Friday, October 25, 2024
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भाईचारा दिखा जिस हिन्दू की जमीन खरीदी, उसी के लिए नासूर बना अब्दुल हमीद: इंटरनेशनल क्रिमिनल बेटा, नेपाल पुलिस की रेड… फिर किसने दिया बंदूक का लाइसेंस?

मून जायसवाल ने बताया कि वो दोनों भाई अब्दुल हमीद द्वारा कई बार परेशान किए जा चुके हैं, कई बार हड़काए जा चुके हैं। जयसवाल अब स्वीकार करते हैं कि भले ही किसी भी मजबूरी में ही सही पर उनके पिता द्वारा अब्दुल हमीद को जमीन बेचना एक गलत फैसला था।

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में 13 अक्टूबर 2024 को माँ दुर्गा के विसर्जन जुलूस पर मुस्लिम भीड़ ने हमला कर के रामगोपाल मिश्रा नाम के युवक की हत्या कर दी थी। इसी हिंसा में कई श्रद्धालु घायल हो गए थे। हमले के लिए अब्दुल हमीद के घर को लॉन्च पैड के तौर पर प्रयोग किया गया था। ऑपइंडिया ने जब इस हिंसा की जमीनी जानकारी जुटाई तो पता चला कि जहाँ आज अब्दुल हमीद का घर है, वो लगभग 3 दशक पहले एक हिन्दू की जमीन हुआ करती थी। आज वही हिन्दू परिवार अब्दुल हमीद से प्रताड़ित है।

यह हिंसा महराजगंज बाजार में हुई। महराजगंज सीतापुर-बहराइच मार्ग को महसी बाजार से जोड़ता है। हिन्दुओं का विसर्जन जुलूस भी इसी मार्ग से हर साल परम्परागत तौर पर गुजरता है। हिंसा से पहले महराजगंज बाजार मूल रूप से जूलरी के कारोबार के लिए प्रसिद्ध रही है। अब्दुल हमीद भी सोने-चाँदी का काम करता था। पहले वह बाजार के अंदर एक मकान में रहता था। तब मुख्य मार्ग पर अधिकतर जमीनें राम प्रसाद जायसवाल की हुआ करती थीं।

जहाँ आज अब्दुल का घर, वो पहले थी हिन्दू की जमीन

हिंसा में घायल अब्दुल हमीद के पड़ोसी संतोष तिवारी ऑपइंडिया को बताते हैं कि लगभग 30 साल पहले अब्दुल हमीद ने रामप्रसाद जयसवाल से वो जमीन खरीदी थी, जहाँ आज उसका घर है। तब रामप्रसाद जयसवाल ने अपनी मुख्य मार्ग पर मौजूद जमीन कुछ पैसों के लिए बेचने का प्रस्ताव रखा था। इसी दौरान संतोष तिवारी सहित कुछ हिन्दुओं ने इसी जमीन के कुछ हिस्से खरीदे थे। जमीन बिकने की जानकारी मिलते ही अब्दुल हमीद ने भी उसे खरीदने की इच्छा जताई।

तब अब्दुल हमीद खुद को धर्मनिरपेक्ष बता कर मीठी-मीठी बातें और हर किसी हिन्दू को उनके परम्परा के हिसाब से अभिवादन करता था। अपना नाम न छापने की शर्त पर एक स्थानीय निवासी ने बताया कि तब कई हिन्दुओं ने रामप्रसाद से अपील की थी कि वो अपनी जमीन अब्दुल हमीद के बजाय उन्हें दे दें। हालाँकि अब्दुल हमीद ने अन्य खरीदारों से अधिक दाम का ऑफर किया और जमीन का एक बड़ा हिस्सा अपने नाम करवा लिया। आज अब्दुल हमीद का घर संतोष तिवारी और खुद रामप्रसाद जायसवाल के मकानों के बीच में हैं।

‘हमसे ही जमीन लेकर हमको ही कर रहा तंग’

रामप्रसाद जायसवाल का अब देहांत हो चुका है। उनके तीन बेटे थे, जिसमें एक की मौत हो चुकी है। अब घर पर पप्पू व मून जायसवाल अलग-अलग हिस्सों में रहते हैं। ये हिस्से अब्दुल हमीद की दीवार से सटे हुए हैं। पप्पू टायर पंचर का काम करते हैं जबकि मून जयसवाल रेडीमेड कपड़ों व जूते-चप्पल के कारोबार में हैं। मून जयसवाल अब यह स्वीकार करते हैं कि भले ही किसी भी मजबूरी में ही सही पर उनके पिता द्वारा अब्दुल हमीद को जमीन बेचना एक गलत फैसला था।

मून जायसवाल हमें बताते हैं कि वो और उनके भाई अपनी बची जमीन के अलग-अलग हिस्सों में रहते हैं लेकिन दोनों ही अब्दुल हमीद द्वारा कई बार परेशान किए जा चुके हैं। पप्पू जायसवाल की पंचर वाली दुकान के सामने हमें काफी पानी जमा दिखा। पूछने पर पता चला कि यह सब अब्दुल हमीद और उसके बेटों की दबंगई के कारण है। मून जायसवाल को भी अब्दुल हमीद व उसके बेटे कई बार हड़का चुके हैं। उन्होंने हमसे कहा, “जो पहले हो गया, उसे अब सुधार नहीं सकते।”

जयसवाल परिवार को भी ध्वस्तीकरण की नोटिस

पिछले कुछ दिनों से मेन स्ट्रीम मीडिया में महराजगंज बाजार के एक हिन्दू परिवार को दिखाया जा रहा, जिसके घर को अब्दुल हमीद व कुछ अन्य मुस्लिमों के घरों के साथ सरकार की तरफ से ध्वस्तीकरण की नोटिस मिली है। यह परिवार उसी मून जायसवाल का है, जिनके पिता ने 3 दशक पहले अब्दुल हमीद को अपनी जमीन बेच कर बसा दिया था। नोटिस मून के अलावा उनके भाई पप्पू को भी मिली है। इन दोनों भाइयों ने अपनी-अपनी दुकानों से सामान खाली कर लिए हैं। नोटिस संबंधी नीचे जो वीडियो है, उसे वामपंथी, समाजवादी, इस्लामी व कॉन्ग्रेसी हैंडलों से जोर-शोर से शेयर किया जा रहा है।

बात-बात पर बंदूक निकालने का देता था ताव

अब्दुल हमीद के एक अन्य हिन्दू पड़ोसी जो सरकारी नौकरी में हैं, उन्होंने कैमरे पर न आने की शर्त पर हमसे बात की। हमें बताया गया कि अब्दुल आए दिन बंदूक निकालने का ताव दिया करता था। कुछ वर्ष पहले का जिक्र करते हुए हमसे भुक्तभोगी ने बताया कि उनके बूढ़े पिता को भी गोली मारने की धमकी अब्दुल हमीद ने दी थी। तब उस हिन्दू बुजुर्ग ने भी अब्दुल से कहा भी था कि वो ऐसी धमकियों से डरने वाले नहीं हैं।

रामगोपाल मिश्रा को भी अब्दुल हमीद के घर से सम्भवतः उसी लाइसेंसी बंदूक से मारा गया था, जिससे वो आसपास के हिन्दुओं को धमकाता था। पीड़ित इस बात की भी जाँच चाहते हैं कि अब्दुल हमीद को उस बंदूक का लाइसेंस किस अधिकारी ने कब और क्यों जारी किया था। हालाँकि लोगों का यह भी दावा है कि लाइसेंसी हथियार अब्दुल हमीद के लिए महज हाथी के दिखाने वाले दाँत हैं क्योंकि ठीक से तलाशी होने पर उस बाजार में अवैध हथियारों का जखीरा मिल सकता है।

अब्दुल के घर पड़ चुकी है नेपाल पुलिस की दबिश

ऑपइंडिया से बातचीत में कई स्थानीय लोगों का दावा है कि अब्दुल हमीद का बड़ा बेटा अंतरराष्ट्रीय अपराधी है, जिसका देश विरोधी ताकतों से संबंध हैं। लोगों ने यह भी बताया कि पिछले 10 वर्षों से उन्होंने कई बार अब्दुल हमीद के घर पर पुलिस की दबिश होते देखा है। इसमें नेपाल का पुलिस बल भी शामिल है। हमें यह भी बताया गया कि खुद को कानूनी दाँवपेंचों से बचाने के लिए अब्दुल हमीद ने दिखावे के तौर पर अपने बड़े बेटे को लिखापढ़ी करके बेदखल कर रखा है।

लोगों ने बताया कि कथित बेदखली के बावजूद अब्दुल के बेटे का आना-जाना अभी भी अपने घर पर है। उसका निकाह भी नेपाल में ही कहीं हुआ है। बाजार में अन्य स्वर्णकारों के बजाय अब्दुल हमीद की सम्पत्ति जिस तेजी से बढ़ी है, उससे लोगों को यह भी आशंका है कि अपने बेटे की काली कमाई में कहीं न कहीं उसका भी हिस्सा है। स्थानीय निवासियों का यह भी मानना है कि बिना जुगाड़ के एक इंटरनेशनल अपराधी के पिता को बंदूक का लाइसेंस नहीं मिल सकता।

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राहुल पाण्डेय
राहुल पाण्डेयhttp://www.opindia.com
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।

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