उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ की ‘दारा शिकोह फाउंडेशन’ ने कश्मीर में पाकिस्तान के हिंदू मंदिरों के तोड़े जाने पर संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन यानी यूनेस्को (UNESCO) को पत्र लिखा है। इसमें फाउंडेशन के अध्यक्ष मोहम्मद आमिर राशिद ने लिखा है कि कश्मीर में पाकिस्तानी सरकार ने हेरिटेज साइट हिंदू मंदिर ‘शारदा पीठ’ की दीवार को बगैर अदालती आदेश के ढहा दिया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तानी सरकार सांस्कृतिक विरासत हिंदू मंदिर ‘शारदा पीठ’ को जानबूझ कर निशाना बना रही है। वो वहाँ अपने फौजियों के लिए कॉफी हाउस बनाने पर आमादा है। उनका कहना है कि पाकिस्तान की नीलम वैली में शारदा पीठ हिंदू मंदिर के बचे हुए अवशेष हैं और शिक्षा का प्राचीन केंद्र हैं।
उन्होंने अपने इस पत्र में यूनेस्को के महानिदेशकों से पाकिस्तान सरकार के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की माँग की है। उन्होंने ये भी लिखा कि यूनेस्को को मंदिर के पुनर्वास और संरक्षण काम को अपने हाथ में लेना चाहिए। फाउंडेशन के अध्यक्ष राशिद ने इस पत्र में एक अन्य हिंदू मंदिर का भी हवाला दिया है जो बकायदा पाकिस्तान सरकार तोड़ रही है।
Hindu Minority under attack in Pakistan. Hindu Temple at Tharparkar Mithi, Sindh
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) November 23, 2023
Hinglaj Mata Mandir is being demolished by Pakistan’s anti encroachment Court in Mirpurkhas of Sindh. Will they ever demolish a mosque in Pakistan similarly? The world remains silent on such abuse. pic.twitter.com/Ei3w254gNw
उन्होंने कहा, “हमने पत्र में माँग की है कि यूनेस्को महानिदेशक को स्थानीय प्रतिनिधि को बुलाना चाहिए और जब यूनेस्को ने खुद इसे सांस्कृतिक विरासत घोषित किया है तो इसे संरक्षित करने के लिए शारदा पीठ का पुनर्वास और पुनरुद्धार किया जाना चाहिए।”
राशिद के मुताबिक, ”हमने यूनेस्को के महानिदेशक को एक पत्र लिखा है, जिन्होंने हाल ही में उपाध्यक्ष की जगह पाकिस्तान को दी और शारदा पीठ के सांस्कृतिक विरासत होने का ऐलान किया। इसके बावजूद पाकिस्तानी सरकार ने पीओके के अंदर पाकिस्तानी सैनिकों के लिए बनाए जा रहे कॉफी हाउस को बढ़ाने के लिए जानबूझकर शारदा पीठ की कुछ दीवारों को नुकसान पहुँचाया है। जबकि अदालत का आदेश भी है कि उसे सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करना है, इसके बावजूद पाकिस्तानी सेना ने 26/11 की बरसी पर भारतीय लोगों की भावनाओं और खासकर देशभर के हिंदू लोगों की आस्था को जानबूझकर चोट पहुँचाई है।”
मोहम्मद राशिद का कहना है, ”इस घटना को खास तौर पर इसलिए अंजाम दिया गया है ताकि कहीं न कहीं उनकी कट्टरपंथी सोच को बढ़ावा मिले। कॉफी हाउस की आड़ में वे सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देशों के बावजूद शारदा पीठ को नुकसान पहुँचा रहे हैं। वहाँ हिंगलाज मंदिर भी है। तीन-चार हफ्ते के भीतर कई मंदिरों को बकायदा तोड़ा गया है।”
गौरतलब है कि पाकिस्तान सरकार ने हिंदू समुदाय पर अत्याचारों में इजाफा करते हुए सिंध प्रांत में एक प्रतिष्ठित हिंदू मंदिर को ध्वस्त किया था। चौंकाने वाली बात यह है कि पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा आदेश के बावजूद इस पर रोक लगाने के बावजूद विध्वंस को मंजूरी दे दी गई।
पाकिस्तान में हिंदू मंदिर के विध्वंस की ये अकेली घटना नहीं है। ये वहाँ धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए पाकिस्तान की असहिष्णुता का एक नमूना भर है। इस देश में मंदिरों का यह विध्वंस धरोहरों के अंतरराष्ट्रीय संरक्षण के कोशिशों को धत्ता बताता है।
ये इस मुल्क में सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहरों की रक्षा पर भी सवाल खड़े करता है। इस तरह के वाकये पाकिस्तान जैसे मुस्लिम बहुसंख्यक मुल्क में हिंदुओं के लगातार और बड़े पैमाने पर हो रहे उत्पीड़न को जाहिर करती है।