वामपंथी एक्टिविस्ट कविता कृष्णन के लीक्ड ईमेल सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। इनमें उनकी जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 से मिला विशेष दर्जा हटने के विरोध की रणनीति का ब्यौरा मौजूद है। स्क्रीनशॉट्स के रूप में लीक इन ईमेल में पुलिस थानों पर जाकर गिरफ़्तारी के ब्यौरे की माँग करने और अपने कार्य के लिए किस-किस गणमान्य व्यक्ति से बात हो सकती, इसके बारे में बात की गई है। यह ईमेल हाल ही में कश्मीर दौरे से लौटी उनकी ‘फैक्ट-फाइंडिंग टीम’ से जुड़ा लग रहा है।
‘कुछ लोग मैटेरियल लेकर आगे निकलो’
एक स्क्रीनशॉट में कविता कृष्णन ने तीन लोगों को निर्देश दिया कि पहले उनमें से कुछ बाकी की इकट्ठी की गई ‘सामग्री’ (फ़ोटो, वीडियो, दस्तावेज़ आदि) लेकर कश्मीर से निकल जाएँ, और फिर कोई एक-आधे लोग पुलिस के पास जाकर गिरफ़्तारियों के ब्यौरे की माँग करें।
फ़ौज से लेकर न्यायपालिका तक फैली जड़ें
चरम-वामपंथियों की जड़ें कितनी गहरी हैं, इन स्क्रीनशॉट्स में इसकी भी नज़ीर है। दूसरे स्क्रीनशॉट में कविता कृष्णन पूर्व-सैन्यकर्मी कपिल काक, जस्टिस शाह के बारे में बात करतीं, उनका नाम लेतीं नज़र आतीं हैं। इसका संदर्भ क्या है, यह पक्के तौर पर तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन अनुमान इस ट्वीट से लगाया जा सकता है:
https://twitter.com/kavita_krishnan/status/1162015353427283969?ref_src=twsrc%5Etfwट्वीट में वायुसेना के पूर्व उप-प्रमुख यह वामपंथी प्रोपेगंडा फैलाते नज़र आते हैं कि कैसे भारत ने कश्मीर की आशाओं पर खरा उतरने में असफलता पाई है, न कि कश्मीर ने भारत की।
न्यायपालिका में सेंधमारी की लगातार कोशिश
तीसरे स्क्रीनशॉट में फिर से किसी “जस्टिस शाह” का ज़िक्र होता है। राकेश शुक्ला नामक कृष्णन के सहयोगी बताते हैं कि जस्टिस शाह के अलावा और भी सेवानिवृत्त जजों को ‘अप्रोच’ किया जा सकता है। इसके अलावा अन्य क्षेत्रों, जैसे कला, कानून, लेखन आदि के भी गणमान्यों को भी अपनी तरफ़ करने के बारे में चर्चा होती है।
सोशल मीडिया पर कर रहा ट्रेंड
कविता कृष्णन के ईमेल्स के यह स्क्रीनशॉट सोशल मीडया पर वायरल हो गए हैं, जहाँ इनकी कड़ी आलोचना हो रही है।
https://twitter.com/iAnkurSingh/status/1162338580120784896?ref_src=twsrc%5Etfw