NDTV जर्नलिस्ट ने रचा सहकर्मियों को हिन्दुओं द्वारा मारने का साहित्य, सहकर्मियों ने कहा- हमें कुछ नहीं हुआ है

सोशल मीडिया पर फर्जी खबर फैलाते दिखी NDTV पत्रकार

लेफ्ट लिबरल मीडिया गिरोह के सदस्य दंगों और हिंसक घटनाओं का इन्तजार सिर्फ इस कारण करते हैं ताकि वो लेखन प्रतियोगिता का हिस्सा बन कर पहला नंबर पाने की पूरजोर मेहनत करें। इसके लिए NDTV से लेकर स्क्रॉल, BBC आदि तथाकथित लिबरल्स की घातक टुकड़ियाँ किस तत्परता से अपने काम में जुट जाती हैं इसका ही एक और उदाहरण सामने आया है।

देश की राजधानी दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाकों में जारी हिंसा के बीच NDTV की जर्नलिस्ट निधि राजदान ने ट्वीट शेयर करते हुए लिखा कि उसके कुछ सहकर्मियों को दंगाइयों की एक भीड़ ने बुरी तरह से पीटा और तभी छोड़ा जब उन्होंने अपनी पहचान ‘हिन्दू’ के रूप में बताई।

निधि राजदान ने अपने ट्वीट में लिखा- “मेरे दो सहकर्मियों, अरविन्द गुणाशेखर और सौरभ शुक्ला को दिल्ली में एक भीड़ ने बुरी तरह से पीटा और सिर्फ तभी रुके जब महसूस हुआ कि ये ‘अपने हिन्दू लोग’ हैं। बिलकुल घिनौना!

NDTV पत्रकार ने दावा किया कि अरविन्द गुणाशेखर को भीड़ ने घेर लिया था और उसके मुँह पर हमला कर रहे थे। वो एक लाठी से उसके सर पर हमला करने ही जा रहे थे कि तब तक सौरभ शुक्ला ने बीच-बचाव किया। रिपोर्ट में यह भी दावा किया कि भीड़ की लाठी शेखर शुक्ला को लगी और उसकी पीठ, पेट में घूँसे मारे गए। साथ ही उसकी टाँगों पर भी हमला किया गया।

लेकिन संयोगवश NDTV जर्नलिस्ट के दावे के उलट जब ‘पीड़ित’ सहकर्मियों ने अपनी तस्वीर शेयर की तो उनके ना ही चेहरों, और ना ही शरीर के किसी हिस्से पर घाव देखा गया।

निधि राजदान के सहकर्मियों ने अपनी इस तस्वीर को ट्वीट करते हुए लिखा कि दिन खत्म हो गया है और वो तीनों सहकर्मी एकदम ठीक हैं। साथ ही उन्होंने दिल्ली को नसीहत देते हुए लिखा कि लोगों को समझाकर एकदूसरे के लिए दिल में जगह बनाइए।

सौरभ शुक्ला की यह ‘एकदम फिट’ तस्वीर देखने के बाद ट्विटर यूजर्स ने निधि राजदान से सवाल करते हुए पूछा कि उसने तो कहा था कि ये लोग अधमरे कर दिए गए थे। लेकिन इस पर NDTV की जर्नलिस्ट की ओर से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं आई।

https://twitter.com/surnell/status/1232383692057841667?ref_src=twsrc%5Etfw https://twitter.com/attomeybharti/status/1232535316629803010?ref_src=twsrc%5Etfw

ज्ञात हो कि दंगों को भड़काने के उद्देश्य से सोशल मीडिया पर फर्जी ख़बरें छापने वालों के खिलाफ सरकार की ओर से एडवाइजरी जारी की गई हैं। उन्माद की आशंका वाले सोशल मीडिया एकाउंट्स से लेकर व्हाट्सएप ग्रुप्स तक पर सरकार की निगरानी है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया