साथ पढ़े, बलिदान भी साथ-साथ: कर्नल आशुतोष, मेजर अनुज सूद की दोस्ती के हर तरफ चर्चे

कर्नल आशुतोष और मेजर अनुज सूद(फाइल फोटो)

उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा में स्थित हंदवाड़ा में आतंकियों के साथ एनकाउंटर के दौरान 5 भारतीय जवान वीरगति को प्राप्त हो गए। आज पूरा देश शहीदों को नम आखों से नमन कर रहा है, लेकिन इनमें शामिल कर्नल आशुतोष और मेजर अनुज सूद की दोस्ती के चर्चे हर भारतीय की जुबान पर हैं, क्योंकि दोनों साथ पढ़े और साथ-साथ ही वीरगति को प्राप्त हो गए। इतना ही नहीं दोनों की जुगलबंदी इतनी गहरी थी कि घाटी में आतंकवादियों की रूह काँपती थी।

हम बात कर रहे हैं बीते दिन (3 मई, 2020) कुपवाड़ा के हंदवाड़ा में आतंकियों से हुई मुठभेड़ में वीरगति को प्राप्त हुए कर्नल आशुतोष और मेरज अनुज सूद के बीच गहरी दोस्ती की। जानकारी के मुताबिक 2011 में बटालियन की जम्मू-कश्मीर के लिए ट्रिप जानी थी। कर्नल आशुतोष जो उन दिनों मेजर थे और वे इसके इंचार्ज थे। उस समय से ही दोनों के बीच बेहतर जुगलबंदी थी। सौभाग्य से मेजर अनुज भी उसी बटालियन में कमीशंड हुए।

कर्नल आशुतोष शर्मा हमेशा अपनी यूनिट के जवानों का हौसला बढ़ाते रहते थे। उन्होंने पिछले महीने जवानों का हौसला बढ़ाते हुए कहा था कि यह यूनिट मेरा घर है और मेरे सभी साथी जवान घर के सदस्य हैं। दरअसल कर्नल ने ये बातें 3 अप्रैल को टीम अरपनी टीम से उस समय कहीं थीं कि जब हंदवाड़ा और सोपोर में अलग-अलग ऑपरेशन में चार आतंकी और उनके पाँच मददगार गिरफ्तार किए गए थे। इनके कब्जे से सेना ने भारी मात्रा में गोला बारूद बरामद हुआ था।

45 साल के कर्नल आशुतोष शर्मा की बहादुरी का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि एनकाउंटर स्पॉट पर वह आगे से आगे जाने को तैयार रहते थे। इसके लिए वह गाँव-गाँव दौरा करते थे, इस बीच अपने सैनिकों की सलामती को वह हमेशा प्राथमिकता देते थे।

वहीं 21 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग अधिकारी कर्नल आशुतोष शर्मा (45) को दो बार वीरता के लिए सेना मेडल से सम्मानित किया जा चुका है। एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने बताया, कुछ सैनिकों के मुताबिक, वह लगभग 30 आतंकियों को धूल चटा चुके थे। शनिवार को भी मुठभेड़ के दौरान कर्नल आशुतोष शर्मा के नेतृत्व में टीम ने आतंकियों द्वारा घर में बंधक बनाए गए लोगों को अपनी जान की परवाह किए बगैर सकुशल बाहर निकाला था।

बात करें मेजर अनुज सूद की तो उनकी चार महीने पहले ही हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा की रहने वाली आकृति के साथ शादी हुई थी। मेजर सूद की पत्नी पुणे में एक प्राइवेट कंपनी में कार्यरत हैं। मेजर अनुज के पिता ब्रिगेडियर सीके सूद अमरावती एन्क्लेव में रहते हैं। पिता रिटायर्ड ब्रिगेडियर चंद्रकांत सूद के मुताबिक उनके बेटे ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है।

“यह उसकी ड्यूटी और जो उसे प्रशिक्षण दिया गया था उसका हिस्सा था। मैं केवल उसकी पत्नी को लेकर दुखी हूं क्योंकि तीन-चार महीने पहले ही शादी हुई है,” उन्होंने कहा, “अनुज लोगों के जीवन की रक्षा के लिए ही बना था।”

आपको बता दें कि कल 3 मई को उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा में स्थित हंदवाड़ा में आतंकियों के साथ एनकाउंटर के दौरान एक मेजर और एक कर्नल समेत 5 भारतीय जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे। इन सभी वीर सपूतों ने एक इमारत में छिपे आतंकियों से लोहा लेने के लिए बाहर से हमला करने के बजाय अंदर जाकर कार्यवाई करना मुनासिब समझा था, ताकि नागरिकों की जान की क्षति न हो।

जवानों की शहादत को नमन करते हुए पीएम मोदी ने ट्विटर पर लिखा था कि हंदवाड़ा में शहीद हुए हमारे साहसी सैनिकों और सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि। उनकी वीरता और बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। उन्होंने राष्ट्र के लिए अत्यंत समर्पण के साथ काम किया और हमारे नागरिकों की रक्षा के लिए अथक परिश्रम किया। उनके परिवारों और दोस्तों के प्रति संवेदना।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया