ईसाइयों के पॉप फ्रांसिस ने पादरियों के लिए बनाए गए नियम ‘सेक्स पर प्रतिबंध’ को अस्थाई बताया है। उनके मुताबिक चर्च के पादरियों को शादी करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। पोप ने कहा कि पादरियों को सेक्स करने से रोकने वाले चर्च के पुराने हो चले नियमों की समीक्षा की जाएगी। 86 साल के पोप फ्रांसिस का यह बयान चर्च में होने वाली बाल शोषण जैसी घटनाओं पर पादरियों की हो रही आलोचना के बाद आया है। उन्होंने चर्चों से भी नियमों में बदलाव की चर्चा का स्वागत करने की अपील की है।
डेलीमेल के अनुसार पोप फ्रांसिस ने यह बयान अर्जेन्टीना के अख़बार इंफोबे से बातचीत के दौरान दिया। पत्रकार ने पोप से जर्मनी के कैथोलिक चर्च द्वारा समलैंगिक विवाहों को मिल रही मान्यताओं और चर्चों में हो रही बच्चों के यौन शोषण की घटनाओं के बारे में सवाल किया था। पोप के अनुसार 11वीं सदी में पादरियों के लिए बनाए गए नियम अनंत काल के लिए नहीं बने थे। उन नियमों को पसंद करने या न करना पोप ने लोगों की अपनी इच्छा पर छोड़ दिया।
इसी बातचीत में उन्होंने सेक्स पर प्रतिबंध को एक अनुशासन बताया। पोप फ्रांसिस के मुताबिक 11वीं सदी में रोमन कैथोलिक चर्चों ने जो भी नियम चर्च के पादरियों के लिए बनाए थे वो सब उस समय की आर्थिक जरूरतों को ध्यान में रख कर बने थे। उनका मानना था कि बिना बाल-बच्चों का पादरी चर्च की भलाई पर अधिक ध्यान देगा। 11 वीं शताब्दी में रोमन कैथोलिक चर्च द्वारा ‘अविवाहित जीवन’ को केवल वित्तीय कारणों से एक आवश्यकता के रूप में पेश किया गया था, क्योंकि बच्चों के बिना पादरी चर्च को धन छोड़ने की अधिक संभावना रखते थे। उन्होंने आगे बताया कि पूर्वी चर्चों में अधिकतर पादरी विवाहित हैं। पोप के अनुसार दीक्षा से पहले भी विवाहित या कुँवारा रहने का विकल्प दिया जाता है।
तलाक के बढ़ रहे मामलों पर भी पोप फ्रांसिस ने अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि ऐसा युवाओं द्वारा जल्दबाजी में शादी कर लेने वाले निर्णय के चलते होता है। पोप फ्रांसिस का यह बयान उनके खुद के साल 2019 में दिए गए बयान का विरोधाभास है। तब पोप ने अविवाहित जीवन को एक उपहार बताते हुए चर्च के पादरियों को इसका पालन करने की नसीहत दी थी।