पाक ने ICJ में कुलभूषण जाधव को RAW एजेंट साबित करने को लिया ‘The Quint’ का सहारा

कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान ने मौत की सज़ा सुनाई थी

सोमवार (फरवरी 18, 2019) को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भारत द्वारा पाकिस्तान की बखिया उधेड़ने के बाद आज मंगलवार को पाकिस्तान ने अपना पक्ष रखा। कुलभूषण जाधव मामले में सुनवाई चार दिनों तक चलेगी, जिसका आज दूसरा दिन था। आपको जान कर आश्चर्य होगा कि पाकिस्तान ने जाधव को भारतीय एजेंसी RAW का जासूस साबित करने के लिए भारतीय मीडिया का सहारा लिया। भारत द्वारा दी गई दलीलों के जवाब में पाकिस्तान के वकील क़ुरैशी ने कहा कि जाधव रॉ के एजेंट थे।

पाकिस्तानी वकील ने पत्रकार करण थापर द्वारा लिखे लेखों से यह साबित करने की कोशिश की कि जाधव रॉ के जासूस थे। पाकिस्तान ने 2017 में थापर द्वारा इंडियन एक्सप्रेस में लिखे लेख का सहारा लिया। इस लेख में थापर ने भारतीय विदेश मंत्रालय को कटघरे में खड़ा करते हुए पूछा था कि जाधव को लेकर उनका स्टैंड क्या है? आपको बता दें कि करण थापर कपिल सिब्बल और पी चिदंबरम समर्थित समाचार चैनल हार्वेस्ट टीवी में नज़र आने वाले हैं।

https://twitter.com/barandbench/status/1097795860451057664?ref_src=twsrc%5Etfw

तत्पश्चात कुरैशी ने फ्रंटलाइन में प्रवीण स्वामी द्वारा लिखे गए लेख का जिक्र किया। यह लेख जनवरी 2018 में ‘India’s Secret War’ की हैडिंग के साथ लिखा गया था। इस लेख में स्वामी ने दावा किया था कि जाधव पाकिस्तान में भारत के गुप्तचर थे और भारत द्वारा इस से इनकार करना असंभव है।

https://twitter.com/barandbench/status/1097796539223691269?ref_src=twsrc%5Etfw

इन दोनों लेखों के अलावा पाकिस्तानी पक्ष ने चन्दन नंदी द्वारा ‘दी क्विंट’ में लिखे गए एक लेख का भी सहारा लिया। इस लेख में नंदी ने दावा किया था कि जाधव के पास दो पासपोर्ट थे- एक उनके असली नाम से, और एक हुसैन मुबारक पटेल के नाम से। अब यही सारे लेख अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में पाकिस्तान द्वारा सबूत के तौर पर पेश किए जा रहे हैं।

ज्ञात हो कि इस लेखों को पाकिस्तानी मीडिया द्वारा भी ख़ूब प्रचारित एवं प्रसारित किया गया था। आपको यह भी जानना चाहिए कि यह पहली बार नहीं है जब भारतीय मीडिया के लेखों का भारत के ख़िलाफ़ ही प्रयोग किया जा रहा हो। जब लंदन की अदालत में विजय माल्या को भारत में प्रत्यर्पण संबंधी सुनवाई चल रही थी, तब माल्या के वकील ने भारतीय मीडिया द्वारा सीबीआई के ख़िलाफ़ लिखे गए लेखों को दिखाया था, जिसे जज ने नकार दिया था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया