अब रामलला के गर्भगृह में पहुँचे पक्षीराज गरुड़, परिक्रमा करते Video वायरल: अरुण योगीराज ने बताया था- हर रोज दर्शन करने आते थे बंदर

अयोध्या में श्री राम लला (फोटो साभार : ShriRamTeerth)

अयोध्या में भगवान राम अपने जन्मस्थान पर विराजमान हो चुके हैं। देश-दुनिया से भारी संख्या में श्रद्धालु अयोध्या में अपने अराध्य के दर्शन कर रहे हैं, तो कुछ चमत्कारिक क्षण भी सामने आ रहे हैं। कुछ दिन पहले ही राम मंदिर के गर्भगृह में एक वानर के दर्शन करने की खबरें सामने आई थी, तो रामलला की भव्य मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार अरुण योगीराज ने भी ऐसी कहानी बताई थी। अब रामलला के दर्शन करने खुद पक्षीराज गरुड़ पहुँचे हैं। ऐसे में लोग इसे पक्षीराज गरुड़ की भगवान की भक्ति से तो जोड़ ही रहे हैं, साथ ही चमत्कार भी बता रहे हैं।

रामलला मंदिर के गर्भगृह में पक्षीराज गरुड़ के पहुँचने की घटना का लोगों ने वीडियो भी बनाया है, जो वायरल हो रहे हैं। ऐसा ही एक वीडियो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने शेयर किया है। उन्होंने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा है कि ‘गरुड़ देव प्रभु श्रीरामलला के गर्भगृह की परिक्रमा लगा रहे हैं।’

इस वीडियो पर लोग तरह-तरह के कमेंट कर रहे हैं। कुछ लोग इसे चमत्कार बता रहे हैं, तो कुछ लोग प्रभु की भक्ति। एक यूजर ने लिखा, “भगवान श्री राम के दर्शन करने के लिए पक्षी भी आए हैं।”

कमेंट का स्क्रीनशॉट

हर रोज दर्शन करने आता था बंदर, बदल गईं रामलला की आँखे

रामलला से जुड़े कई चमत्कारों की चर्चा होती रही है। रामलला की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार अरुण योगीराज ने भी दो दावे किए थे। पहले में उन्होंने कहा कि रामलला की आँखे ही बदल गई, तो उन्होंने रामलला की मूर्ति निर्माण के समय हर रोज एक बंदर के आने का भी जिक्र किया है।

अरुण योगीराज ने इंडिया टुडे से बात करते हुए कहा कि ये कार्य उन्होंने खुद नहीं किया भगवान ने उनसे करवाया है। वह कहते हैं कि जब वो रामलला की मूर्ति को गढ़ रहे थे तो रोज उस मूर्ति से बात करते थे। वह कहा करते थे, “प्रभु बाकी लोगों से पहले मुझे दर्शन दे दो।” योगीराज की मानें तो जब मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा हुई तो उन्हें लगा ही नहीं कि वो मूर्ति उनके द्वारा बनाई गई है। उसके हाव-भाव बदल चुके थे। इस बारे में उन्होंने लोगों से कहा भी कि उन्हें नहीं विश्वास हो रहा मूर्ति उनके द्वारा बनाई गई है। उन्होंने माना कि अगर वो कोशिश भी करें तो दोबारा इस तरह का विग्रह कभी नहीं बना सकते।

उन्होंने कहा, “जब मैंने मूर्ति बनाई तब वो अलग थी। गर्भगृह में जाने के बाद और प्राण-प्रतिष्ठा के बाद वो अलग हो गई। मैंने 10 दिन गर्भगृह में बिताए। एक दिन जब मैं बैठा था मुझे अंदर से लगा ये तो मेरा काम है ही नहीं। मैं उन्हें पहचान नहीं पाया। अंदर जाते ही उनकी आभा बदल गई। मैं उसे अब दोबारा नहीं बना सकता। जहाँ तक छोटे-छोटे विग्रह बनाने की बात है वो बाद में सोचूँगा।”

रामलला की मूर्ति को लेकर इंटरव्यू देते समय अरुण योगीराज नंगे पाँव बैठे दिखे। उन्होंने कहा कि राम को दुनिया को दिखाने से पहले खुद मानना था कि मूरत में राम हैं। वह बोले, “मैं दुनिया को दिखाने से पहले उनके दर्शन करना चाहता था। मैं उन्हें कहता था-दर्शन दे दीजिए प्रभु। तो, भगवान मेरी जानकारी जुटाने में खुद मदद कर रहे थे। कभी दीपावली के वक्त कोई जानकारी मिल गई। कुछ तस्वीरें मुझे वो मिल गईं जो 400 साल पुरानी थीं। हनुमान जी भी हमारे दरवाजे पर आते थे गेट खटखटाते थे, सब देखते थे, फिर चले जाते थे।” अपने अद्भुत अनुभवों को बताते हुए उन्होंने कहा, “मूर्ति बनाने के दौरान हर रोज एक बंदर शाम में 4 से 5 बजे के बीच उस जगह आता था, वो सब देखकर चला जाता था। ठंड में हम दरवाजे बंद करने लगे। जब उसने ऐसा देखा तो वो तेज की दरवाजा खोलता अंदर आता, देखता और चला जाता। शायद उनका भी देखने का मन होता होगा।”

वानर ने किया गर्भगृह में प्रवेश, दर्शन के बाद चुपचाप वापस लौटे

कुछ ऐसा ही दावा मंदिर ट्रस्ट की तरफ से 23 जनवरी को किया गया। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने एक्स/ट्विटर पर इसके बारे में जानकारी साझा करते हुए बताया गया कि 22 जनवरी 2024 को अयोध्या के भव्य राम मंदिर में भगवान रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा हुई। इसके अगले ही दिन लाखों लोग अपने अराध्य के दर्शन को उमड़ पड़े। इसी दौरान एक बंदर भी गर्भगृह में प्रवेश कर गया। वहाँ तैनात सुरक्षाकर्मियों का कहना है, “ये हमारे लिए ऐसा ही है, मानो स्वयं हनुमान जी रामलला के दर्शन करने आए हों।”

यह घटना 23 जनवरी को शाम के करीब 5 बजकर 50 मिनट की है। उस समय तक करीब 3 लाख भक्त रामलला का दर्शन कर चुके थे और करीब दो लाख भक्त बाहर कतार में थे। पहले दिन 5 लाख से अधिक भक्तों ने राम मंदिर में दर्शन किया। ट्रस्ट की ओर से किए गए पोस्ट में बताया गया है, “एक बंदर दक्षिणी द्वार से गूढ़ मंडप से होते हुए गर्भगृह में प्रवेश करके उत्सव मूर्ति के पास तक पहुंचा। बाहर तैनात सुरक्षाकर्मियों ने उसे देखा। वे बंदर की ओर यह सोच कर भागे कि कहीं वह उत्सव मूर्ति को जमीन पर न गिरा दे। परंतु जैसे ही पुलिसकर्मी बंदर की ओर दौड़े, वैसे ही बंदर शांतभाव से भागते हुए उत्तरी द्वार की ओर गया। द्वार बंद होने के कारण पूर्व दिशा की ओर बढ़ा और दर्शनार्थियों के बीच में से होता हुआ, बिना किसी को कष्ट पहुँचाए पूर्वी द्वार से बाहर निकल गया।”

कुछ समय पहले खबरें आई थी कि अयोध्या और आसपास के इलाकों से विलुप्त हो चुके गिद्ध भी अब लौट आए हैं। बता दें कि रामायण की कथा में गिद्धराज जटायू का अहम स्थान है, जिन्होंने माता सीता के अपहरण के समय अपने प्राणों की बलि देकर रावण को रोकने की कोशिश की थी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया