त्रिशूल, वज्र, दंड… से जवाब देगी भारतीय सेना: UP की फर्म ने किए तैयार, गलवान संघर्ष के बाद बनाने को कहा था

अब वज्र-त्रिशूल-भद्र-दंड-सैपर पंच से मिलेगा जवाब देगी सेना (साभार: ANI)

गलवान घाटी में संघर्ष के दौरान चीनी सैनिकों ने तार वाली लाठी, टेसर वगैरह का इस्तेमाल किया था। इसके बाद भारतीय सेना ने उत्तर प्रदेश की एक कंपनी को गैर घातक हथियार बनाने को कहा था। नोएडा के स्टार्टअप फर्म एपेस्ट्रॉन प्राइवेट लिमिटेड ने यह जानकारी देते हुए ऐसे हथियार तैयार कर लेने की बात कही है। पारंपरिक भारतीय अस्त्रों से प्रेरित इन हथियारों का इस्तेमाल न केवल दुश्मन देश की सेना के खिलाफ संघर्ष में किया जा सकता है, बल्कि हिंसा, उपद्रव जैसी स्थिति पर काबू पाने में भी ये कारगर साबित हो सकते हैं।

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एपेस्ट्रॉन के मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी मोहित कुमार ने ANI को बताया, “जब चीनी ने हमारे सैनिकों के खिलाफ गलवान संघर्ष में तार की छड़ें और टेसर का इस्तेमाल किया था तब हमें भारतीय सुरक्षा बलों के लिए गैर-घातक उपकरण विकसित करने के लिए कहा गया था।” कुमार ने कहा, “हमने भारतीय सुरक्षा बलों के लिए अपने पारंपरिक हथियारों से प्रेरित ऐसे ही टेसर और गैर-घातक उपकरण विकसित किए हैं।”

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वज्र नाम से मेटल रोड टेजर

विभिन्न हथियारों का प्रदर्शन करते हुए कुमार ने कहा कि वज्र नाम से स्पाइक्स के साथ एक मेटल रोड टेसर विकसित किया गया है। इसका इस्तेमाल दुश्मन सैनिकों पर आक्रामक रूप से हमला करने के लिए हाथ से मुकाबला करने के साथ-साथ उनके बुलेट प्रूफ वाहनों को पंचर करने के लिए भी किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वज्र में स्पाइक्स भी होते हैं जो करंट को डिस्चार्ज करते हैं और दुश्मन के सैनिक को आमने-सामने की लड़ाई के दौरान अप्रभावी बना सकते हैं।

त्रिशूल का प्रदर्शन

कुमार ने त्रिशूल का भी प्रदर्शन किया। इसका उपयोग वाहनों को रोकने के साथ-साथ रिस्ट्रिक्टेड एरिया में घुसपैठ को रोकने के लिए किया जा सकता है। 

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सैपर पंच

सुरक्षा बलों को ‘सैपर पंच’ नामक एक और टेसिंग उपकरण प्रदान किया गया है, जिसे सर्दियों के सुरक्षा दस्ताने की तरह पहना जा सकता है। इसका इस्तेमाल हमलावर दुश्मन सैनिकों को झटका देने के लिए किया जा सकता है। यह वाटरप्रूफ या शून्य से 30 डिग्री कम तापमान में भी काम कर सकता है। ये करीब 8 घंटे तक बिजली से चार्ज रह सकता है।

दंड

दंड यानी बिजली से चलने वाला डंडा। ये 8 घंटे तक बिजली से चार्ज रह सकता है। ये वाटरप्रूफ भी है। इस बिजली वाले डंडे की मार जिस पर पड़ेगी वो फिर मुड़कर नहीं आएगा।

भद्र

भद्र एक ख़ास तरह की ढाल है, जो जवान को पत्थर के हमले से बचाती है। इसमें बहने वाला करंट दुश्मन को ज़ोर का झटका धीरे से देता है।

कुमार ने कहा कि इनमें से कोई भी हथियार मौत या किसी भी गंभीर चोट का कारण नहीं बन सकता है, लेकिन दुश्मन सैनिकों को शारीरिक संघर्ष के दौरान अस्थायी रूप से अप्रभावी बना सकता है। उन्होंने कहा कि ये हथियार किसी भी आम नागरिक को नहीं बेचे जाएँगे।

उल्लेखनीय है कि पिछले साल लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों ने लोहे की रॉड पर लिपटे कंटील तारों और टेजर्स के जरिए भारतीय सेना के जवानों पर हमला कर दिया था। जिसके बाद हुई झड़प में भारत के 20 जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे जबकि चीन के करीब 40 सैनिक मारे गए थे।