भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल में रथयात्रा निकालने की अनुमति के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने की बात कही है। बता दें कि भाजपा के बंगाल में प्रस्तावित रथयात्रा के कार्यक्रम को तब झटका लगा था जब ममता बनर्जी की सरकार ने इसके लिए अनुमति देने से इनकार कर दिया था। भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस सरकार के इस फैसले के खिलाफ कोलकाता उच्च का दरवाजा खटखटाया, जिसने पश्चिम बंगाल सरकार को तगड़ा झटका देते हुए रथयात्रा की अनुमति प्रदान की। राज्य सरकार ने सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ने का हवाला देकर रथयात्रा को मंजूरी देने से इनकार किया था लेकिन अदालत ने उसकी इस दलील को मानने से इनकार कर दिया। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ट्वीट के माध्यम से विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा था कि अगर राजग, बीजेपी शासन वाले किसी राज्य में विपक्षी पार्टी को कार्यक्रम की इजाजत नहीं मिलती तो विपक्ष तत्काल अघोषित आपातकाल की घोषणा कर देता।
लेकिन ये ड्रामा और भी आगे बढ़ गया जब कोलकाता उच्च न्यायलय की दो सदस्यीय पीठ के एकल बेंच के उस फैसले को पलट दिया और भाजपा को रथयात्रा निकालने से फिर मना कर दिया। दरअसल पश्चिम बंगाल सरकार ने बीजेपी को राज्य में यात्रा निकालने की अनुमति देने के हाई कोर्ट की सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ के पास याचिका दायर की थी। हलांकि न्यायलय ने पश्चिम बंगाल सरकार को फटकार लगाते हुए अनुमति को लेकर सरकार की चुप्पी ‘आश्चर्यजनक और चौंकाने वाला बताया था। भाजपा कि बंगाल इकाई ने 7 दिसम्बर को राज्य में रथयात्रा का कार्यक्रम तय किया था, जिसमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी हिस्सा लेने वाले थे लेकिन अनुमति नहीं मिलने के कारण उन्हें ये कार्यक्रम रद्द करना पड़ा।
बंगाल भाजपा ने ममता सरकार के रथयात्रा को अनुमति न देने वाले निर्णय के खिलाफ राज्य के अनेक हिस्सों में रैली करने का भी कार्यक्रम तय किया है। ज्ञात हो कि राज्य सरकार के तीन सबसे वरिष्ठ अधिकारियों के पैनल ने यात्रा को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था। उस आदेश को रद्द करते हुए न्यायमूर्ति तापब्रत चक्रवर्ती की एकल पीठ ने बृहस्पतिवार को भाजपा के रथ यात्रा कार्यक्रम को मंजूरी दे दी थी। ममता सरकार के फैसले के खिलाफ भाजपा ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। गुरुवार को एकल पीठ का फैसला भाजपा के पक्ष में आया था, लेकिन शुक्रवार को दो सदस्यीय पीठ ने बाज़ी पलट दी थी। 18 दिसम्बर को अमित शाह ने ममता बनर्जी पर हमला करते हुए कहा था;
“पश्चिम बंगाल में भाजपा को एक रथयात्रा की भी अनुमति नहीं दी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी , गृहमंत्री राजनाथ सिंह और मुझे वहां प्रचार करने से रोका गया। बंगाल सरकार विकास के हर मामले में विफल रही है।”
अब भाजपा के शीर्ष अदालत जाने के ताजा निर्णय के बाद सबकी निगाहें उच्चतम अदालत पर टिक गई है। शीर्ष अदालत का फैसला चाहे जो भी आये लेकिन बंगाल कि राजनीती में चल रहे ड्रामे का अभी कोई अंत नजर नहीं आ रहा और सियासी पारा और ऊपर चढ़ने की उम्मीद है।