पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर शोएब अख्तर को लेकर पिछले दिनों कुछ धारणाएँ निर्मित हुई थीं। उन्हें लेकर माना जा रहा था कि वह दोनों देशों के बीच शांति बहाल करवाने वाली आवाजों में से एक हैं। उन्होंने जब दानिश कनेरिया के साथ पाक टीम में हुए भेदभाव पर आवाज उठाई, तब भी भारतीय मीडिया ने उन्हें प्रमुखता से कवर किया। इसके बाद अभी हाल में वह उस समय चर्चा में आए, जब उन्होंने वेंटिलेटर के लिए भारत से अपील करते हुए इंसानियत को देश और मजहब से ऊपर बताया।
अब पूरे दुनिया में रावलपिंडी एक्सप्रेस नाम से मशहूर पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर की सच्चाई क्या है? ये एक बड़ा सवाल है। क्या वाकई वह वैसे ही हैं, जैसा कि उन्होंने अपने बयानों से खुद को दर्शाया या फिर वह केवल गुडबुक्स में रहने का प्रयास कर रहे हैं और उनकी हकीकत वो है, जो उनकी एक वायरल वीडियो में नजर आ रही है।
जी हाँ, सोशल मीडिया पर वायरल इस वीडियो की तारीख पुख्ता नहीं है लेकिन इसे यूट्यूब पर एक साल पहले अपलोड किया गया था और अब यह ट्विटर पर जम कर शेयर की जा रही है। इस वीडियो को देख कर वो सारे भ्रम दूर होते हैं, जो पिछले दिनों शोएब अख्तर के लिए निर्मित कर लिए गए थे। इस वीडियो में वह इस्लामी कट्टरपंथ के परिचायक बने नजर आ रहे हैं और गजवा ए हिंद का बखान कर रहे हैं।
“Ghazwa e Hind is mentioned in our sacred books. We will first capture Kashmir and then invade India from all sides for Ghazwa e Hind”
— Pakistan Untold (@pakistan_untold) December 18, 2020
– Shoaib Akhtar (descendant of a Hindu Gujjar)
After all cricket & art have no boundaries. After Ghazwa e Hind, India will have no boundaries! pic.twitter.com/sRlYml6xow
समा टीवी को दिए इंटरव्यू में शोएब कहते हैं, “ये हमारी पाक किताब में लिखा है कि गजवा ए हिंद आएगा। अटक की नदी दोबारा खून से लाल रंग की होगी। अफगानिस्तान की सेना अटक पहुँचेंगी। उसके बाद शमल मशरिक से सेनाएँ उठेंगी। अलग-अलग दल उज्बेकिस्तानन आदि से पहुँचेंगे… जो लाहौर तक फैले ऐतिहासिक क्षेत्र खोरासन को दर्शाता है। बाद में वह ताकतें कश्मीर को जीतेंगी और फिर बाद इंशाल्लाह काफिला बढ़ता (बाकी बचे भारत की ओर) रहेगा।”
बता दें कि शमाल मशरिक एक उर्दू शब्द है, जिसका इस्तेमाल अरब पेनिसुला से उत्तर में स्थित भौगोलिक क्षेत्र बताने के लिए किया जाता है।
गौरतलब है कि शोएब अख्तर द्वारा वीडियो में इस्तेमाल की गई भाषा उन्हीं आतंकियों द्वारा भी प्रयोग की जाती है, जो भारत पर हमला करते हैं। कई हमले गजवा-ए-हिंद के तहत अब तक भारत में किए जा चुके हैं। इसी नारे के तहत समुदाय के युवकों का ब्रेनवॉश होता है और फिर उन्हें आत्मघाती हमलावर बनाया जाता है।
कहते हैं कि इस नारे का मतलब समझाते हुए इस्लामी कट्टरपंथी युवकों को कयामत से पहले होने वाले एक युद्ध का पाठ पढ़ाया जाता है, जो हिंदू और मुस्लिमों में होगा और उसमें हिंदुओं के भारत पर मुस्लिम फतह हासिल करेंगे।
इस्लामी भविष्यवाणाी के मुताबिक सीरिया से यह लड़ाई शुरू होगी। काले झंडे के साथ फौज खुरासन से आएगी और भारत को एक इस्लामी मुल्क में तब्दील किया जाएगा। पाकिस्तान के बहुसंख्यक इसी गजवा ए हिंद के मकसद को पूरा करने के सपने देखते हैं। ऐसे ही मनसूबों के चलते है वह देश के अल्पसंख्यकों को काफिर मानते हैं और इस्लाम कबूल करवाना अपना मजहबी कर्तव्य मानते हैं।