‘ऐसा लगा ये तो मेरे साथ हो चुका है’ : द केरल स्टोरी देखने के बाद युवती को याद आए ‘कॉलेज के दिन’, बोलीं- मेरा भी ब्रेनवॉश हुआ था, इस्लाम की तरफ लगी थी झुकने

द केरल स्टोरी देखने के बाद लड़की ने बताया निजी अनुभव (तस्वीर साभार: O daily news)

द केरल स्टोरी को ‘प्रोपेगेंडा’ बताकर बैन करने की माँग कई राज्यों में वामपंथियों और कट्टरपंथियों द्वारा की जा रही है, लेकिन हकीकत यह है कि इस फिल्म के रिलीज के बाद ऐसी लड़कियाँ सामने आई हैं जो अपने साथ घटित पुरानी घटनाओं को इसके दृश्यों से जोड़ पा रही हैं और खुलकर बता रही हैं कि कैसे उन्हें भी कभी न कभी किसी ने एक मजहब की ओर आकर्षित करने का प्रयास किया।

एक वीडियो सामने आई है जिसमें माही त्यागी नाम की युवती केरल स्टोरी देखने के बाद ‘O news हिंदी’ के रिपोर्टर को बता रही हैं कि इस फिल्म में सच्चाई दिखाई गई है और हर लड़की को इसे देखना चाहिए। वीडियो में 3 मिनट 22 सेकेंड के स्लॉट के बाद देख सकते हैं कि माही कहती हैं कि ये फिल्म कहीं से भी कोई प्रोपेगेंडा नहीं है, जो राज्य की दिक्कत है, वो दिक्कत है, उसी को फिल्म में दिखाया गया है, ये प्रोपेगेंडा कैसे हो सकता है।

माही कहती हैं फिल्म में बस ये दिखाया गया है कि हम लोग अपने धर्म से वाकिफ नहीं हैं इसलिए कोई भी ब्रेनवॉश कर सकता है। आगे वह कहती हैं, “सच बताऊँ तो कॉलेज में मेरा भी बहुत ब्रेनवॉश हुआ और मैं इस्लाम के प्रति थोड़ा बहुत झुक भी गई थी। मुझे वो (सीन) देखकर लगा कि हाँ ये तो वही सीन है जो मेरे साथ भी हुआ है तो मुझे लगा कि सही है। आपको कल्चर के बारे में सिखाया जाना चाहिए कि आप कैसे अपनी धार्मिक जड़ों से जुड़े रहें। अगर आप धर्म नहीं सिखाएँगे तो फिर बच्चों को यह सब कोई और सिखा देगा।”

युवती जोर देकर कहती हैं कि इस तरह इन्फ्लुएंस करने का काम हर कॉलेज में हो रहा है। लोग अपने अपने मजहब के बारे में बताते हैं लेकिन जब आपको अपने धर्म का ही नहीं पता तो आप काउंटर कैसे करोगे। उन्होंने कहा कि फिल्म में जिस उम्र में लड़कियों का ब्रेनवॉश होते दिखाया गया है, उस उम्र में ऐसा करना बहुत आसान होता है। कॉलेज में बच्चों के पास धर्म की जानकारी नहीं होती। ऊपर से हॉस्टल लाइफ में उसे तमाम तरह की चीजें प्रभावित करती हैं। माता-पिता से दूर एक आजादी पाकर बच्चे अपने ग्रुप से प्रभावित होते हैं और फिर उनका ब्रेनवॉश आसान हो जाता हैय़

बता दें कि द केरल स्टोरी को देखने के बाद थिएटर से बाहर आते दर्शक यही प्रतिक्रिया देते दिख रहे हैं कि ये फिल्म हर लड़की और हर युवा द्वारा देखी जानी चाहिए, ताकि इसका जो मूल उद्देश्य है वो पूरा हो सके। फिल्म के माध्यम से यह दिखाना बिलकुल गलत नहीं है कि हिंदुओं को अपने धर्म का ज्ञान होना चाहिए। माही त्यागी कहती हैं कि वो दौर चला गया जब लव-शव वाली फिल्मों में लोगों का इंटरेस्ट होता था। आज वो समय बदल गया है। लोग हकीकत आधारित कहानियाँ देखना चाहते हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया