सांस्कृतिक जगत की महान उपलब्धि है ओंकारेश्वर का एकात्म धाम, ओंकार पर्वत पर आदि शंकराचार्य की विराट प्रतिमा ने लिया आकार
आदि शंकराचार्य ने संन्यास की जिस नई चेतना से समाज का दिशा-दर्शन किया, वह सामाजिक जीवन के सांस्कृतिक प्रवाह को अमर और अक्षय बनाने का नया विधान रचती है।