संपादक के नाम पत्र: छेनू तक मेरा खत पहुँचा दीजिए
बात दरअसल यह है कि रविश कुमार जैसे लोग पत्रकारिता के उस युग से वास्ता रखते हैं, जब खबरें नहीं फतवे दिए जाते थे, यानि कह दिया सो कह दिया,…
बात दरअसल यह है कि रविश कुमार जैसे लोग पत्रकारिता के उस युग से वास्ता रखते हैं, जब खबरें नहीं फतवे दिए जाते थे, यानि कह दिया सो कह दिया,…
जिस तरह तमाम माया-मोह को त्यागकर अर्जुन ने गाण्डीव उठाया था, आप क़लम उठाइये, आप शब्दों के जादूगर हैं। राजनीति नहीं, बस अपने हिस्से की पत्रकारिता शुरू कर दीजिए, TV…
अब यही एन राम, यही हिन्दू और यही रवीश कुमार हर दिन ऐसे कारनामे कर रहे हैं कि मुझे कोई कल को पूछे कि पत्रकारिता में क्या नहीं करना चाहिए…
ईसा के 500 वर्ष पूर्व बुद्ध एक दिन अचानक प्रोपेगंडा नगरी NDTV पहुंच गए। कमरों, गलियारों और कूचों से निकलते हुए वो रवीश जी के ऑफिस में पहुंचे और उनसे…
एक प्रधानमंत्री की पहुँच अगर इतनी है कि वो एक साथ लाखों विद्यार्थियों से जुड़ जाए, तो क्या रवीश जी यह चाहते हैं कि 10,000 बच्चे इस साल आत्महत्या कर…
अपने पिछले तमाम एजेंडों में मोदी सरकार और उससे सम्बंधित पदाधिकारियों को नीचा दिखाने और अपमानित करने के तमाम नाकाम प्रयासों के बाद रवीश कुमार एक बार फिर से एक…