एक समय था, जब वामपंथी-कॉन्ग्रेसी जैसे छद्म सेक्युलर लव जिहाद और लैंड जिहाद को दक्षिणपंथियों का दुष्प्रचार बताकर खारिज करते थे, लेकिन आज यह हकीकत साबित हो गया है। लव जिहाद के स्थापित सत्य के बाद अब लैंड जिहाद भी मिथ नहीं, बल्कि सच्चाई है। झारखंड, उत्तराखंड, बंगाल, हिमाचल जैसे राज्यों के बाद ओडिशा में भी लैंड जिहाद का एक बड़ा मामला सामने आया है।
ओडिशा के मलकानगिरी जिले के मोटू क्षेत्र में वन क्षेत्र के एक बड़े भूभाग पर कब्जा करके ‘इस्लाम नगर’ स्थापित दिया गया है। पिछली बीजद सरकार के कार्यकाल में स्थापित इस्लाम नगर राष्ट्रीय राजमार्ग 326 से मात्र 2-3 किलोमीटर की दूरी पर वन भूमि पर बसाया गया है। यह सबरी नदी के किनारे घने जंगलों से घिरा हुआ है। यहाँ सड़कें, बिजली आदि लगाने के साथ तार की बाड़ भी लगा दी गई है।
वन भूमि पर अतिक्रमण के मामले पर चिंता व्यक्त करते हुए भाजपा के स्थानीय विधायक नरसिंह मदकामी ने बीजू जनता दल (बीजद) के नेताओं पर इसमें शामिल होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जिले के जनजातीय बहुल मोटू क्षेत्र में वन अधिनियम का उल्लंघन कर 100 एकड़ से अधिक वन भूमि पर अतिक्रमण में स्थानीय बीजद नेता मासूम खान शामिल है।
उनका कहना है कि मासूम खान नवरंगपुर के पूर्व सांसद एवं बीजद नेता प्रदीप माझी का करीबी सहयोगी है। माझी के साथ उसकी कई तस्वीरें भी ऑनलाइन वायरल हो रही हैं। मासूम खान बीजद के राजनीतिक कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से शामिल रहा है। इसकी तस्वीरें सामने आई हैं। हालाँकि, प्रदीप माझी ने अभी तक इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
मदकामी ने कहा कि मासूम खान सहित बीजद के नेता मोटू क्षेत्र में इस्लाम नगर स्थापित करने के लिए अवैध गतिविधियों में लिप्त हैं। उन्होंने कहा कि यह चौंकाने वाली बात है कि पारंपरिक बारिबाँचा गाँव का नाम बदलकर इस्लाम नगर कर दिया गया है और महात्मा गाँधी नरेगा (MANREGA) फंड का उपयोग करके अतिक्रमित क्षेत्र में कई अवैध इमारतें, गोदाम, सड़कें और तालाब बना दिए गए हैं।
भाजपा विधायक का कहना है कि यहाँ बिजली विभाग ने भी बड़े-बड़े ट्रांसफॉर्मर लगाए हैं। ये सभी अवैध गतिविधियाँ मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली पिछली बीजद सरकार के कार्यकाल में हुई हैं। भाजपा नेताओं का कहना है कि 100 एकड़ वन भूमि पर कब्जा करना, पेड़ों को साफ करना और ऊँची इमारतों का निर्माण राजनीतिक समर्थन के बिना नहीं हो सकता।
इन खुलासों के बाद वन विभाग के मलकानगिरी डिवीजन ने जाँच शुरू कर दी है। लकानगिरी जिले की सहायक वन संरक्षक प्रियंका महुका ने बताया कि शिकायत मिलने पर स्थानीय रेंजर को सूचित कर जाँच कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है। स्थानीय रेंजर की जाँच के निष्कर्षों के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।
उधर, ओडिशा भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अनिल बिस्वाल ने कहा कि मुद्दा लैंड जिहाद के इर्द-गिर्द घूमता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड और असम में भाजपा सरकारों ने लैंड जिहाद के खिलाफ स्पष्ट रूप से कड़ा रुख अपनाया है और सख्त कदम उठा रही हैं। बिस्वाल ने कहा कि ओडिशा सरकार भी उत्तराखंड और असम की भाजपा सरकारों जैसी ही नीति अपनाएगी।