करने निकला था। वह केरल के कासरगोड का रहने वाला था और 2015 में अफगानिस्तान जाकर इस्लामिक स्टेट का आतंकी बन गया था।

27 लोगों की जान लेने वाले इस हमले के बाद कुछ मीडिया रिपोर्ट में खुफिया सूत्रों के हवाले से बताया गया था कि ये आतंकी पहले भारतीयों को मारने के लिए काबुल स्थित इंडियन एंबेसी को निशाना बनाने आए थे। लेकिन वहाँ सुरक्षा के कड़े इंतजाम देखकर गुरुद्वारे को निशाना बनाया। रिपोर्टों के अनुसार सुरक्षा एजेंसियों ने इस तरह के हमले को लेकर आगाह कर रखा था। इसमें कहा गया था कि अफगानिस्तान से भारत को बाहर ​निकालने के मकसद से आतंकी साजिशें रची जा रही है। इन इनपुट के आधार पर एंबेसी की सुरक्षा के इंतजाम सख्त कर दिए गए थे। इसके कारण आतंकी अपने मूल उद्देश्य को अंजाम नहीं दे पाए।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया