राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने रेफरेंडम 2020 (सिख फॉर जस्टिस) मामले में 16 विदेशी खालिस्तानियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की है।
https://twitter.com/ANI/status/1336631740962488320?ref_src=twsrc%5Etfwएनआईए ने आज कहा कि इन सभी पर ‘रेफरंडम 2020’ के बैनर तले ‘खालिस्तान’ के लिए सोची समझी साजिश के तहत अभियान चलाने का आरोप है। सभी आरोपितों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता तथा गैर कानूनी गतिविधि निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, जाँच में पता चला है कि अलगाववादी संगठन सिख फॉर जस्टिस ने मानवाधिकारों की वकालत के नाम पर यह संगठन बनाया और अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन तथा आस्ट्रेलिया जैसे देशों में इसके कार्यालय बनाए गए है।
चार्जशीट में शामिल आरोपितों की पहचान गुरवपंत सिंह पन्नू, अवतार सिंह, गुरप्रीत सिंह बागी, हरप्रीत सिंह, परमजीत सिंह, सरबजीत सिंह बन्नूर, अमरदीप सिंह शुद्धवाल, जे एस धालीवाल, कुलवंत सिंह मोथाडा, दपिन्दरजीत सिंह, हरदीप सिंह निज्जर, कुलवंत सिंह, हरजाप सिंह, सरबजीत सिंह, जितेंदर सिंघ ग्रेवाल, एस हिम्मत सिंह के रूप में हुई है। यह सभी सिख फ़ॉर जस्टिस के सदस्य है, जिसे UAPA अधिनियम के तहत अनलॉफुल एक्टिविटी के रूप में घोषित किया गया है।
एनआईए और अन्य एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर, एसएफजे के मुख्य संरक्षक गुरवपंत सिंह पन्नू, हरदीप सिंह निज्जर और परमजीत सिंह को पहले ही UAPA अधिनियम के तहत आतंकवादी घोषित किया गया है।
जाँच के दौरान एनआईए को पंजाब के अमृतसर और जालंधर में आतंकी गुरवपंत सिंह पन्नू और आतंकी हरदीप सिंह निज्जर से संबंधित अचल संपत्तियों का पता चला था। जिसे एनआईए के अनुरोध पर गृह मंत्रालय ने गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम 1967 की धारा 51-ए के तहत कुर्की का आदेश दिया है। वहीं मामले में आगे की तफ्तीश जारी है।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय जाँच एजेंसी ने इससे पहले खालिस्तानी आतंकी धरमिंदर सिंह के खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की थी। रिपोर्ट के अनुसार उसने प्रतिबंधित आतंकी संगठन ‘खालिस्तानी लिबरेशन फ्रंट (KLF)’ की गतिविधियों को आगे बढ़ाया था और सीमा पार से आतंकी नेटवर्क को बढ़ावा देने में भी उसकी सहभागिता थी।
KLF नार्को-टेरर मामले में पंजाब स्थित मोगा के रहने वाले 32 वर्षीय खालिस्तानी आतंकी धरमिंदर सिंह के खिलाफ केस चल रहा है। वह पाकिस्तान में रहने वाले जज्बीर सिंह सामरा से हेरोइन लेकर स्थानीय तस्करों को मुहैया कराता था। इससे जो भी धन प्राप्त होता था, उसे पाकिस्तान भेजा जाता था। इसका इस्तेमाल भारत विरोधी आतंकी गतिविधियों में किया जाता था।
आज जब ‘किसान आंदोलन’ को हाइजैक कर खालिस्तानी अपने एजेंडे को बढ़ावा देने की कोशिश में लगे हुए हैं, इस बीच NIA की इस कार्रवाई से इस खतरे के फिर से सर उठाने को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है। इसी तरह से इस प्रदर्शन में प्रतिबंधित संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस (SFS)’ के उपद्रवी भी शामिल हैं।
ज्ञात हो कि खालिस्तानी समूह सिख फॉर जस्टिस (SFJ) ने किसानों के विरोध-प्रदर्शनों के लिए समर्थन की घोषणा की थी। YouTube और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर ऐसे विज्ञापन दिखाई देने लगे हैं, जिसमें लोगों से खालिस्तानी आंदोलन में शामिल होने का आग्रह किया जा रहा है।