तमिलनाडु सरकार ने सोमवार (10 जनवरी 2022) को चेन्नई में श्री नरसिम्हा अंजनेयर स्वामी मंदिर को ध्वस्त कर दिया। सरकार ने इसके पीछे का कारण वरदराजपुरम में अड्यार नदी के किनारे का अतिक्रमण बताते हुए इसे अवैध मंदिर निर्माण करार देते हुए तोड़ दिया। तांबरम असिसटेंट कमिश्नर के नेतृत्व में पुलिस बल के साथ राजस्व अधिकारियों ने घटनास्थल का दौरा किया और मंदिर को गिराना शुरू कर दिया।
Tambaram Ramar Koil,Chennai. How long should we witness such more acts dear Honourable Sirs/Ma’am @rashtrapatibhvn @PMOIndia @narendramodi @rajbhavan_tn @CMOTamilnadu @rajinikanth @annamalai_k @EPSTamilNadu @polimernews @ThanthiTV @sunnewstamil @HRajaBJP @VanathiBJP @PKSekarbabu pic.twitter.com/b4wHFJCBD2
— Vijayasarathy (Ex SunTv) (@thebackwalker) January 10, 2022
यह कार्रवाई मंदिर ट्रस्ट को तीन बार अतिक्रमण का नोटिस दिए जाने के बाद की गई है। गुस्साए हिंदू भक्तों ने विरोध प्रदर्शन किया और मंदिर के विध्वंस पर आपत्ति भी जताई। रिपोर्टों के अनुसार, सोमवार को विरोध करने और पुलिस के साथ बहस करने वाले लगभग 20 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है और उन्हें पास के सामुदायिक हॉल में हिरासत में रखा गया है।
Tambaram Sri Ram Mandir Demolished in Chennai, Tamilnadu after 3 week Encroachment Notice pic.twitter.com/5BukAbjglQ
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उल्लेखनीय है कि श्री नरसिम्हा अंजनेयर स्वामी का मंदिर पिछले 25 वर्षों से मुदिचुर के पास स्थित था और 55 सेंट भूमि पर बनाया गया था। कुछ साल पहले, राजस्व अधिकारियों ने पाया कि मंदिर का निर्माण अतिक्रमित जलाशय पर किया गया है और मंदिर के प्रतिनिधियों को नोटिस जारी किया। तांबरम में नरसिंह अंजनेयर मंदिर की मूर्तियों को विध्वंस के दौरान ट्रस्टियों को सौंप दिया गया था।
‘तटों पर बने मंदिरों पर अतिक्रमण का दावा नहीं किया जा सकता’- कामचीपुरम मठ
जानकारी के मुताबिक मंदिर 25 साल से है। इसे 2015 में गिरा दिया गया था और उसी स्थान पर फिर से बनाया गया था। इससे पहले जुलाई 2021 के महीने में तमिलनाडु सरकार ने स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत अतिक्रमण हटाने के नाम पर एक तालाब मुथनंकुलम के किनारे 125 साल पुराने मंदिर को गिरा दिया था। कामचीपुरम मठ ने तब बताया था कि अधिकांश हिंदू मंदिर नदी या झीलों के किनारे बनाए गए थे ताकि भक्त मंदिरों में प्रवेश करने से पहले स्नान कर सकें या अपने पैर और हाथ धो सकें, जिन्हें अतिक्रमण के रूप में दावा नहीं किया जा सकता है।