अंग्रेजी में एक कहावत है- “Light travels faster than sound. That’s why certain people appear bright until you hear them speak.” जिसका अर्थ है- प्रकाश की गति आवाज से ज्यादा तेज होती है, यही वजह है कि कुछ लोग तभी तक सही नजर आते हैं, जब तक वो अपनी जुबान नहीं खोल देते।
अनुराग कश्यप इस बात का जीवंत उदाहरण हैं कि सोशल मीडिया पर सुबह से शाम तक सरकार विरोधी ट्वीट करने और दूसरों को ‘अनपढ़-ट्रोल-संघी’ कहना मात्र किसी के ‘ज्ञानी’ होने का परिचय नहीं होता है। अनुराग कश्यप लगातार अपने ट्विटर अकाउंट से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से लेकर प्रधानमंत्री मोदी और हर CAA समर्थक को गाली देते हुए देखे जा रहे थे। लेकिन कल के दिन के लिए अनुराग कश्यप शायद हमेशा पछतावा करते नजर आएँगे। हालाँकि उनके जैसे गालीबाज से पछतावा और आत्मचिंतन की उम्मीद करना ज्यादती और इन शब्दों का अपमान ही हो सकता है।
दरअसल, अनुराग कश्यप ने ऑपइंडिया CEO राहुल रौशन के एक व्यंग्य को पूरा पढ़े बिना ही सच समझकर उन्हें अनपढ़ अंधभक्त जैसे विशेषण दे डाले। लेकिन इसके बदले मिले जवाबों से अनुराग कश्यप कुछ जवाब देते नहीं देखे गए।
ऑपइंडिया के सीईओ राहुल रौशन ने एक व्यंग्य ट्वीट करते हुए लिखा था- “गोपाल का कहना है कि वह पाँच साल पहले जामिया में पढ़ना चाहता था, और जब वह एडमिशन फॉर्म जमा करने के लिए गया तो उसे कुछ स्टूडेंट्स द्वारा आजादी के नारे लगाने के लिए उकसाया गया, जिसके लिए उसे जमीन पर नाक रगड़नी पड़ी। इसके बाद वह कट्टरपंथी बन गया। स्रोत- द स्क्विंट।”
https://twitter.com/rahulroushan/status/1222844638907682817?ref_src=twsrc%5Etfwराहुल रौशन ने यह ट्वीट लेफ्ट लिबरल गिरोह के पत्रकारों पर व्यंगात्मक शैली में किया था। अक्सर इस तरह की शैली देश के लेफ्ट लिबरल पत्रकारों द्वारा आतंकवादी और चरमपंथियों के पकड़े जाने पर इस्तेमाल की जाती है। लेकिन अनुराग कश्यप ने मानो तय कर लिया था कि उन्हें जलील होना ही है।
ऑपइंडिया सीईओ, जो कि अपनी व्यंगात्मक शैली के लिए ‘फेकिंग न्यूज़’ नामक हास्य व्यंग्य वेबसाइट में ‘पागल पत्रकार’ के नाम से जाने जाते थे, के इस ट्वीट को पढ़ते ही बिना समय व्यर्थ किए और बिना समझे ही अनुराग कश्यप ने उन्हें टैग करते हुए लिखा- “17 साल का गोपाल बारह साल की उमर (उम्र) में जामिया में अड्मिशन (एडमिशन) लेने गया था। ऐसे तो बेवक़ूफ़, गधे हैं जो भाजपा का माउथ्पीस (माउथपीस) हैं। खुद ही अपना झूठ बता देते हैं। और IQ भी दिखा देते हैं। बराबर match (मैच) है। (,) अनपढ़ गंवार सरकार और उनके बेवक़ूफ़ भक्तों का। @rahulroushan“
https://twitter.com/anuragkashyap72/status/1223281250032668673?ref_src=twsrc%5Etfwअनुराग कश्यप ने इस ट्वीट में व्यंग्य को ना समझते हुए अनपढ़ और बुद्धिमत्ता पर सवाल खड़े कर दिए लेकिन शायद उन्हें जल्दी ही समझ आ गया कि वो अपनी ही बात कर रहे थे।
राहुल रौशन ने अनुराग कश्यप को तुरंत जवाब देते हुए लिखा- “इसे सारकाज़्म कहते हैं चरसी। जैसे तुम्हारी जमात जिहादियों के लिए कहानी बनाती है न, वैसे ही ये भी है। ‘The Squint’ नाम की कोई वेबसाइट नहीं है। कम-अकल वालों के लिए वो हिंट था, पर तू तो बे-अकल निकला। तुझे दवा की ज़रूरत है। यहाँ पैसे भेज, दवा ख़रीद के भेजता हूँ।”
इसके साथ ही राहुल रौशन ने अनुराग कश्यप की हिंदी पर भी प्रकाश डालते हुए उन्हें ‘है’ और ‘हैं’ के बीच का अंतर भी बताया। उन्होंने लिखे- “‘है’ पे बिन्दी नहीं लगा पाया, वो लगा ले। माथे पे मत लगा लेना। और UPI से भी पैसे भेज सकता है। helprahul@icici”
इसके बाद राहुल रौशन ने अनुराग कश्यप को दवा लेकर स्वास्थ्य लाभ लेने की भी नसीहत दी। उन्होंने कहा कि अनुराग कश्यप पूरा पागल हो चुका है और हरकतें भी वैसी ही कर रहा है। इसके लिए राहुल रौशन ने अपनी पे-पाल लिंक देते हुए रुपए देने की बात कही ताकि वो अनुराग कश्यप के लिए दवाएँ भिजवा सकें।
https://twitter.com/rahulroushan/status/1223290844641316865?ref_src=twsrc%5Etfwअनुराग कश्यप की इस भूल पर ट्विटर यूज़र्स ने उनके खूब मजे लिए। एक नजर-
https://twitter.com/coolfunnytshirt/status/1223306090219069441?ref_src=twsrc%5Etfw https://twitter.com/theskindoctor13/status/1223295311109484544?ref_src=twsrc%5Etfw https://twitter.com/lokarlorajniti/status/1223303482054066176?ref_src=twsrc%5Etfwअनुराग कश्यप की इस हरकत पर कुछ लोगों ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए लिखा कि जब इसे एक सामान्य सा चुटकुला समझ नहीं आता है तो इसे नागरिकता कानून कैसे समझ आया होगा?
https://twitter.com/rahulroushan/status/1223292250739732482?ref_src=twsrc%5Etfwअनुराग कश्यप ऐसे लोगों का उदाहरण बन चुके हैं जिनका उद्देश्य सोशल मीडिया पर सिर्फ और सिर्फ सरकार विरोधी एजेंडा चलाते हुए लोगों को गाली देने तक सीमित है। स्पष्ट है कि जिस इंसान को दिन-रात सोशल मीडिया पर देखा जाता है, जब उसे एक व्यंग्य की समझ नहीं है तो वह लोगों को CAA और NRC जैसे विषयों पर कैसे ज्ञान दे सकता है?