‘…तो एक से अधिक बीवियाँ हराम है’ – शीर्ष इस्लामी संस्थान प्रमुख

बहु-विवाह के ख़िलाफ़ बोले मिस्र के इमाम अल-तैयब

इस्लाम में केवल तीन तलाक ही ऐसी कुरीति नहीं है जिसके चलते मुस्लिम महिलाएँ डर-डर के अपना जीवन गुजारती हैं बल्कि बहु-विवाह भी एक ऐसा मसला है, जिसके कारण न जाने कितनी औरतों की जिंदगियाँ तबाह होती हैं।

पिछले कुछ सालों में तीन तलाक पर मुद्दा गर्माने के कारण हमारे सामने उसके पक्ष-विपक्ष उभर कर आए हैं। लेकिन बहु-विवाह पर बात खुलकर अब भी नहीं होती। हालाँकि देखा जाए तो यह दोनों समस्याएँ एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं।

ऐसे में मिस्र में शीर्ष इस्लामी संस्थान अल-अज़हर के प्रमुख और सुन्नी इस्लाम के सबसे बड़े इमाम शेख अहमद अल-तैयब ने इस मुद्दे पर बात करते हुए कहा कि बहुविवाह के लिए अक्सर कुरान का हवाला दिया जाता है लेकिन वास्तविकता में कुरान को सही तरीके से न समझने के कारण ऐसा होता है।

इमाम अल-तैयब द्वारा यह बात साप्ताहिक टीवी कार्यक्रम और ट्विटर के जरिए कही गई है। लेकिन जब उनकी बात पर विवाद बढ़ने लगा तो अल-अजहर ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि इमाम ने बहु-विवाह पर प्रतिबंध लगाने की बात नहीं कही है। इसके बाद इमाम अहमद अल-तैयब ने दोहराया भी कि एक स्त्री से विवाह का नियम था और बहु-विवाह अपवाद है।

बहुविवाह का समर्थन कर रहे लोगों को गलत ठहराते हुए इमाम शेख़ अल-तैयब ने कहा कि जो यह कहते हैं कि विवाह, बहु-विवाह ही होना चाहिए वो सब गलत हैं।

उन्होंने कुरान का हवाला देकर कहा कि जब किसी समुदाय विशेष के आदमी के लिए बहु-विवाह की बात कही जाती है तो उसमें निष्पक्षता की शर्तों का भी पालन होना चाहिए, और अगर ऐसा नहीं होता है, तो एक से अधिक बीवियाँ हराम हैं।

महिलाओं के पक्ष में बात करते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह से महिलाओं के मुद्दों को निपटाया जाता है, उसमें बड़े स्तर पर सुधार करने की आवश्यकता है। अपने ट्वीटर पर लिखते हुए उन्होंने कहा, “महिलाएँ समाज के आधे हिस्से की नुमाइंदगी करती हैं, यदि हम उनका ध्यान नहीं रखेंगे तो यह एक पाँव पर चलने जैसा होगा।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया