मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) ने तमिलनाडु के हिंदू संगठन इंदु मक्कल काची-तमिझगम (IMKT) को 29 जनवरी 2023 को आयोजित होने वाली राज्यस्तरीय सम्मेलन की इजाजत दे दी है। कोर्ट के फैसले के बाद प्रशासन द्वारा रोका जा रहा सम्मेलन तय समय पर आयोजित होगा। कोर्ट ने कहा कि धार्मिक सभाओं के आयोजन पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता।
हिंदू संगठन आईएमकेटी ने आयोजन के लिए स्थानीय पुलिस से अनुमति माँगी थी। हालाँकि, पुलिस ने कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए कार्यक्रम की इजाजत नहीं दी। कुड्डालोर पुलिस ने तमिलनाडु सरकार के एक अप्रैल 1986 के सरकारी आदेश का भी हवाला दिया, जिसमें अन्य धार्मिक समूह की बहुलता वाले क्षेत्रों से धार्मिक जुलूस को ले जाने पर प्रतिबंध लगाया गया है।
पुलिस द्वारा इनकार करने के बाद संगठन के लोगों ने हाईकोर्ट का रुख किया। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी चंद्रशेखरन ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25 के तहत सभी को धार्मिक आयोजनों की अनुमति है। राज्य धार्मिक आयोजनों पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगा सकता। न्यायाधीश ने कुछ शर्तों के साथ सम्मेलन की अनुमति दे दी।
“Total Ban For Conduct Of Religious Meetings Not Possible”: Madras High Court Allows Hindu Outfit’s Conference @UpasanaSajeev https://t.co/LK8BTvZINI
— Live Law (@LiveLawIndia) January 28, 2023
अदालत ने इंदु मक्कल काची-तमिझगम को 29 जनवरी 2023 के दिन दोपहर 3.00 बजे से रात 10.00 बजे तक के बीच सम्मेलन की अनुमति दी। कोर्ट ने संगठन को इस बात का ध्यान रखने की हिदायत दी कि कार्यक्रम के दौरान कोई वक्ता किसी धर्म या जाति की भावनाओं को ठेस न पहुँचाए। IMKT को कोविड के संभावित प्रसार और भीड़ की वजह से ट्रैफिक व्यवस्था बिगड़ने का हवाला देते हुए जुलूस निकालने की अनुमति नहीं दी गई है।
इसके पहले कोर्ट में तमिलनाडु सरकार की तरफ से दलील दी गई थी कि प्रस्तावित सम्मेलन में हिंदू धर्म के साधु-संत, धर्मगुरु और धार्मिक संगठन के सदस्य शामिल होंगे। पूर्वाग्रह से ग्रसित सरकार ने कहा था कि इस बात की पूरी सम्भावना है कि हिन्दू धर्म की बात करते हुए वक्ता अन्य धर्मों के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करेंगे। इससे कानून व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
बार ऐंड बेंच के अनुसार, हिंदू संगठन के सदस्यों ने एक हलफनामा देते हुए कहा कि कार्यक्रम की वजह से किसी तरह के कानून व्यवस्था की समस्या उत्पन्न नहीं होगी। उच्च न्यायालय ने दोनों तरफ की दलील सुनने के बाद हिंदू संगठन के पक्ष में अपना निर्णय सुनाया और कार्यक्रम की इजाजत दे दी। हालाँकि, उच्च न्यायालय ने जुलूस निकालने की अनुमति नहीं दी।