2047 तक भारत को इस्लामी मुल्क बनाने की साजिश में शामिल था इकबाल खान: सोशल मीडिया पर फैला रहा था हिन्दुओं के खिलाफ ज़हर, ‘भगवा आतंकवाद’ का भी नैरेटिव

पीएफआई का कट्टरपंथी आतंकी इकबाल खान (फोटो साभार : @khaniqbal129 का ट्विटर अकाउंट)

महाराष्ट्र एटीएस ने सितंबर 2022 में छापेमारी करते हुए प्रतिबंधित संगठन पीएफआई से जुड़े 20 आतंकियों को गिरफ्तार किया था। इनमें से 5 आतंकी मुंबई से गिरफ्तार हुए थे। एटीएस ने गत 2 फरवरी को इनमें से 5 आतंकियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की। एटीएस ने खुलासा करते हुए कहा है कि ये सभी आतंकी भारत को इस्लामिक मुल्क बनाने की साजिश के तहत काम कर रहे थे।

गिरफ्तार 5 आरोपितों की पहचान मजहर खान, सादिक शेख, मोहम्मद इकबाल खान, मोमिन मिस्त्री और आसिफ हुसैन खान के रूप में हुई। इन सभी पर गैरकानूनी गतिविधियों और देश के खिलाफ साजिश में शामिल होने का आरोप है। इन कट्टरपंथियों में से एक इकबाल खान का ट्विटर पर @khaniqbal129 नामक अकाउंट है। इस अकाउंट से वह हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की धमकी देने के अलावा प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के समर्थन में ट्वीट करता था।

महाराष्ट्र एटीएस द्वारा दायर चार्जशीट का स्क्रीनशॉट

इकबाल खान ने हिंदुओं के खिलाफ अपनी नफरत को दिखाते हुए ट्वीट किया था, “आरएसएस/बीजेपी भारत में ब्राह्मणवादी प्रभुत्व के लिए काम कर रहे हैं। यह लोकतंत्र के लिए खतरा है। भारत के हर आम नागरिक के लिए खतरा है। इसका विरोध किया जाएगा।”

एक अन्य ट्वीट में, उसने दावा करते हुए कहा कि हाशिए में पड़े समुदायों के साथ ‘हिरासत में हिंसा’ की जाती है। वहीं, सवर्णों (कथित तौर पर उच्च जाति के हिंदू) के लिए यह एक अपवाद है।

पीएफआई के चरमपंथी इकबाल ने हिंदुओं को ‘भगवा आतंकवादी’ बताते हुए लिखा, “इस खूनी खेल का गढ़ नागपुर (आरएसएस प्रशिक्षण केंद्र) है जहाँ हर दिन एक नया भगवा आतंकवादी पैदा होता है।”

उसने हिंदुओं के खिलाफ के खुले तौर पर हिंसा की धमकी देते हुए लिखा, “आज भारत के लोगों को यह कहने की जरूरत है कि जो मुल्लों को काटने आएँगे उन्हें भी काट दिया जाएगा। हमें ऐसा विश्वास पैदा करने की जरूरत है, नहीं तो अत्याचारियों का मनोबल बढ़ता ही जाएगा।”

इकबाल खान के ट्वीट्स का स्क्रीनशॉट

यही नहीं उसने हिंदुओं को डराते हुए लिखा है, “मुसलमानों का खून बहाकर भारत में राज करने की राजनीति चल रही है। अपना नंबर आने से पहले संभल जाना।”

मुस्लिमों को बदले के लिए उकसाता था इकबाल

इकबाल खान राम जन्मभूमि फैसले का बदला लेने के लिए मुस्लिम समुदाय को भड़काने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करता था। जुलाई 2022 में किए गए एक ट्वीट में, उसने राम मंदिर को लेकर किए गए ऐतिहासिक फैसले को ‘मुस्लिमों के खिलाफ किया गया अन्याय’ करार दिया था।

पीएफआई के कट्टरपंथी इकबाल ने हिंदुओं को अपराधी के रूप में दिखाने के लिए करौली में रामनवमी के दौरान हुई हिंसा को हिंदुओं द्वारा की गई हिंसा बता दिया था। जबकि सच्चाई यह है कि 2 अप्रैल 2022 को करौली के हटवारा बाजार क्षेत्र में हिंदुओं द्वारा आयोजित की गई बाइक रैली पर इस्लामवादियों ने पथराव किया था।

हिंदुओं द्वारा ‘नव संवत्सर’ मनाने के लिए जब मुस्लिम बाहुल्य इलाके से रैली निकाली गई तब इस्लामवादी हिंसक हो गए थे। इस दौरान एक दर्जन से अधिक दुकानों और तीन बाइकों में आग लगा दी गई थी। कथित तौर पर, भीड़ के हमले में पुलिसकर्मियों सहित 43 लोग घायल हुए थे।

जनता को भड़काता था इकबाल

इकबाल खान सोशल मीडिया पर लगातार एक्टिव रहता था। इस दौरान वह भाजपा द्वारा तथाकथित रूप से ‘लोकतंत्र की हत्या’ करने को लेकर लोगों के बीच आतंक पैदा करने और बड़े पैमाने में जनआक्रोश फैलाने के लिए सोशल मीडिया पर पोस्ट करता था। उसने एक ट्वीट में कहा था, “भारतीय संविधान ने सरकार की किसी भी जनविरोधी नीति पर आपत्ति जताने का अधिकार दिया है। लेकिन RSS/BJP इसे आम लोगों से छीनना चाहती है।” इस ट्वीट में हैशटैग लगाते हुए लिखा था, ‘पीएफआई झुकेगी नहीं।’

एक अन्य ट्वीट में उसने दावा करते हुए कहा, “यदि आप एक मुस्लिम हैं, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप पत्रकार हैं या राजनेता। किसी भी समय कोई भी झूठा मामला आपको निशाना बनाने के लिए काफी है। कहाँ है न्याय और कानून का राज?”

उसी दिन एक अन्य ट्वीट में उसने लिखा, “नफरत फैलाने वाले अब भी आज़ाद घूम रहे हैं। निर्दोष मुसलमानों को झूठे मुकदमों से निशाना बनाया जा रहा है।”

इस्लामवादियों को बचाने के लिए फैलाया झूठ

इकबाल खान ने अपने कट्टरपंथी सह-धर्मवादियों, अर्थात् मोहम्मद रियाज़ और मोहम्मद गौस को संघ परिवार और भाजपा के सदस्यों के रूप में बताते हुए बचाने की भी कोशिश की। उसने लिखा, “भारतीय मुस्लिमों ने लोकतांत्रिक तरीके से अपना विरोध व्यक्त किया। उदयपुर हत्याकांड को अंजाम देने वाले दो लोग संघ परिवार से जुड़े हुए हैं।”

पीएफआई के कट्टरपंथी इकबाल खान ने भारत में सरकार द्वारा संचालित कॉलेजों में ‘हिजाब’ की अनुमति देने का मुद्दा भी उठाया। “यह हिंदुत्व का चेहरा है कि मुस्लिमों के साथ फिर से भेदभाव किया जा रहा है। वे सिर्फ अपने मौलिक अधिकार की माँग कर रहे हैं।’

व्यक्तिगत स्वतंत्रता की बात करें तो भारत में इसकी बहुत अधिक रक्षा की जाती है। लेकिन कर्नाटक हिजाब विवाद का मुद्दा सिर्फ यूनिफॉर्म ड्रेस कोड का था। धर्मनिरपेक्ष संस्थानों में, स्कूल मैनेजमेंट को यह निर्धारित करने का अधिकार है कि उसके परिसर में कैसे कपड़े पहनने की अनुमति देनी चाहिए और कैसे नहीं। साथ ही धार्मिक कपड़ों को लेकर भी यही बात लागू होती है।

कर्नाटक हाई कोर्ट ने भी कहा था कि इस्लाम में हिजाब आवश्यक प्रथा नहीं है और सभी धर्मों की स्वतंत्रता के अधिकार पर एक उचित प्रतिबंध है। वास्तव में जो लड़कियाँ जो हिजाब पहनना चाहती हैं वह खुले तौर पर कहीं भी हिजाब पहन सकतीं हैं। सार्वजनिक स्थानों पर उनके हिजाब पहनने को लेकर कोई प्रतिबंध नहीं है। हिजाब पर प्रतिबंध सिर्फ शैक्षिक संस्थानों में ही है, जहाँ पर ड्रेस कोड लागू होता है। यह अन्य धर्मों के छात्रों पर भी पूरी तरह लागू होता है, यदि उनके धर्म में कोई चीज अनिवार्य रूप से आवश्यक नहीं है।

गौरतलब है कि जब लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल के पटेल ने द्वीपों को मालदीव की तरह पर्यटन स्थल के रूप में बढ़ावा देने के लिए प्रस्ताव पेश किए थे तब इस्लामवादियों ने उनका कड़ा विरोध किया था। इकबाल खान भी ऐसे लोगों में शामिल था जो लक्षद्वीप को इस्लामिक कट्टरवाद के जबड़े में धकेलना चाहते थे।

इकबाल ने हाथरस पीड़िता के ‘बलात्कार’ (हालाँकि फोरेंसिक और मेडिकल रिपोर्ट दोनों ने यौन उत्पीड़न के आरोपों को खारिज कर दिया था) के झूठे आरोपों को बार-बार उछालने की कोशिश की। साथ ही उसने सिद्दीक कप्पन को लेकर सहानुभूति भी दिखाई थी। बता दें सिद्दीक कप्पन 5 अक्टूबर 2022 को फर्जी आईडी के साथ हाथरस में प्रवेश करने की कोशिश कर रहा था, इसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया था।

सुप्रीम कोर्ट को दिए अपने हलफनामे में, उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा था कि सिद्दीक कप्पन पत्रकारिता की आड़ में उत्तर प्रदेश में जाति विभाजन और कानून व्यवस्था बिगाड़ने की कोशिश कर रहा था। यही नहीं, उत्तर प्रदेश सरकार ने 30 नवंबर 2011 को कप्पन द्वारा तेजस में लिखी गई एक स्टोरी की प्रति पेश की थी। इसमें कप्पन ने दावा किया था कि अल-कायदा आतंकवादी ओसामा बिन लादेन एक ‘शहीद’ था।

साथ ही उसके फोन के इंटरनल स्टोरेज में चार आपत्तिजनक वीडियो भी मिले थे। इसमें से एक वीडियो में ‘बोतल बम’ बनाने के तरीके के बारे में बताया गया था। वीडियो में दिखाया गया था कि एक काँच की बोतल में पेट्रोल भरकर उसे एक बेकार कपड़े से बंद करके और फिर कपड़े को जलाकर बम के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

एक अन्य वीडियो में दिखाया गया था कि कैसे मुस्लिम महिलाओं को कराटे और लाठी डंडे जैसी युद्ध तकनीकों में प्रशिक्षित किया जाता है। तीसरे वीडियो में एक मौलाना भड़काऊ भाषण देते हुए नजर आ रहा था।

चौथे वीडियो में मौलाना अहमद नदवी ऐसा भाषण देते दिख रहे थे जो दो समुदायों के बीच दरार पैदा करने और उन्हें उकसाने के लिए काफी था। अपने भाषण में, वह उसे सुनने वाले लोगों को आपत्तिजनक वीडियो क्लिप भी दिखा रहा था। साथ ही उन्हें हिंदुओं और भारत सरकार के खिलाफ लड़ने के लिए पीएफआई में शामिल होने के लिए भी उकसा रहा था।

इकबाल खान ने द वायर के सिद्धार्थ वरदराजन और MeToo के आरोपित विनोद दुआ के लिए भी अपने समर्थन का प्रदर्शन किया था। साथ ही उसका प्रेम मृत अर्बन नक्सल पादरी स्टैन स्वामी के लिए भी था। वह ट्विटर पर आरफा खानम शेरवानी, अभिसार शर्मा, राणा अय्यूब, एसडीपीआई, असदुद्दीन ओवैसी, राहुल गाँधी, कुणाल कामरा और प्रशांत भूषण को भी फॉलो करता था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया