प्रधानमन्त्री मोदी जी ने अपने संबोधन में कहा था- ‘वयं राष्ट्रे जागृयाम’ अर्थात् इस राष्ट्र यानी देश के हित में हम सब आलस्य और प्रमाद को छोड़कर सजग बनें।
एक ओर विधिपूर्वक किए गए सभी धार्मिक अनुष्ठान यानी मजहबी इमाल और दूसरी तरफ रोग पीड़ित प्राणियों के प्राणों की रक्षा का कार्य, ये दोनों कर्म समान रूप से पुण्य देने वाले हैं। यानी इस समय डॉक्टर, सुरक्षाकर्मी, सफाईकर्मी जो कार्य कर रहे हैं वो किसी धार्मिक अनुष्ठान से कम नहीं है। इसलिए धर्म के नाम पर धर्म के कार्य में बाधा डालने का अधार्मिक काम करना बंद करें।
प्रार्थना पुरुषार्थ का स्थगन नहीं है और यही वजह है कि प्रार्थना में कुछ भी अवैज्ञानिक नहीं है। Covid-19 को रोकने के सभी प्रयास हमारी शुभकामनाओं से बल पाएँगे और हमें निर्धारित निर्देशों का पालन करने की प्रेरणा देंगे। दवा हमारे शरीर की और दुआ हमारे मन की इम्यूनिटी को बढ़ाती है।
संभलिए, मान जाइए, घर पर रह कर जंग लड़ने के इस आसान से अवसर को गँवा कर बड़ी जंग मत हारिए। सारा विश्व इस साझी समस्या का शिकार है और इस रूप में ही सही, सम्पूर्ण मानवता अब एक परिवार की तरह नज़र आ रही है। यानी मजबूरियाँ हमें ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ तक ले आई हैं, अब हमें अपने प्रयासों से इसे ‘सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया:’ की ओर ले जाना है।