प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राम मंदिर पर अध्यादेश को लेकर केंद्र सरकार का रुख साफ़ करते हुए कहा है कि इस पर किसी भी प्रकार का विचार करने से पहले शीर्ष अदालत के फैसले का इन्तजार किया जायेगा। एएनआई की सम्पादक स्मिता प्रकाश को दिए साक्षात्कार में पीएम ने विभिन्न मुद्दों से जुड़े सवालों का बेधड़क जवाब दिया और इसी क्रम में राम मंदिर पर भी अपनी सरकार और पार्टी का रुख स्पष्ट किया। प्रधानमंत्री ने उदाहरण देते हुए कहा कि तीन तलाक पर भी केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायलय के निर्णय के बाद ही अध्यादेश लाया था। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट राम मंदिर के मसले पर अगली सुनवाई 4 जनवरी को करने वाला है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस के वकीलों पर अदालत की करवाई को धीमी करने का भी आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने भाजपा के 2014 घोषणापत्र की चर्चा करते हुए कहा कि इस मुद्दे का हल संविधान के दायरे में रह कर ही निकाला जायेगा। उस घोषणापत्र में कहा गया था कि भाजपा अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए संविधान के भीतर सभी संभावनाएं तलाशने के अपने रुख को दोहराती है। दरअसल प्रधानमंत्री से यह पूछा गया था कि क्या भाजपा राम मंदिर मुद्दे को हमेशा भावनात्मक तौर पर उठाती है। इस से जुड़े सवालों के जवाब देते हुए उन्होंने कहा;
“अदालती प्रक्रिया खत्म होने दीजिए। जब अदालती प्रक्रिया खत्म हो जाएगी, उसके बाद सरकार के तौर पर हमारी जो भी जवाबदारी होगी, हम उस दिशा में सारी कोशिशें करेंगे।”
उधर प्रधानमंत्री के बयानों का अयोध्या मामले के दोनों पक्षकारों से स्वागत किया है। मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी और मणिराम दास छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास ने मोदी के बयान का स्वागत करते हुए इसकी सराहना की। महंत दास ने इस बात पर चिंता जताई कि अगर अध्यादेश को अदालत के फैसले से पहले लाया गया तो वो कानूनी अड़चनों में फँस सकता है। वहीं अंसारी ने कहा कि शीर्ष न्यायालय का फैसला ही सर्वमान्य होना चाहिए। महाराष्ट्र में भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने पीएम के इस बयान पर हमला बोलते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए ‘‘भगवान राम कानून से बड़े नहीं हैं’ क्योंकि उन्होंने कहा है कि उनकी सरकार राम मंदिर निर्माण के लिए किसी अध्यादेश पर निर्णय न्यायिक प्रक्रिया समाप्त होने के बाद ही करेगी।
वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने आधिकारिक हैंडल से ट्वीट कर मोदी के बयानों की प्रसंशा की। अपने ट्वीट में आरएसएस ने कहा कि ये मंदिर निर्माण की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
विश्व हिन्दू परिषद ने भी मोदी के इन बयानों के बाद प्रेस कांफ्रेंस कर मंदिर निर्माण की मांग उठाई। विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री से बहुत उम्मीदें है और उन्होंने उनसे मिलने का समय भी माँगा है।