जाति पर खेलना चाहती थीं सबा नकवी, जुनैद-सोहैल का मजहब देख चुप हो गईं: लखीमपुर खीरी घटना पर प्रोपेगेंडा शुरू होने से पहले फेल, नेटीजन्स ने पूछा- ‘अब कहाँ गायब हो’

लखीमपुर खीरी में दो दलित नाबालिग बहनों की रेप के बाद हुई हत्या की घटना के बाद एक ओर आरोपितों के लिए सख्त से सख्त सजा की माँग की जा रही है। वहीं दूसरी ओर मीडिया गिरोह के लोग इस पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि ये चुप्पी आरोपितों का नाम सामने आने के बाद साधी गई है वरना गिरफ्तारी से पहले इस घटना को जाति का एंगल देने की कोशिश शुरू हो गई थी।

लखीमपुर खीरी की घटना के बाद आप सबा नकवी का यह ट्वीट देखिए। उन्होंने एनडीटीवी की खबर को शेयर करके ये ज्ञान दिया कि खबर में कम से कम ‘जाति’ का उल्लेख तो करना चाहिए था। उन्होंने लिखा, “रिपोर्ट में जाति का जिक्र नहीं है जबकि ये बेहद जरूरी है। 2 नाबालिग लड़कियाँ, बहनें यूपी के लखीमपुर में पेड़ से लटकी मिली हैं।”

नकवी का यह ट्वीट बुधवार को 11:38 पर किया गया था और गुरुवार को यूपी पुलिस ने इस केस में कार्रवाई करते हुए 6 आरोपितों को धर दबोचा। आरोपितों की पहचान जुनैद, सोहैल, आरिफ, हाफिज, छोटे और करीमुद्दीन के तौर पर हुई।

पुलिस ने बताया कि ये लोग दोनों बहनों को बहला कर खेत में ले गए और उसके बाद वहाँ इन्होंने पहले रेप किया और उसके बाद उनकी हत्या करके उन्हें पेड़ पर लटका दिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भी यही बात सामने आई है।

नकवी को नेटीजन्स ने लताड़ा

अब सोशल मीडिया यूजर्स ने नकवी के पोस्ट पर उन्हें बताना शुरू किया कि कल तक उन्हें रिपोर्ट में जाति का जिक्र चाहिए था। अब तो आरोपितों का मजहब भी पता चला गया, फिर आखिर वे क्यों चुप हैं।

अंशुल सक्सेना ने इस पोस्ट का स्क्रीनशॉट शेयर करके कहा, “दो नाबालिग लड़कियाँ लखीमपुर खीरी में पेड़ से लटकी मिलीं। कल पत्रकार सबा नकवी कह रही थी कि जाति लिखना जरूरी है। आज 6 लोग पकड़े गए हैं। लेकिन अब वह कुछ भी नहीं कह रहीं कि आरोपितों का जाति या मजहब लिखना चाहिए क्योंकि शायद ये उनके एजेंडे को सूट नहीं करता।”

रश्मि लिखती हैं, “कल तक तो सबा नकवी जैसे लोगों को आरोपितों की जाति भी पता करनी थी। आज रेपिस्टों का कोई धर्म नहीं होता।”

एक यूजर ने लिखा, “सबा नकवी हिंदू जाति को दोषी दिखाने के लिए एक जघन्य अपराध को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही थीं। लेकिन दुर्भाग्य से उनके आरोपितों का नाम छोटू, जुनैद, सोहैल, करीमुद्दीन और आरिफ जुनैद है।”

शशांक शेखर झा ने उन्हें कहा, “तुम्हारे तर्क के मुताबिक तो अब आरोपितों का जाति और मजहब बताओ।”

एक यूजर ने सबा से पूछा कि आप तो रेप क्राइम में जाति ढूँढ रही थीं लेकिन रिपोर्ट के बाद चुप क्यों हो गई हों, क्योंकि इसमें मजहब आ गया। वहीं कई यूजर्स ने सबा नकवी से पूछा कि जैसे उन्होंने जाति जानने के लिए उत्सुकता दिखाई। लेकिन मजहब जानकर वो कहाँ गायब हो गई हैं।

सबा नकवी की हिपोक्रेसी

गौरतलब है कि सबा नकवी के ट्वीट पर नेटीजन्स द्वारा आई प्रतिक्रिया के बीच ऐसा नहीं है कि उन्होंने घटना संबंधी कोई जानकारी साझा नहीं की। उनके अकॉउंट पर ऐसे रीट्वीट हैं जिसमें आरोपितों के नाम हैं, लेकिन इस रीट्वीट के साथ उनका कोई कमेंट तक नहीं है। यही हिपोक्रेसी देख लोगों में गुस्सा है और उनका पूछना है कि जब सबा रेप जैसे घृणित अपराध को जाति ढूँढ सकती हैं तो मजहब पर क्यों चुप हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया