BJP नेता के घर हमला करने वाले 3 आतंकी ढेर, हमले में जान गवाँने वाले पुलिसकर्मी का ईद के बाद सजना था सेहरा

भाजपा नेता अनवर खान (बाएँ) के घर आतंकी हमले में रमीज की हो गई थी मौत

जम्मू-कश्मीर के नौगाम के अरीबाग में भाजपा नेता अनवर खान के घर पर आतंकी हमला करने वाले 3 आतंकवादियों को आज (अप्रैल 2, 2021) मार गिराया गया। पुलिस को इनके पास से गायब हुए हथियार भी मिले। आईजीपी विजय कुमार ने बताया, “कल बीजेपी नेता के घर पर हुए हमले में शामिल आतंकवादियों को मार ​दिया गया है। पुलिस का हथियार भी बरामद हो गया।”

पुलिस अधिकारी ने बताया कि ये हमला लश्कर-ए-तैयबा और अलबद्र ने मिलकर किया था। हमले में शामिल तीन आतंकियों को मार दिया गया, जबकि 2 आतंकियों को जल्द पकड़ लिया जाएगा। बता दें कि 1 अप्रैल 2021 को भाजपा नेता के घर पर हुए आंतकी हमले में एक पुलिस के जवान रमीज राजा की मौत हो गई थी

https://twitter.com/ANI/status/1377891681597497346?ref_src=twsrc%5Etfw

अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए रमीज ने पिछले साल ही पुलिस ज्वाइन की थी। गुरुवार दोपहर जब उनका पार्थिव शरीर तिरंगे में लिपट के गाँव आया तो हर व्यक्ति फफक कर रो पड़ा। दो दिन पहले ही रमीज का निकाह तय हुआ था। ईद के बाद उसे अपनी दुल्हन लेकर आनी थी। घर में शादी की तैयारियाँ चल रही थीं।

दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर के अनुसार, रमीज की माँ नसीमा अपने बेटे के लिए रो रोकर कहती हैं, “जिन्होंने मेरे रमीज को शहीद किया है, उन्होंने हम सभी को जीते जी कत्ल कर दिया है। कहते हैं कि मेरे बेटे को मुजाहिदों ने मारा है, यह कौन से मुजाहिद हैं। मेरा बेटा भी तो मुजाहिद ही था, वह भी इसी कौम की खातिर, इसी कश्मीर के लिए पुलिस में भर्ती हुआ था। मेरा खाविंद (पति) भी पुलिस में ही था। मेरे बेटे को शहीद करने वाले कभी भी मुजाहिद नहीं हो सकते। मैं तो उसके लिए सेहरा सजा रही थी।”

रमीज के एक साथी ने बताया की वह बहुत मजाकिया था। वह किसी से नहीं डरता ता। जब भी सब उसे कहते कि थोड़े संजीदा हो जाओ तो वह कहता, “मैं खुशीपोरा का हूँ, खुश रहूँगा, हँसूगा-हँसाऊँगा। संजीदा नहीं रह सकता।”

रमीज के जनाजे में उमड़ी भीड़ (साभार: दैनिक जागरण)

उल्लेखनीय है कि कल भाजपा नेता के आवास पर हुए आतंकी हमले में रमीज गोली लगने से घायल हुए थे। बाद में अस्पताल ले जाते वक्त रास्ते में उनकी मौत हो गई। गुरुवार को ही उनका शव तिरंगे में लिपटकर उनके गाँव खुशी पोरा पहुँचा, जहाँ देखते ही देखते बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक हुजूम उमड़ गया। आसपास की दुकानें बंद हो गईं और सबकी मौजूदगी में उन्हें उनके पैतृक गाँव के कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया