कोलकाता पोर्ट का नाम श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर होने से आहत मृणाल पांडे ने कहा- पोर्ट का मतलब बन्दर होता है

मृणाल पांडे (बाएँ), विशेष बन्दर (दाएँ)

कोलकाता बंदरगाह का नाम श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर रखे जाने के बाद देश के तथाकथित विचारक वर्ग को परेशान कर दिया है। इनमें एक प्रमुख नाम प्रसार भारती की पूर्व अध्यक्ष मृणाल पांडे का नाम भी शामिल है।

इसके लिए प्रसार भारती की भूतपूर्व अध्यक्ष और पत्रकार मृणाल पांडे ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी का नाम ‘बंदर’ से भी जोड़ दिया है।

सैक्रेड इंडियन नाम के ट्विटर हैंडल ने ट्वीट करते हुए श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बारे में लिखा है – “श्यामा प्रसाद मुखर्जी कौन थे? गद्दार, ब्रिटिश से सहानुभूति रखने वाले, जिन्ना की मुस्लिम लीग के सहयोगी।”


मृणाल पांडे ने इसी ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा है – “गुजराती में पोर्ट को बंदर कहते हैं।”

मृणाल पांडे के इस बेहूदा ट्वीट के जवाब में कुछ लोगों ने यह भी लिखा है कि अगर पोर्ट का मतलब बंदर होता है तो क्या इसी वजह से सबसे बड़े बंदरगाहों में से एक को जवाहरलाल नेहरू पोर्ट का नाम दिया गया है?

वास्तव में मृणाल पांडे का उद्देश्य यहाँ पर श्यामा प्रसाद मुखर्जी को बंदर कहना है। वहीं, मृणाल पांडे के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए अनुराग दीक्षित ने लिखा है –

“कहने को लेखिका, पत्रकार, भाषाविद, संपादिका और न जाने क्या लेकिन इतना नहीं पता कि बंदर शब्द अरबी है, गुजराती नहीं।”

https://twitter.com/bhootnath/status/1268183952822611968?ref_src=twsrc%5Etfw

हालाँकि, यह पहली बार नहीं है जब वामपंथी ट्रोल पत्रकार समूह ने ऐसा घिसा-पिटा कोई वाकया दोहरा कर अपनी घृणित मानसिकता का परिचय दिया हो। इससे पहले गालीबाज ट्रोल स्वाति चतुर्वेदी भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बन्दर कहकर सस्ती लोकप्रियता के लिए मेहनत करते हुए देखी जा चुकी हैं।

दरअसल, केंद्र सरकार ने आज ही कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट का नाम बदलकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ट्रस्ट करने की अनुमति दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई।

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावेड़कर ने इस बारे में जानकारी देते हुए प्रेस वार्ता के दौरान कहा – “कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट का नाम बदलने के निर्णय आज लिया गया है जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री जी ने 11 जनवरी को उनके बलिदान दिवस पर कोलकाता में की थी।”

ऐतिहासिक कोलकाता बंदरगाह को 150 वर्ष पूरे हो गए हैं। यह व्‍यापार, वाणिज्‍य और आर्थिक विकास के लिए देश का मुख्‍य द्वार रह चुका है।

यह बंदरगाह स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष, प्रथम और द्वितीय विश्‍व युद्ध और देश में विशेषकर पूर्वी भारत में हो रहे सामाजिक-आर्थिक बदलाव का गवाह भी रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी 11, 2020 को ही डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट का नाम रखने की घोषणा की थी। उन्होंने कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट की 150वीं वर्षगाँठ समारोह के अवसर पर यह घोषणा की थी।

राजनीतिज्ञ, वकील और शिक्षाविद् होने के साथ ही भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी को भाजपा अपना वैचारिक पथ प्रदर्शक मानती है। यही वजह है कि केंद्र सरकार के इस फैसले से देश के विचारक वर्ग को खासा समस्या आ रही है

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ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया