जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में स्थित ‘कश्मीर लॉ कॉलेज (Kashmir Law College)’ ने पाकिस्तान का समर्थन करने वाले अपने प्रिंसिपल शेख शौकत (Sheikh Showkat) को बर्खास्त कर दिया है। कॉलेज प्रबंधन ने शौकत की जगह नई नियुक्ति के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है। ‘द न्यू इंडियन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, शौकत हमेशा से पाकिस्तान का समर्थन करता रहा है। उसने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों और कश्मीर के अलगाववादी संगठनों का समर्थन करते हुए उनकी हौसला अफजाई की है।
शौकत वर्ष 2016 में उस वक्त चर्चा में आया, जब उसने अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी, अरुंधति रॉय, प्रो. एसएआर गिलानी और अन्य लोगों के साथ ‘आजादी: द ओनली वे’ कन्वेशन की अध्यक्षता की थी। दिल्ली में ‘प्रेस क्लब ऑफ इंडिया’ में आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेने के बाद शौकत पर भारत विरोधी भाषण देने के लिए देशद्रोह का आरोप लगाया गया था। दिल्ली पुलिस ने इस कन्वेशन, जिसमें भारत विरोधी नारे लगाए थे – उसका आयोजन करने के लिए वक्ताओं के खिलाफ धारा 124 ए (देशद्रोह), 120 बी (आपराधिक साजिश) और 149 (गैरकानूनी सभा) के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी।
रिपोर्टों के अनुसार, कॉलेज प्रशासन ने शौकत की संदिग्ध गतिविधियों का पता लगाने के लिए एक गुप्त जाँच शुरू की थी। कॉलेज को उस पर संदेह था कि उसने (शौकत) घाटी में सक्रिय अलगाववादियों और आतंकवादी नेटवर्क के साथ अंडरकवर संबंध बनाए हुए है। शौकत को एक मोहरे के रूप में भारत के खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा था। उसे अलगाववादियों और आतंकवादी द्वारा जम्मू-कश्मीर को लेकर जहर उगलने और झूठे भाषण देने के लिए तैयार किया गया था।
भारत सरकार के पैसों पर पलने वाला शेख शौकत अपने ही देश को खोखला कर रहा था। कॉलेज के प्रिंसिपल के तौर पर उसे वेतन के रूप में लगभग 5.1 करोड़ रुपए और अतिरिक्त भत्ते के रूप में 3.3 करोड़ रुपए मिलते थे। इसके अलावा अब उसे हर महीने 1 लाख रुपए से ज्यादा की पेंशन मिलती है। एक सार्वजनिक प्राधिकरण जिसकी पहचान अभी तक गुप्त रखी गई है, उसने शौकत के खिलाफ उसके आतंकी संबंधों को लेकर पेंशन संबंधी कानूनों के प्रासंगिक प्रावधानों को लागू करने के लिए जाँच की है।
पीएम मोदी के खिलाफ शेख की बेहुदा टिप्पणी
वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री की कुर्सी पर काबिज होने के बाद नरेंद्र मोदी ने श्रीनगर का दौरा किया था। उस वक्त शौकत ने अपने एक लेख में लिखा था, “कई दशकों के बाद, मैं एक भारतीय प्रधानमंत्री के आगमन पर एयरपोर्ट रोड पर खड़ा था। मैं वहाँ प्रधानमंत्री का स्वागत करने के लिए नहीं, बल्कि एक नौकर को काम पर रखने के लिए उसे यहाँ लेने आया हुआ था, ताकि मैं अपने किचन गार्डन में उस नौकर से काम करवा सकूँ। एक बार जब मैं एक बिहारी मजदूर को अपने घर पर काम कराने के लिए ले जा रहा था, तो घटनास्थल पर मौजूद सीआरपीएफ के जवानों ने उसे मेरे साथ जाने की अनुमति नहीं दी।
उसी लेख में उन्होंने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी की रैली में शामिल होने के लिए जम्मू-कश्मीर में प्रवासी मजदूरों को जबरन बस में बैठाया गया। उन्होंने लिखा, “स्थानीय लोगों के आक्रोश को देखते हुए मजबूरी में मोदी की रैली में भीड़ दिखाने के लिए प्रवासी मजदूरों को शामिल किया गया।”
बता दें कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने घाटी में अलगाववादी और आतंकी संगठनों से संबंध होने की जानकारी मिलते ही विभिन्न विभागों के 5 सरकारी अधिकारियों को बर्खास्त करने के कुछ दिनों बाद ही अलगाववादी शेख शौकत को बर्खास्त किया था।