खुद के हाथ-पैर नहीं, फिर भी बने दिव्यांगों की आवाज… मोदी सरकार ने पद्म पुरस्कारों को ‘कोठरी’ से किया मुक्त, हौसलों की कहानी से देश का हो रहा साक्षात्कार
पोलियों के कारण मात्र 11 महीने की उम्र में अपने हाथ-पाँव गँवाने वाले डॉ केएस राजन्ना ने अपने जीवन में कई दिव्यांगों को आत्मनिर्भर बनाया है।