केंद्र सरकार ने अब भारत में मौजूद सभी चीनी कपनियों को स्कैन करने का निर्णय लिया है। इसे ‘PLA स्कैन’ कहा जा रहा है। भारत में जितनी भी चीनी कम्पनियाँ कार्यरत हैं, या फिर जिन भी कंपनियों को चीन से फंडिंग मिलती है, वो सभी सरकार के रडार पर हैं। सरकार का मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था में चीन के दखल को रोकने और उस पर नजर रखने के लिए ये आवश्यक है।
इन सबके अलावा चीन की कंपनियों द्वारा भारत में किए गए निवेश पर भी सरकार नजर बनाई हुई है, क्योंकि इस बात का शक है कि चीन की सेना PLA भारत के खिलाफ जाते हुए यहाँ की अर्थव्यवस्था से खिलवाड़ कर सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन की इन कंपनियों की पहचान करते हुए इनकी सूची तैयार कर ली गई है। इनके खिलाफ सरकार क्या कार्रवाई करने वाली है, इस पर अभी फैसला किया जाना बाकी है।
भारत सरकार ने अब तक चीन की ऐसी 7 कंपनियों की पहचान की है, उनमें अलीबाबा, टेंसेंट, हुवावे, एक्सइंडिया स्टील्स लिमिटेड, जिंज़िंग कैथे इंटरनेशनल ग्रुप, चाइना इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्नोलॉजी ग्रुप कॉरपोरेशन और एसएआईसी मोटर कॉरपोरेशन लिमिटेड शामिल हैं। एक्सइंडिया स्टील्स लिमिटेड के बारे में बता दें कि ये भारत और चीन के बीच सबसे बड़ा ज्वाइंट वेंचर है। वहीं कैथे ने छत्तीसगढ़ स्थित एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में 1000 करोड़ रुपए का निवेश किया है।
वहीं एसएआईसी एसयूवी एमजी हेक्टर की पैरेंट कपंनी के रूप में काम करती है। ये गाड़ियाँ एमजी मोटर्स द्वारा बनाई जाती हैं। बता दें कि भारत ने चीन के 59 एप्स को बैन करने का फैसला लिया था, जिसके बाद चीनी कंपनियों और उनके साथ PLA के संबंधों की जाँच की जा रही है। इससे पहले अमेरिका ने भी चीन की कई कंपनियों की जाँच करने की बात कही थी। वहाँ Huawei जैसी कंपनियों की फंडिंग पर रोक भी लगा दी गई।
https://twitter.com/EconomicTimes/status/1284496743816589313?ref_src=twsrc%5Etfwबता दें कि संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के फ़ेडरल कम्युनिकेशंस कमीशन (FCC) ने चाइनीज कम्पनियाँ Huawei और ZTE को ऐसी कम्पनियों की श्रेणी में डाल दिया था, जिससे देश की सुरक्षा को ख़तरा है। FCC के अध्यक्ष अजीत पाई ने कहा था कि इस फ़ैसले के बाद Huawei और ZTE, ये दोनों ही टेलीकॉम कम्पनियाँ $8.3 बिलियन के यूनिवर्सल सर्विस फंड का इस्तेमाल नहीं कर पाएँगी।
भारत में काम कर रही चीनी कंपनियों पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चीनी सेना PLA से संबंध होने और उनके लिए जासूसी करने का शक है, जिसकी जाँच की जाएगी। अमेरिका की जाँच में सामने आ चुका है कि दुनिया के किसी भी कोने में काम करने वाली ये चीनी कम्पनियाँ चीन की ख़ुफ़िया एजेंसियों का सहयोग करती हैं और वो उन्हें सारी जानकारियाँ देने के लिए बाध्य हैं। इसीलिए इन पर नकेल कसी जाएगी।