कोरोना: मजहब की आड़ में जाहिलपना करते ‘धरती के सबसे बड़े मूर्खों’ के वीडियो

सोशल मीडिया पर कोरोना को लेकर गुमराह करने के लिए बनाए जा रहे कई मजहबी वीडियो

कोरोना वायरस को लेकर पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा की जा चुकी है। लोगों को घर में रहने को कहा गया है। केवल ज़रूरी सेवाएँ चालू रहेंगी। ऐसे में हर नागरिक का भी ये कर्तव्य बनता है कि वो सरकार के निर्देशों का पालन करे। दुनिया भर में कोरोना द्वारा मचाई गई तबाही, विशेषज्ञों और डॉक्टरों की सलाहों और भारत में उपजी परिस्थितियों को देखते हुए सरकार ने लॉकडाउन का निर्णय लिया। लेकिन, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी सनक दिखाने में लगे हैं। वो अपनी जाहिल मानसिकता बयाँ कर के कोरोना वायरस के प्रति लोगों के दिमाग में ग़लत बातें भर रहे हैं।

https://twitter.com/BiharKaLal/status/1241386524933009408?ref_src=twsrc%5Etfw

यहाँ हम आपके लिए कुछ ऐसे वीडियो लेकर आए हैं, जो कोरोना वायरस पर मजहबी उन्माद फैलाने वालों को बेनकाब करती हैं। इनमें से एक वीडियो में एक युवक अपने दोस्तों को कहता है कि आज मु###न हाथ मिलाने और गले मिलने से डर रहे हैं तो क्या कल कोरोना के कारण इस्लाम छोड़ देंगे? वहीं एक अन्य वीडियो में एक युवक कहता दिखता है कि दिन में 5 बार नमाज पढ़ने वालों को कोरोना नहीं हो सकता।

अब इन्हें कौन बताए कि कोरोना वायरस मजहब नहीं देखता। जिस ईरान में मजहबी इस्लामी तीर्थयात्रा पर गए थे, वहाँ स्थिति बिगड़ने के बाद उन्हें भारत सरकार वापस ला रही है। फिर भी ये लोग सोशल मीडिया के माध्यम से बकैती करने में लगे हुए हैं। यहाँ लोगों को पता होना चाहिए कि इस तरह के वीडियो आम लोगों पर गहरा प्रभाव डालते हैं। अतः ऐसी मूर्खतापूर्ण हरकत लोगों की जान जोखिम में डाल सकती है। आगे और भी है।

https://twitter.com/BiharKaLal/status/1241386823030538242?ref_src=twsrc%5Etfw

इस वीडियो थ्रेड में सपा नेता रमाकांत यादव का भी बयान है, जिन्होंने पीएम मोदी पर ही कोरोना वायरस बनाने का आरोप लगा दिया था। ध्रुव राठी का भी वीडियो है, जिसने कहा था कि ये वायरस चीन तक ही सिमित है और मीडिया तो सिर्फ़ एक प्रकार का हौव्वा बना रहा है। एक अन्य वीडियो में एक व्यक्ति कहता है कि वो नमाज पढ़ने तो जाएगा ही क्योंकि एक अच्छा काम करते समय अगर प्राण निकल भी जाएँ तो इससे अच्छी क्या बात होगी? एक दूसरे वीडियो में युवक कहता है कि मजहबी भाइयों का जूठा पीने या खाने से भला होता है। इसके बाद वो एक-दूसरे का जूठा पानी पीते हैं।

https://twitter.com/BiharKaLal/status/1241389410685509632?ref_src=twsrc%5Etfw

टिक-टॉक सहित अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इस तरह की अफवाहें फैलाई जा रही हैं। एक महिला तो यहाँ तक कहती है कि कोरोना क़ुरान से निकला वायरस है। एक अन्य वीडियो में एक ही मस्जिद में लोग पानी से हाथ-मुँह धोते नज़र आते हैं और बाद में मीडिया के सामने अपने इस क़दम का बचाव भी करते हैं। एक वीडियो में आप गैदरिंग न जुटाने की तमाम चेतावनियों के बावजूद लोगों को सड़क पर इकट्ठे होकर नमाज पढ़ते देख सकते हैं।

https://twitter.com/BiharKaLal/status/1241412516212858881?ref_src=twsrc%5Etfw

एक वीडियो में एक युवक दावा करता है कि कोरोना वायरस अल्लाह की तरफ़ से एनआरसी है और अल्लाह जिसे चाहेगा उसे दुनिया में रखेगा और जिसे चाहेगा उसे अपने पास बुला लेगा। एक मौलवी दावा करता है कि उसे अल्लाह-ताला ने बताया कि कबूतर खाने से कोरोना वायरस ख़त्म हो जाता है। एक महिला जो सीएए प्रदर्शनकारी भी है, ने दावा किया कि इसकी क्या गारंटी है कि बाहर निकलने से कोरोना नहीं होगा? इस तरह की सोच वाले लोगों के वीडियो देख कर आपको अंदाज़ा लग जाएगा कि ये किस कदर समाज को गुमराह कर रहे हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया