डर का माहौल! भारत के सबसे ‘ईमानदार’ पत्रकार 3 दिन से कहाँ गायब? क्या यह चुप्पी ही है आज का शो
रेडियो चुप है। कोई ब्लैक स्क्रीन नहीं है। कहीं पेंट हुए चेहरे नहीं हैं और कोई मीम नहीं है। सिर्फ़ चुप्पी है। यही चुप्पी तुम्हारे रक्षक की हकीकत है। ये…
रेडियो चुप है। कोई ब्लैक स्क्रीन नहीं है। कहीं पेंट हुए चेहरे नहीं हैं और कोई मीम नहीं है। सिर्फ़ चुप्पी है। यही चुप्पी तुम्हारे रक्षक की हकीकत है। ये…
सबसे बड़ी बात तो ये कि रवीश कुमार ने तृणमूल कॉन्ग्रेस के इस बार के चुनावी स्लोगन 'खेला होबे' का इस्तेमाल कर के दिल्ली-बिल्ली की रट लगाई।
प्रधानमंत्री मोदी के 'आंदोलनजीवी' शब्द का इस्तेमाल करने के बाद सोशल मीडिया में मीम्स की बौछार हो गई है।
भारत के आंतरिक मामले में विदेश हस्तक्षेप को सराहते हुए रवीश कुमार ने उन हस्तियों पर निशाना साधा है जो इसके विरोध में खड़े हुए थे।
बैरिकेडिंग की तस्वीरों को देख वामपंथी गिरोह बेचैन हुआ पड़ा है और गिरोह के प्रिय रवीश कुमार अपनी बात से फिर पलट गए हैं।
बकैत के पोस्ट और प्राइम टाइम से पता चलता है कि उसे मालूम था कि किसान क्या करने वाले हैं!
हर जगह 'किसानों' की थू-थू हो रही, लेकिन NDTV के रवीश कुमार अब भी हिंसक तत्वों के कुकर्मों पर लीपा-पोती करके उसे ढकने की कोशिशों में लगे हैं।
अकेले मंगलवार के दिन केरल राज्य में 6,186 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए और अब तक राज्य में रिपोर्ट किए गए कुल मामले 8,57,80 हो गए हैं।
AltNews ने फैक्टचेक नहीं किया। फेसबुक ने रीच नहीं घटाई। रवीश कुमार अपनी 'गलती स्वीकार' कर 'महान' बन गए।
पत्र में लिखा गया कि ऐसे संवेदनशील समय में जब किसान दिल्ली के पास विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, उस समय रवीश कुमार ने महत्वपूर्ण तथ्यों को गलत तरीके से…