केरल के गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान ने अल्पसंख्यक-बहुसंख्यक को अंग्रेजों की देन बताया है। राज्यपाल नियुक्त होने के बाद एशियानेट न्यूज़ को दिए गए साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि उनके मुताबिक एक लोकतान्त्रिक देश और गणतांत्रिक समाज में केवल एक तरह के “अल्पसंख्यक-बहुसंख्यक” हैं- जो क़ानून को माने, वह बहुसंख्यक है और जो कानून के खिलाफ है, वह अल्पसंख्यक है। इस इंटरव्यू की यह क्लिप सोशल मीडिया के कई हलकों में चर्चित हो रही है।
Just brilliant.
— Sankrant Sanu सानु (@sankrant) September 7, 2019
The cancer of “majority-minority” was inculcated in the Indian mind by the British “communal award” for divide and rule.
It then became the favorite obsession of Indian “liberals.” For the same purpose.
Get rid of all religious discrimination by the state. https://t.co/1ElOdvQTcZ
आरिफ़ मोहम्मद खान ने कहा कि जब तक अंग्रेज़ों की दी हुई महज़बी अल्पसंख्यक-मज़हबी बहुसंख्यक की शब्दावली जीवित रखेंगे, तब तक “मुस्लमानों में मोदी का डर” जैसी भ्रांतियाँ बनी रहेंगी। उन्होंने उपनिषदों को उद्धृत करते हुए कहा कि उपनिषदों में बताया गया है कि “द्वय”, पराएपन की भावना डर पैदा करती है। साथ ही कुरान में से मौलाना अली की एक आयत के ज़रिए बताया कि जिससे इंसान अनभिज्ञ होता है, उससे डर पैदा होता है। अपने राज्यपाल के कार्यकाल के बारे में उन्होंने कहा कि वे लोगों के साथ अपना विश्वास, कि अपने अंदर victimhood की प्रवृत्ति पैदा करना पाप है, गुनाह है, केरल के लोगों के साथ बाँटेंगे।