Tuesday, December 10, 2024
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‘ये चेहरे पर चेहरा लगाओगी कब तक…’: महाराष्ट्र में वोटिंग खत्म होते ही बेगम स्वरा भास्कर हुईं वोक, चुनावों में पैगंबर मुहम्मद के नाम पर माँग रही थीं वोट

फिल्म जख्मी में किशोर कुमार का गाया और शत्रुघ्न सिन्हा पर फिल्माया गया गाना 'तुझे सब प्यार करते हैं, सभी ने तुझको पूजा है... मगर ऐ प्यार की देवी, ये मैं जानूँ की तू क्या है... ये चेहरे पर चेहरा लगाओगी कब तक, जमाने से खुद को छुपाओगी कब तक' स्वरा पर सटीक बैठता है। लोगों ने उनके वास्तविक चेहरे को पहचान लिया है।

‘जब भी जी चाहे नई दुनिया बसा लेते हैं लोग… जब भी जी चाहे नई दुनिया बसा लेते हैं लोग…एक चेहरे पे कई चेहरे लगा लेते हैं लोग…’। फिल्म दाग में लता मंगेशकर का गाया हुआ यह गाना आपने जरूर सुना होगा। अगर नहीं सुना है तो जरूर सुनिए और बॉलीवुड की फ्लॉप अभिनेत्री स्वरा भास्कर को याद कीजिए। ऐसा लगता है कि यह गाना स्वरा भास्कर को ही ध्यान में रखकर लिखा गया था, क्योंकि पिछले कुछ दिनों में अपने चेहरे पर कई नकाब ओढ़े और लोगों को गुमराह करने की कोशिश की।

स्वरा भास्कर ने 21 नवंबर को सोशल मीडिया साइट X (पूर्व में ट्विटर) पर एक अपनी फोटो की क्लोज शेयर की। इसमें उन्होंने कई परिधानों में अपनी तस्वीरें शेयर कीं। यह नॉर्मल है। लेकिन, स्वरा ने इस फोटो के साथ जो पोस्ट शेयर किया, वह ध्यान देने वाला है। उन्होंने लिखा, “मुझे इस बात का एहसास नहीं था कि शादी के बाद मेरे परिधानों का चुनाव एक राष्ट्रीय साइबर बहस (विचित्र!) है।”

उन्होंने आगे लिखा, “यहाँ शादी के बाद की मेरी और तस्वीरें हैं, ताकि संघी कीड़ों को उनके गोबर के लिए और अधिक बकवास मिल सके 💩. मुझे खेद है फहाद ज़िरार अहमद (उनके राजनेता शौहर) एक रूढ़िवादी मुस्लिम पति की आपकी छवि में फिट नहीं बैठता।” इस पोस्ट में स्वरा में खुद को और अपने शौहर को आधुनिक सोच वाला एवं प्रगतिशील दिखाने की कोशिश की।

इसके साथ ही उन्होंने ‘संघी कीड़े’ कहकर भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े लोगों को एक तरह से गाली देने का काम किया है। उन्होंने अपनी पोस्ट में भाजपा समर्थकों को रूढ़िवादी और पिछड़ा दिखाने की कोशिश की है। स्वरा का इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल एक वर्ग के प्रति उनकी घृणा को दर्शाता है और ये बताता है कि किस हद तक वह भाजपा से नफरत करती हैं।

हालाँकि, इस तस्वीर को शेयर करने के कुछ देर बाद ही उन्होंने एक दूसरी तस्वीर पर शेयर की और अपना असली स्वरूप दिखा दिया। इस तस्वीर में वह सिर पर चुन्नी ओढ़े और हाथ में बिरयानी जैसी दिख रही खाद्य पदार्थ का प्लेट लेकर मुस्कुराते हुए दिख रही हैं। यह उनके पहले वाली पोस्ट से ठीक उलट है। या फिर कह सकते हैं कि मुस्लिम परिधान में दूसरी तस्वीर डालकर उन्होंने ‘किसी को’ चिढ़ाने की कोशिश की।

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के खत्म होते ही स्वरा भास्कर तस्वीरों की कोलाज डालकर खुद को प्रगतिशील और आधुनिक दिखाने की कोशिश की है। हालाँकि, उनके वास्तविक चेहरे को देखने के लिए महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के प्रचार को ध्यान देना होगा। स्वरा ने फहाद अहमद नाम के एक मुस्लिम से शादी की है। फहाद ने इस बार सपा की साइकिल छोड़कर शरद पवार की राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी का हाथ थामा है।

शरद पवार ने फहाद को मुंबई की अणुशक्ति नगर विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है। इस दौरान स्वरा भास्कर ने फहद का जमकर चुनाव प्रचार किया। मु्स्लिम इलाकों में गईं और अल्लाह और पैगंबर मुहम्मद के नाम पर वोट माँगे। पूरे चुनाव वह उन्होंने खुद को एक मुस्लिम के रूप में प्रस्तुत किया। इस्लाम की जमकर तारीफ की और हिंदुओं को जमकर कोसा।

खैर लौटते हैं महाराष्ट्र चुनाव में स्वरा के किरदार की ओर। स्वरा भास्कर ने अपने शौहर के पक्ष में मुस्लिम वोटों को पोलराइज करने के लिए महिला-विरोध के लिए कुख्यात मौलाना सज्जाद नोमानी के मिलने फहाद अहमद के साथ गईं। इस दौरान उन्होंने मुस्लिम पहनावे का विशेष तौर पर ध्यान रखा। इसकी तस्वीर भी उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट की।

मौलाना सज्जाद नोमानी वही व्यक्ति हैं, जिन्होंने अप्रैल 2023 में मुस्लिमों को भड़काते हुए कहा था कि रमजान के वक्त लड़कियों को स्कूल/कॉलेज अकेले नहीं भेजना चाहिए, क्योंकि ऐसा करना इस्लाम में हराम है। वीडियो में नोमानी ने कहा था, “पाक रमजान की रात में उन लोगों पर लानत भेजता हूँ, जो अपनी बच्चियों को अकेले कोचिंग सेंटर या स्कूल-कॉलेज भेजते हैं। अल्लाह उन्हें जहन्नुम में भेजेगा।”

इसके ठीक दो दिन बाद अणुशक्ति नगर में चुनाव प्रचार करने का एक वीडियो सामने आया। इस रैली में वो उसी सुर और शब्दों में बात कर रही हैं, जो इस्लामी कट्टरपंथियों की रैली में होता है। स्वरा भास्कर अपने भाषण में मुस्लिमों को समझाती हैं कि वो गलती से भी उन ‘गुस्ताखों’ को समर्थन न दें, जिन्होंने कभी ईशनिंदा की हो। वह दीन-ईमान की बातें करके मुस्लिमों को इंप्रेस करती हैं।

रैली में स्वरा भास्कर कहती हैं कि वह हिंदू घर में जन्मी और मुस्लिम लड़के से शादी की, लेकिन उन्हें बस कहना ये है कि ‘हजूर पाक’ केे प्रति मन में इज्जत होने के लिए जरूरी नहीं कि इंसान किस जाति में पैदा हुआ हो। उनका इस्लामी शब्दावलियों से भरा ये भाषण सुन सारे मुस्लिम इतने खुश हुए कि स्वरा का उत्साह तालियाँ बजाकर बढ़ाते रहे और स्वरा बोलती रहीं।

वीडियो में स्वरा भास्कर इस्लाम के पैगंबर मुहम्मद का नाम लेने से पहले ‘सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम’ जोड़ना नहीं भूलती हैं। उनकी बातें और शब्द सुनकर कहीं से नहीं लगता है कि वह प्रगतिशील, आधुनिक और धर्मनिरपेक्षता से उनका दूर-दूर तक कोई नाता है। यह तो कतई नहीं लगता है कि उनकी परवरिश कभी हिंदू की तरह भी हुई होगी। इस्लाम के प्रति गहरा झुकाव एवं कठमुल्लों की सोच उनके पूर्वाग्रह को दर्शाता है।

ये वही, हिंदू हैं जिन्होंने एक साधारण सी दिखने वाली एक लड़की को अभिनेत्री बनाया और बॉलीवुड में कुछ दिनों तक ही सही, टिकाए रखा। हालाँकि, अपने व्यवहार और बयान से बहुसंख्यक लोगों के मन-मस्तिष्क से उतरती चली गईं। जब लोगों ने CAA से लेकर तमाम मुद्दों पर स्वरा भास्कर का बयान देखा और पढ़ा तो उन्हें बेहद अफसोस हुआ।

फिल्म जख्मी में किशोर कुमार का गाया और शत्रुघ्न सिन्हा पर फिल्माया गया गाना ‘तुझे सब प्यार करते हैं, सभी ने तुझको पूजा है… मगर ऐ प्यार की देवी, ये मैं जानूँ की तू क्या है… ये चेहरे पर चेहरा लगाओगी कब तक, जमाने से खुद को छुपाओगी कब तक’ स्वरा पर सटीक बैठता है। लोगों ने उनके वास्तविक चेहरे को पहचान लिया है।

उनके शौहर का चुनाव खत्म खत्म तो स्वरा भास्कर फिर से प्रगितशीलता का नकाब ओढ़ने लगी हैं, लेकिन हिंदी में एक कहावत है कि ‘काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती’। अब वह प्रगतिशीलता, आधुनिकता और स्वतंत्र सोच की प्रतीक नहीं, बल्कि रूढ़ीवादी एवं नफरत करने वाले व्यक्ति के सोच की प्रतीक बन गई हैं। यही उनका असली चेहरा है।

हालाँकि, हिन्दुस्तान जैसी मीडिया हाउस स्वरा भास्कर जैसी प्रगतिशीलता की चतुर चैंपियन के बहकावे में आ जाते हैं और उनकी तस्वीरों को खबर के रूप में परोस करके ना चाहते हुए भी उसका PR कर बैठते हैं। हिंदुस्तान ने स्वरा की विभिन्न परिधानों में शेयर की गई तस्वीरों को उनकी उनकी बोल्डनेस और प्रगतिशीलता से जोड़ा है और उनके घृणास्पद बयान को ‘ट्रॉल्स को करारा जवाब‘ बताया है।

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