‘कबीर असली अल्लाह, रामपाल अंतिम पैगंबर और मुस्लिम असल इस्लाम से अनजान’: फॉलोवरों के अजीब दावों से पटा सोशल मीडिया

सोशल मीडिया पर अजीब दावों के बीच रामपाल जेल में उम्र कैद की सजा भुगत रहे हैं।

यहाँ लिखी गई तमाम बातें भ्रमित कर सकती हैं या उनका शायद ही कोई मतलब निकल कर आए। हमने लगभग एक हफ्ते तक रामपाल की वेबसाइट और उनके भक्तों के ट्वीट खंगाले हैं। अपनी दिमागी हालत बचा पाने से पहले तक हम लगभग इतना ही समझ पाए।  

अगर आपने हाल फ़िलहाल में ट्विटर पर ‘अल्लाह-हू-अक़बर’, ‘कुरान’ या ‘पैगंबर’ ट्रेंड करते हुए देखा और यह सोचा कि ऐसा क्यों? तो यहीं ठहरिए! इसका श्रेय जाता है रामपाल को जो चार महिलाओं की हत्या करने के अपराध में आजीवन कारावास का दंड भुगत रहे हैं। रामपाल के फॉलोवरों ने उसे इस्लाम का नया ‘पैगंबर’ घोषित कर दिया है और वह जेल में बैठ कर इस्लाम के इतिहास को नए सिरे से लिख रहा है। हत्या-राजद्रोह और सरकार के विरुद्ध युद्ध छेड़ने के आरोपित रामपाल के तमाम भक्तों का दावा है कि वह अंतिम पैगंबर हैं। 

रामपाल अंतिम पैगंबर है

रामपाल के भक्तों के अनुसार कबीर असली अल्लाह हैं और रामपाल अंतिम पैगंबर। पैगंबर मायने ऐसे दूत जिन्हें ऊपर वाला एक आदर्श मानव के उदाहरण के रूप में भेजता है। जिसमें पैगंबर मोहम्मद को इस्लाम का अंतिम पैगंबर माना जाता है, मुस्लिमों का मानना है कि अल्लाह ने खुद उन्हें कुरान की शिक्षा दी थी। रामपाल की वेबसाइट के मुताबिक़ मुस्लिमों ने सिर्फ उतनी कुरान शरीफ समझी है जितनी उन्हें काज़ी और मुल्लाओं ने सदियों तक समझाई है। 

रामपाल का कहना है कि मुस्लिम कुरान नहीं समझते हैं, इनके मुताबिक़ कबीर ही अल्लाह हैं। इसके बाद रामपाल ने तमाम आयतों का हवाला देते हुए साबित किया कि कबीर ही अल्लाह है बल्कि अल्लाह-हु-अकबर में अल्लाह ‘कबीर ही हैं। रामपाल के मुताबिक़ अल्लाह-हु-अकबर उर्फ़ अल्लाह कबीर 1400 साल पहले पैगंबर मोहम्मद से मिले थे।

रामपाल की वेबसाइट

क्योंकि पैगंबर मोहम्मद एक पवित्र इंसान थे इसलिए अल्लाह कबीर ने उन्हें सतलोक दिखाया (रामपाल के अनुसार)। अल्लाह कबीर इस दौरान मुग़ल साम्राज्य के संस्थापक तैमूर लंग से भी मिले और आशीर्वाद दिया जिसकी वजह से तैमूर लंग इतना बड़ा शासक बना। रामपाल यह भी कहता है कि सिकंदर लोधी के जल कर घायल होने पर अल्लाह कबीर ने उसे आशीर्वाद दिया था। इसके बाद लोधी अल्लाह कबीर का भक्त बना क्योंकि वह सिर्फ उन्हें भक्ति के लायक मानता था। 

रामपाल का यह भी मानना है कि अल्लाह कबीर ने 12वीं शताब्दी के पंजाबी मुस्लिम धर्मगुरु शेख फरीद को मुक्ति के मंत्र भी दिए। रामपाल के मुताबिक़ अल्लाह-हू-अकबर कबीर मक्का को उस जगह पर ले आए जहाँ पवित्र मुस्लिम महिला राबिया बसरी बैठी हुई थीं। इसके अलावा अल्लाह कबीर ने ही इस महिला को आज़ाद भी किया। रामपाल का कहना है कि कलयुग में जन्म लेने वाली राबिया असल में सतयुग की दीपिका थी। दीपिका गंगाधर नाम के संत की पत्नी थी जिसने कबीर देव नाम की पवित्र संतान का पालन पोषण करके पुण्य कमाया। इसकी वजह से वह कलयुग में मुस्लिम के रूप में पैदा हुई थी। 

कलयुग में राबिया ने अल्लाह कबीर की पूजा की, जब राबिया 55-60 साल की थी तब वह हज करने गई थी। इसके बाद रामपाल ने कहा कि पिछले जन्म में दीपिका के अवतार में मौजूद भलाई की वजह से जब उसने रेगिस्तान के पास एक प्यासे कुत्ते को देखा तब उसे पानी दिया। अपनी भलाई की वजह से वह मक्का की तरफ आगे बढ़ी और तभी एक आकाशवाणी हुई, आकाशवाणी में उसे बताया गया कि मक्का उसके लिए 60 किलोमीटर आगे आ गई है। रामपाल का ऐसा मानना है मुस्लिम चेहरों को लेकर जबकि इसके भक्तों का मानना है कि रामपाल रक्षक है।   

रामपाल के भक्त यहाँ तक दावा कर रहे हैं कि मुस्लिम असली अल्लाह को नहीं जानते हैं। यह एक पोस्ट है जिसमें रामपाल का भक्त कह रहा है कि मुस्लिमों को अल्लाह के बारे में कोई जानकारी नहीं है। 

मुस्लिम अल्लाह को नहीं जानते हैं (रामपाल के भक्तों के अनुसार)

इसके अलावा कई अन्य ट्विटर यूज़र्स ने मुस्लिमों और कुरान को लेकर इसी तरह के ट्वीट किए थे। इनके हिसाब से रामपाल अंतिम पैगंबर है जो पैगंबर मोहम्मद के बाद आए थे।

रामपाल अंतिम पैगंबर

रामपाल के भक्तों ने तो कट्टरपंथी इस्लामी जाकिर नाइक को चुनौती तक दे दी थी। इस मुद्दे पर कई कदम आगे बढ़ते हुए रामपाल के भक्तों ने दावा किया कि जाकिर नाइक रामपाल की जानकारी के सामने कुछ नहीं है। 

जाकिर नाइक को चुनौती देते रामपाल

वहीं रामपाल की तरफ से यह प्रचार जारी है कि कबीर ही अल्लाह हैं और वह आकार विहीन नहीं हैं। 

अल्लाह के आकार पर रामपाल

इस्लाम में ऐसी मान्यता है कि अल्लाह न तो आध्यात्मिक है और न ही वस्तुगत है और कोई भी दृष्टि उन्हें अपने दायरे में नहीं ला सकती है। क्योंकि इस्लाम के मुताबिक़ आकार और मूर्ति जैसा कुछ नहीं होता है इसलिए अल्लाह की न तो कोई मूर्ति है और न ही तस्वीर। इसलिए अल्लाह की तस्वीर या कार्टून बनाना ईशनिंदा कहा जाता है और कई इस्लामी मौलवी इसके लिए सज़ा की बात कहते हैं। रामपाल के भक्तों का कहना है कि अल्लाह ने जीव हत्या प्रतिबंधित की है इसलिए मुस्लिमों को शाकाहारी बन जाना चाहिए। 

मुस्लिमों से शाकाहारी बनने की अपील करते रामपाल

मज़े की बात है कि बकरीद के मौके पर मुस्लिम बकरे की कुर्बानी देते हैं। 

ईसाई धर्म पर रामपाल

रामपाल के अनुसार सिर्फ कबीर ही अल्लाह नहीं है बल्कि यीशु भी कबीर के ही अवतार हैं। रामपाल का इस मुद्दे पर कहना था, “वह यीशु नहीं थे जो मकबरे से बाहर आए बल्कि वह कबीर थे जो यीशु के अवतार में सामने आए और अपने भक्तों का भरोसा कायम रखा। अन्यथा सभी भक्तों का विश्वास उठ जाता और वह नास्तिक बन जाते।” यानी रामपाल के मुताबिक़ यह बात बाइबल में लिखी हुई है कि कबीर ही असली भगवान हैं। 

रामपाल ने कहा, “कबीर यीशु से मिले और उन्हें अपने साथ सतलोक लेकर गए। रास्ते से लेकर पितृ लोक पहुँचने तक कबीर ने यीशु को उनके पूर्वजों (डेविड, मोसेस, अब्राहम) के दर्शन कराए। इसके बाद कबीर उन्हें सतलोक लेकर गए लेकिन यीशु को कबीर पर भरोसा नहीं था। यीशु ने कबीर को पूरा भगवान नहीं माना लेकिन उन्होंने यह स्वीकार किया कि भगवान एक ही है। सतलोक से वापस आने पर कबीर ने यीशु को शिक्षा दी कि भगवान एक ही है और मोक्ष के बारे में भी बताया। क्रॉस पर लटकाए जाने के बाद कबीर ने ही याचना की कि भगवान अपने बच्चों के पापों को भूल जाए।” 

कबीर का परिचय

कबीर का जन्म 15वीं शताब्दी में हुआ था और आज वह सबसे ज़्यादा अपने दोहों और निर्गुण धारा की धार्मिक शिक्षा के लिए जाने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि उनका जन्म एक मुस्लिम बुनकर परिवार में हुआ था। कबीर की पुस्तक में यह बात स्पष्ट रूप से देखी और समझी जा सकती है कि कबीर हिंदुत्व और इस्लाम दोनों की रूढ़ियों के ही बड़े आलोचक थे। उनकी धार्मिक शिक्षाओं का ही नतीजा है कि दोनों धर्मों के लोग उन पर अपना अधिकार जताते हैं। ‘कबीर पंथ’ के अनुयायी उनकी शिक्षा को आगे बढ़ाते हैं।

कौन है रामपाल

1951 में पंजाब में जन्मे रामपाल सिंह जतिन या स्वघोषित धर्मगुरु फ़िलहाल हत्या के आरोपों के चलते हिसार की जेल में कैद हैं। धर्मगुरु बनने के पहले रामपाल हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग में बतौर जूनियर अभियंता कार्यरत थे और 1996 में उन्होंने अपनी नौकरी से इस्तीफा दिया था। इसके पहले उसने अपनी पहचान ‘जगतगुरु’ के रूप में स्थापित की थी। स्वामी रामदेवानंद से मुलाक़ात के बाद रामपाल ने हिन्दू धर्म त्याग कर खुद को कबीर का अनुयायी घोषित कर दिया। 

साल 2006 में रामपाल के भक्तों और पुलिसकर्मियों के बीच हिंसक झड़प हुई थी जिसमें 5 महिलाओं और 1 बच्चे की मृत्यु हुई थी और लगभग 200 लोग घायल हुए थे। इसके बाद नवंबर 2014 में उसे गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद रामपाल को राजद्रोह, हत्या, सरकार के विरुद्ध जंग छेड़ना और दंगे भड़काने का आरोपित पाया गया था। हरियाणा पुलिस की एसआईटी टीम ने रामपाल की गिरफ्तारी के बाद उसके सतलोक आश्रम में छापा मारा था जहाँ भारी मात्रा में हथियार बरामद किए गए थे। 

पेट्रोल बम, एसिड सीरिंज, ग्रेनेड के अलावा आश्रम से प्रेगनेंसी जाँचने वाली स्ट्रिप भी बरामद की गई थी। पुलिस को जाँच में यह भी पता चला था कि रामपाल के पास लगभग 300 प्रशिक्षित कमांडो तक उपलब्ध थे जिनका प्रशिक्षण संभावित तौर पर एनएसजी या एसपीजी के रिटायर्ड अधिकारियों ने की थी। रामपाल के नए दावे के अनुसार वह अल्लाह का उत्तराधिकारी है जो कि असल में अल्लाह है यानी इस्लाम और क्रिश्चियानिटी दोनों का ईश्वर।       

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया