Friday, May 3, 2024
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कमांडो ट्रेनिंग लेकर रात के अँधेरे में 30 किमी पैदल चले थे 4 आतंकी… 200 अभी भी LOC पर घुसपैठ की फिराक में

“अलग-अलग तंज़ीम के लगभग 200 आतंकवादी नियंत्रण रेखा के इर्द-गिर्द स्थित लॉन्च पैड पर मौजूद रहकर भारत में घुसपैठ का इंतज़ार कर रहे हैं। हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती है अल-बदर का दोबारा अस्तित्व में आना और लश्कर-ए-मुस्तफ़ा जैसे नए आतंकवादी संगठनों का पैदा होना है, जिसकी अगुवाई हिदायतुल्लाह मलिक कर रहा है।"

जम्मू-कश्मीर के नगरोटा में 19 नवंबर को हुए एनकाउंटर की जाँच के दौरान जैश-ए-मोहम्मद के ऑपरेशनल कमांडर और 2016 पठानकोट हवाई बेस पर हुए आतंकवादी हमलों के आरोपित कासिम जन के शामिल होने की बात सामने आ रही है। कासिम उन आतंकी कमांडर में से एक है जो जैश के आतंकियों को भारत भेजता है और पूरे दक्षिणी कश्मीर में ज़मीनी स्तर पर काम करने वालों के बीच उसकी पकड़ काफी मज़बूत है। वह सीधे जैश चीफ मुफ्ती रऊफ असगर को रिपोर्ट करता है। 

भारत के आतंकवादी विरोधी अधिकारियों के मुताबिक अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना हटाए जाने के बाद और तालिबान के पुनरुत्थान के साथ जैश जम्मू-कश्मीर की सीमा पर काफी सक्रिय हो चुका है। इसके अलावा कम से कम 14 प्रशिक्षित आतंकवादी गुजरांवाला के ज़रिए भारत में घुसपैठ करने का इंतज़ार कर रहे हैं। हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने इस मुद्दे पर बात करते हुए विस्तार से जानकारी दी। 

उन्होंने बताया, “अलग-अलग तंज़ीम (समूह) के लगभग 200 आतंकवादी नियंत्रण रेखा (लाइन ऑफ़ कंट्रोल) के इर्द-गिर्द स्थित लॉन्च पैड पर मौजूद रहकर भारत में घुसपैठ करने का इंतज़ार कर रहे हैं। हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती है अल-बदर का दोबारा अस्तित्व में आना और लश्कर-ए-मुस्तफ़ा जैसे नए आतंकवादी संगठनों का पैदा होना है, जिसकी अगुवाई हिदायतुल्लाह मलिक कर रहा है। इसके अलावा अन्य आतंकवादी संगठन जैसे लश्कर-ए-तैय्यबा जो 23 अलग आतंकवादियों को खैबर पख्तूनखवा के जंगल मंगल कैम्प में प्रशिक्षण दे रहा है।”    

ग्लोबल पोजिशनिंग सेट, वायरलेस और रिसीवर्स द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक़ नगरोटा में मारे गए 4 जैश आतंकियों को कमांडो ट्रेनिंग दी गई थी। इन आतंकवादियों ने शकरगाह स्थित जैश कैम्प से संबा बॉर्डर के बीच 30 किलोमीटर की दूरी पैदल पूरी की और अंत में जटवाल स्थित पिकअप प्वाइंट पर गए जो कठुआ से संबा तक 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसका मतलब यह है कि सभी आतंकवादियों ने पिक अप प्वाइंट पर पहुँचने के लिए देर रात यात्रा की और इसके बाद वह जम्मू-कश्मीर की तरफ आगे बढ़े।  

एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक़, “अंतर्राष्ट्रीय सीमा की पिकअप प्वाइंट से दूरी (एरियल डिस्टेंस) लगभग 8.7 किलोमीटर है और शकरगाह स्थित जैश-ए-मोहम्मद का कैम्प जटवाल से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। संभावित घुसपैठ सांबा सेक्टर में मौजूद मावा गाँव के रास्ते से हुई जो रामगढ़ और हीरानगर सेक्टर के बीच स्थित है। नोनाथ नला के पास कई कच्चे रास्ते हैं जो पिकअप प्वाइंट से अंतर्राष्ट्रीय सीमा तक पहुँचते हैं। नला, पाकिस्तानी गाँव चक जमाल के पास बेन नला से मिलता है। माना जा रहा है कि आतंकवादियों ने इन तमाम रास्तों की मदद से यह दूरी 2.5 से 3 घंटे के बीच पूरी की।”

इस बात के सबूत मौजूद हैं कि ट्रक (जेके 01 ए एल 1055) को सुबह के 3.44 पर सरोरे टोल प्लाज़ा पार कर जम्मू की तरफ बढ़ते देखा गया था। इसके बाद नरवल बायपास का इस्तेमाल करते हुए कश्मीर की तरफ बढ़ते हुए देखा गया, जिसके बाद सुरक्षाबलों ने 4.45 पर कार्रवाई करते हुए टोल प्लाज़ा बंद कर दिया था। सुरक्षा अधिकारियों के मुताबिक़ सारे आतंकवादी आत्मघाती हमलावर थे क्योंकि इनके पेट और जाँघ के बीच का हिस्सा शेव किया गया था, जैसा कि जिहादियों के मामले में पहले भी देखा गया है। असाल्ट राइफल, अंडर बैरल राकेट लांचर और बंदूकों के अतिरिक्त इन चार आतंकवादियों के पास ईंधन के साथ मिला हुआ 6.5 किलो नाइट्रो सेल्यूलोस भी बरामद किया गया था।  

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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