मंदिर तोड़ा, खजाना लूटा पर हिला नहीं सके शिवलिंग: औरंगजेब के दरबारी लेखक ने भी कबूला था, शिव महापुराण में छिपा है इसका राज़
मंदिर के तोड़े जाने का एक महत्वपूर्ण प्रमाण 'मा-असीर-ए-आलमगीरी’ नाम की पुस्तक भी है। यह पुस्तक औरंगज़ेब के दरबारी लेखक सकी मुस्तईद ख़ान ने 1710 में लिखी थी।