Thursday, November 21, 2024
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अल्पसंख्यक हैं मिजोरम में हिंदू, फिर भी हरि मंदिर को बचाने में जुटे: असम राइफल्स के जाने के बाद राज्य सरकार के कब्जे में होगा मंदिर

यह ऐतिहासिक हरि मंदिर असम राइफल्स के परिसर में स्थित है, इसलिए स्थानीय हिंदुओं को डर है कि मंदिर को चलाने, प्रशासन और रखरखाव की जिम्मेदारी भी मिजोरम सरकार के हाथों में आगे चली जाएगी।

पूर्वोत्तर भारत के ईसाई बहुल राज्य मिजोरम में हिन्दू अपना एक मंदिर सरकारी नियंत्रण में जाने से बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। यह मंदिर ऐतिहासिक है। मिजोरम की राजधानी आइजोल में स्थित असम राइफल्स हरि मंदिर, गोरखा हिंदुओं और ब्रू रियांगों के लिए काफी महत्वपूर्ण है और श्रद्धा का बड़ा केंद्र है।

मिजोरम की आबादी का बेहद छोटा हिस्सा हिन्दू समुदाय इस बात से चिंतित है कि इस ऐतिहासिक मंदिर का प्रशासन मिजोरम सरकार के हाथों में चला जाएगा। हरि मंदिर (जिसे महादेव ट्रान के नाम से भी जाना जाता है) पहले बेथलहम में असम राइफल्स परिसर में स्थित था। यह यहाँ पिछले 70 वर्ष से स्थित है। असम राइफल्स आइजोल के इस हिंदू मंदिर का रखरखाव करता आया है। इस हरि मंदिर में दुर्गा पूजा, दिवाली और जन्माष्टमी जैसे त्यौहार भी मनाए जाते हैं और यह शादियों और कीर्तन जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों का केंद्र भी है।

30 सितंबर, 2024 को मिजोरम गोरखा मंदिर संचालन समिति के अध्यक्ष ने आइजोल स्थित द्वितीय असम राइफल्स के कमांडेंट को पत्र लिखकर हरि मंदिर के भविष्य के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की थी। अपने पत्र में मनकुमार जैशी ने लिखा, “हरी मंदिर असम राइफल्स के सुरक्षाकर्मियों के परिवारों और वंशजों लिए गहरा भावनात्मक महत्व रखता है, उन्होंने हमारे देश की सेवा की है। ये पवित्र भूमि हमारे देश की अखंडता की रक्षा के लिए उनके बलिदान, समर्पण और अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है।”

उन्होंने कहा, “यह हमारी विनम्र अपील है कि इस मंदिर को संरक्षित किया जाए और असम राइफल्स के सैनिकों के वंशजों के साथ-साथ बाकी हिंदू समुदाय को भी इसमें पूजा -अर्चना दी जाए।” मंदिर को लेकर यह चिंताएँ असम राइफल्स के अपने बेस को हटा कर शहर से बाहर ले जाने के कारण उठी हैं।

केंद्र-राज्य में लम्बे समय से चल रही बात

असम राइफल्स बटालियन को आइजोल शहर के बीच से 15 किलोमीटर पूर्व में ज़ोखावसांग में एक जगह पर ले जाने के लिए 2023 से ही बातचीत हो रही है। मिजोरम सरकार ने इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से संपर्क किया था कि असम राइफल्स को एक नए स्थान पर भेजा जाए।

जुलाई, 2024 की एक PTI रिपोर्ट में कहा गया है कि असम राइफल्स को यहाँ से हटा कर दूसरी जगह भेजने के लिए केंद्र और मिजोरम के बीच एक समझौता (MOU) को मंजूरी दी जानी थी। अभी MOU को लेकर क्या स्थिति, यह नहीं पता है। हालाँकि, यह साफ़ है कि गृह मंत्रालय की मंजूरी के बाद मिजोरम सरकार आइजोल के असम राइफल्स परिसर को अपने अधीन ले लेगी।

चूंकि यह ऐतिहासिक हरि मंदिर असम राइफल्स के परिसर में स्थित है, इसलिए स्थानीय हिंदुओं को डर है कि मंदिर को चलाने, प्रशासन और रखरखाव की जिम्मेदारी भी मिजोरम सरकार के हाथों में आगे चली जाएगी।

स्थानीय गोरखा हिन्दुओं को मंदिर देने की माँग

मिजोरम गोरखा मंदिर संचालन समिति के अध्यक्ष मनकुमार जैशी ने 2nd असम राइफल्स के कमांडेंट से आग्रह किया है कि वे इस मामले को राज्य सरकार के सामने उठाएँ और मंदिर का संचालन गोरखा हिन्दुओं को दिलवाएँ। सितंबर 2024 में लिखे अपने पत्र में उन्होंने कहा, “हम आपसे हरि मंदिर को आइजोल के स्थानीय गोरखा समुदाय को देने पर विचार करने की माँग करते हैं ताकि हमें अपनी धार्मिक जरूरतों के लिए एक जगह बची रहे।”

मनकुमार जैशी ने अपने पत्र में आगे कहा कि जिस तरह असम राइफल्स का चर्च, स्थानीय चर्च को दिया गया है, उसी तरह मंदिर को भी स्थानीय हिन्दुओं के हाथ में दिया जाए। ऑपइंडिया ने मिजोरम गोरखा मंदिर संचालन समिति के अध्यक्ष से फोन पर बात की और उन्होंने इन चिंताओं के बारे में हमें बताया।

उन्होंने ऑपइंडिया को बताया कि मिजोरम सरकार कैंटीन स्क्वायर क्षेत्र का विस्तार करने और सड़कों को चौड़ा करने पर विचार कर रही है। इसके दायरे में मंदिर आने से स्थानीय हिंदुओं के सांस्कृतिक केंद्र असम राइफल्स हरि मंदिर का भविष्य अब खतरे में है।

सोशल मीडिया पर चला अभियान

इस मंदिर को बचाने की माँग अब सोशल मीडिया पर चल रही है। एक एक्स यूजर ने लिखा, “मंदिर महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केंद्र हैं। असम राइफल्स के मंदिर को हटाने से हमारे समुदाय की पहचान ही खत्म हो जाएगी।”

एक अन्य यूजर ने लिखा, “हम आगे की पीढ़ियों के लिए असम राइफल्स मंदिर को बचाने में एकजुट हैं। आइए इसको बचाने के लिए अपनी आवाज़ उठाएँ।”

एक और यूजर ने लिखा “असम राइफल्स मंदिर दशकों से शांति और प्रार्थना का स्थल रहा है। जो मंदिर इतने सारे लोगों के लिए इतना मायने रखता है, उसे क्यों नष्ट किया जाए?”

मिजोरम में हिन्दुओं का उत्पीड़न

2001 की जनगणना के आँकड़ों के अनुसार, मिजोरम ईसाइयों की आबादी 7.7 लाख है जबकि इसकी तुलना में केवल 31,562 हिंदू यहाँ रहते हैं। राज्य के हिन्दुओं में मुख्य रूप से गोरखा और ब्रू रेहंग शामिल हैं। ब्रू रेहंग को 1997 में मिज़ो लोगों के अत्याचार का सामना करना पड़ा था। ब्रू रहंग इस कारण भाग कर त्रिपुरा चले गए थे। 2018 में त्रिपुरा और मिजोरम के बीच हुए एक समझौते के बाद ही ब्रू आबादी यहाँ लौट पाई थी।

मिजोरम के भीतर मंदिर पर हमले के भी कई मामले सामने आए हैं। ऑपइंडिया को आइजोल के असम राइफल्स हरि मंदिर के बाहर एक बड़ी प्लेट मिली, जिसमें लिखा है कि इस मंदिर को उपद्रवियों ने नष्ट कर दिया था। इस मंदिर का दोबारा से निर्माण करवाया गया था। आज जैसा यह मंदिर दिखता है, उसका निर्माण ब्रिगेडियर श्री राम सिंह द्वारा करवाया गया था और अगस्त 1993 में असम राइफल्स की पहली बटालियन के कमांडेंट द्वारा इसका उद्घाटन किया गया था।

मिजोरम में हिंदू प्रथाओं के खिलाफ हमेशा ही एक शत्रुता की भावना बनी रही है। अगर किसी प्रमुख नेता को हिंदुओं से जुड़ा हुआ देखा जाता है, तो उसे बदनाम किया जाता है। 2011 में, मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) ने कोलकाता में दुर्गा पूजा और दशहरा के हिंदू त्योहारों में भाग लेने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री लाल थनहवला पर हमला किया था।

MNF के उपाध्यक्ष आर त्लांगमिंगथांगा ने कहा था, “हम लाल थनहवला के समारोह में भाग लेने की कड़ी निंदा करते हैं और उम्मीद करते हैं कि वह गॉड से माफ़ी मांगेंगे।” उन्होंने आगे आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने ‘ईसाई धर्म त्याग दिया’ और हिंदू अनुष्ठानों में भाग लेकर ‘अपने गॉड को धोखा दिया’।

यह रिपोर्ट मूल रूप से अंग्रेजी में लिखी गई है। आप इसे यहाँ क्लिक करके पढ़ सकते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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