PFI के आतंकी मोहम्मद गौस नियाजी को NIA ने दक्षिण अफ्रीका से दबोचा, RSS नेता रूद्रेश की हत्या का है आरोपित: 5 लाख रुपए का ईनाम था घोषित

RSS नेता रूद्रेश (बाएँ) और PFI आतंकी मोहम्मद गौस नियाजी (दाएँ) (साभार: आजतक)

प्रतिबंधित इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के आतंकी मोहम्मद गौस नियाजी को दक्षिण अफ्रीका में पकड़ा गया है। अब राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) उसे प्रत्यर्पित करके भारत लाया है। नियाजी पर कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के एक नेता की हत्या करने का आरोप है। उस पर NIA ने पाँच लाख रुपए का ईनाम भी घोषित कर रखा है।

मोहम्मद गौस नियाज़ी PFI का बड़ा चेहरा था। वह साल 2016 में बेंगलुरु में हुई RSS के 35 वर्षीय नेता रुद्रेश की हत्या में शामिल था। इस मामले में जाँच एजेंसियों ने उसे आरोपित बनाया है। हत्या करने के बाद वह फरार हो गया था और भारत से निकलकर अलग-अलग देशों में अपना ठिकाना बनाया हुआ था। इस मामले की जाँच NIA कर रही है।

गुजरात पुलिस की एंटी टेररिस्ट स्क्वॉयड (ATS) ने सबसे पहले मोहम्मद गौस को साउथ अफ्रीका में ट्रैक किया। इसके बाद उसने इसकी जानकारी सेंट्रल ऐजेंसी NIA को दी। इसके बाद NIA ने दक्षिण अफ्रीका में संपर्क किया, जिसके बाद वहाँ की एजेंसी ने उसे पकड़ लिया। अब उसे प्रत्यर्पण करके भारत लाया गया है और फिलहाल उसे मुंबई ले जाया गया है। 

बता दें कि साल 2016 में बेंगलुरु के शिवाजी नगर क्षेत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता रूद्रेश की हत्या कर दी गई थी। जिस समय रूद्रेश की हत्या की गई, उस समय वे बेंगलुरु में संघ के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेकर लौट रहे थे। उस दौरान पहले से ही घात लगाकर बैठे आतंकियों ने उन पर हमला कर दिया था। इस हमले में उनकी मौत हो गई थी।

संघ नेता की धारदार हथियार से काटकर हत्या के बाद स्वयंसेवक सड़कों पर उतर गए थे। घटना के बाद कर्नाटक भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा ने रूद्रेश के परिजनों से मुलाकात की थी। उन्होंने इस मामले की जाँच आखिर तक कराने का आश्वासन दिया था। इस हत्याकांड के 6 साल बाद NIA ने आतंकी गौस नियाजी को भारत लाने में कामयाबी हासिल की है।

इस हत्या कांड को लेकर साल 2019 में NIA ने कहा था कि रूद्रेश की हत्या का एक अन्य आरोपित असीम शरीफ ने लोगों को हिंदू संगठन में शामिल होने से रोकने के लिए हत्या की साजिश रची थी। उसने आरएसएस के दो और कार्यकर्ताओं को मारने योजना बनाई थी। इस हत्या में असीम शरीफ के अलावा मोहम्मद गौस नियाजी सहित पीएफआई के चार अन्य नेता भी शामिल थे।

असीम शरीफ पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का बंगलुरु अध्यक्ष था। इस मामले में असीम शरीप पर पहले ही हत्या में संलिप्तता को लेकर आरोप तय हो चुके हैं। शरीफ ने NIA की कार्रवाई को 2 जनवरी 2018 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हालाँकि, कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद उस पर अभियोजन का रास्ता साफ हो गया।

इतना ही नहीं, साल 2020 में बेंगलुरु के एक हिस्से में विवादास्पद फेसबुक पोस्ट पर की गई कथित टिप्पणी को लेकर हुई हिंसा के सिलसिले में बेंगलुरु पुलिस ने समीउद्दीन को हिरासत में लिया था। तब पुलिस अधिकारी ने कहा था कि जाँच के दौरान समीउद्दीन आरएसएस कार्यकर्ता रूद्रेश हत्या के मामले के एक आरोपित के संपर्क में पाया गया था। समीउद्दीन पिछले कुछ वर्षों से अल-हिंद आतंकवादी समूह के सदस्यों के साथ भी संपर्क बनाए हुए था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया