‘9 अक्टूबर को योगी और अजय मिश्रा को घेरो, ड्रोन-ट्रैक्टर आतंक का इस्तेमाल करो’: खालिस्तानी आतंकी पन्नू ने लोगों को उकसाया

लखीमपुर खीरी हिंसा का फायदा उठाने की कोशिश कर रहा सिख फॉर जस्टिस (साभार: ट्विटर)

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा में 3 भाजपा कार्यकर्ताओं सहित 8 लोगों की मौत हो गई थी, लेकिन विपक्षी दलों और भारत विरोधी तत्वों के साथ-साथ आतंकी संगठनों ने भी इसमें भी अवसर तलाशना शुरू कर दिया है। वो इन घटनाओं का लाभ उठाने की कोशिशें कर रहे हैं। 4 अक्टूबर को खालिस्तानी आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस के मुखिया गुरपतवंत सिंह पन्नू ने एक वीडियो और एक पत्र जारी किया था। इसमें पन्नू ने सिखों को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के खिलाफ 9 अक्टूबर को ड्रोन और ट्रैक्टर का इस्तेमाल करने के लिए उकसाया था।

https://twitter.com/AKhalistan/status/1445274444751015940?ref_src=twsrc%5Etfw

अपने बयान में पन्नू ने कहा, “आज यूपी के लखीमपुर में चार किसानों की हत्या कर दी गई। किसानों के विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद से सैकड़ों मौतें हो चुकी हैं। अब खालिस्तान ही एकमात्र रास्ता है। किसान हल खालिस्तान।” वीडियो में उसने आगे कहा, “योगी आदित्यनाथ और अजय मिश्रा की गाड़ियों का इस्तेमाल हमारे भाइयों को मारने के लिए किया गया था, अब 9 अक्टूबर को इन दोनों की घेराबंदी करें। ड्रोन और ट्रैक्टर का इस्तेमाल करें। योगी और अजय मिश्रा को घेरो। हथियार मत उठाओ। कानूनी आतंक का प्रयोग करो। उन्हें घर में ही नजरबंद कर दो। केवल खालिस्तान ही आपकी समस्याओं का समाधान कर सकता है। अगर सैकड़ों मौतें आजादी के लिए होतीं तो हम अब तक आजादी पा चुके होते।”

लखीमपुर खीरी की घटना का फायदा अपने कथित हितों के लिए करने की कोशिश कर रहे खालिस्तानी संगठन एसएफजे के प्रमुख पन्नू ने एक पत्र जारी कर घटना में मारे गए हर किसान के परिवार को 7,500 डॉलर देने का ऐलान किया है। इसके साथ ही उसने यह भी उल्लेख किया कि 9 अक्टूबर ही वह दिन है, जब सुखा और जिंदा को जनरल एएस वैद्य की हत्या के मामले में दोषी पाए जाने के बाद फाँसी दी गई थी।

सिख फॉर जस्टिस और किसान आंदोलन

उल्लेखनीय है कि देश में जब से किसानों का विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ है, तभी से आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस भारत में हिंसा भड़काने के फिराक में है। भारत सरकार द्वारा आतंकी घोषित किया जा चुका एसएफजे प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू ने गणतंत्र दिवस पर लाल किले पर खालिस्तानी झंडा फहराने वालों के लिए नकद पुरस्कार की घोषणा की थी। 26 जनवरी को ठीक ऐसा ही हुआ था और ‘किसानों’ का विरोध करने वाले एक समूह ने लाल किले में घुसकर दो अनजाने झंडे फहराए थे।

लखीमपुर खीरी में क्या हुआ था

3 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा में तीन भाजपा कार्यकर्ताओं सहित आठ लोगों की जान चली गई थी। वहाँ विरोध कर रहे किसान अचानक से हिंसक हो गए। उन्होंने भाजपा के काफिले पर पथराव कर दिया। सोशल मीडिया पर बीजेपी नेता अजय मिश्रा के बेटे द्वारा किसानों को कुचलने की खबरों की भरमार थी। हालाँकि, बाद में इस बात का पता चला कि घटना के समय अजय मिश्रा का बेटा आशीष मिश्रा वहाँ थे ही नहीं। सियासी लाभ उठाने के लिए कॉन्ग्रेस नेता प्रियंका गाँधी रविवार शाम दीपिंदर हुड्डा के साथ लखीमपुर के लिए रवाना हुईं, जहाँ उन्होंने हिरासत में लिए जाने के दौरान पुलिस अधिकारियों को धमकाया और उनके साथ दुर्व्यवहार किया।

रविवार और सोमवार को लखीमपुर की घटना को लेकर जब और भी वीडियो सामने आए तो हकीकत साफ हुई, जिनमें प्रदर्शनकारियों को काफिले पर हमला करते देखा गया। एक वीडियो में दिख रहा है कि किसान सफेट शर्ट पहने एक व्यक्ति को धमकाते हुए कह रहे हैं कि अजय मिश्रा ने उसे किसानों को मारने के लिए भेजा है। इसके तुरंत बाद उसकी मृत्यु हो गई। युवक की पहचान श्याम सुंदर निषाद के रूप में हुई है।

इस हिंसा में मरने वाले दो अन्य भाजपा कार्यकर्ता शुभम मिश्रा और हरिओम मिश्रा हैं, जो उस दिन स्थानीय कुश्ती मैच देखने गए थे। शुभम के पिता ने अपनी शिकायत में कहा कि शुभम की हत्या करने वाले प्रदर्शनकारियों ने उसकी सोने की चेन, मोबाइल और पर्स चोरी कर लिया। उन्होंने समाजवादी पार्टी के तजिंदर सिंह विर्क और किसान यूनियन के नेता को सबसे प्रमुख अपराधियों में से एक बताया। सरकार ने घटना में मारे गए सभी लोगों के परिजनों को 45 लाख मुआवजे और सरकारी नौकरी देने की घोषणा की है। इसके साथ ही लखीमपुर खीरी के आसपास के क्षेत्रों को खालिस्तान हॉटस्पॉट के रूप में चिह्नित किया गया है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया