Thursday, November 21, 2024
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MANISH SHRIVASTAVA

लिखता रहता हूँ

वो देखो थानेदार साहब, क्रांतिकारी लोग! जब साथियों को बचाने के लिए भगत सिंह ने लगाया दिमाग, मेले में लोगों को ‘जगाने’ पहुँचे थे...

भगत सिंह के पास अब कोई चारा नहीं था। उन्होंने जेब से पिस्तौल निकालकर जैसे ही हवा में दो-तीन फायर किए और पुलिसवाले जान बचाकर वहाँ से भाग लिए।

झाँसी को क्रांतिकारियों की शरणस्थली बनाने वाले ‘मास्टर’, जो चुका रहे थे ‘रानी सा’ का कर्ज: घर के बाहर पुलिस, फिर भी आज़ाद को...

मास्टर जी जी की दिलेरी का यह हाल था कि वो खाली समय में अपने दरवाज़े पर नियुक्त पुलिस वाले से पंजा लड़ा कर अपना वक्त गुज़ारा करते थे। झाँसी में उनके यहाँ ही रुके थे चंद्रशेखर आज़ाद।

दम्बूक-दम्बूक… जब एक छोटे से बच्चे ने अटका दी थी बड़े-बड़े क्रांतिकारियों की साँसें, चंद्रशेखर आज़ाद ने ऐसे होशियारी से सँभाला मामला

बच्चे ने इसके बाद सभी पर अपनी 'दम्बूक' से निशाना साधा और सभी ज़मीन पर गिरने लगे। आज़ाद गोदी में लिए बच्चे को बाहर आ गए और जीजाजी के हवाले कर दिया।

‘इतिहास का प्रचार-प्रसार भारत के उत्थान का सबसे बड़ा उपाय’: गलत से समझौते के खिलाफ थे गणेश शंकर विद्यार्थी, भाले-लाठी से पीट-पीट कर भीड़...

गणेश शंकर विद्यार्थी का कहना था कि मृत आत्माओं में जीवन डालना और सूखे फूल को हरा-भरा बनाना या तो अमृत से (यदि अमृत जैसा कुछ है) या इतिहास से ही प्राप्त किया जा सकता है।

और इस तरह एक बार फिर काल के गाल को प्राप्त हुआ अश्वस्थामा… चंद्रशेखर आज़ाद की मूँछ वाली तस्वीर के पीछे की कहानी, अज्ञातवास...

"क्या बात कर दी मास्टर जी आपने, जान से ज़्यादा भरोसा है आप पर।" - चंद्रशेखर आज़ाद ने कहा। आखिरकार मास्टर जी ने आज़ाद को मना ही लिया तस्वीर के लिए।

भारत में विदेशी वस्तुओं का दहन करने वाले पहले नेता थे वीर सावरकर, तब गाँधी ने भी किया था विरोध: छत्रपति शिवाजी महाराज की...

"मैं उन अद्भुत माताओं के नाम पर शपथ लेता हूँ जिनके मासूम बच्चों को अत्याचारी अंग्रेज़ों ने ग़ुलाम बना कर प्रताड़ित किया है और मार दिया है।”

18 साल की उम्र में फाँसी पर चढ़ने वाले क्रांतिकारी: सावरकर भाइयों से प्रेरित हुए तो धधकी आज़ादी वाली आग, छद्म ‘वैदिक’ अंग्रेज कलक्टर...

पता लगता है कि नासिक निवासीगण, विजयानंद थिएटर में जैक्सन के लिए विदाई समारोह का आयोजन करने वाले हैं। इसके बाद अनंत लक्ष्मण कन्हेरे उसे मार गिराने की जिम्मेदारी लेते हैं।

नेहरू की नीतियों के कारण Pak में जाने वाला था असम, लेकिन राह में खड़ा हो गया ये नेता: ‘मुस्लिम लीग’ ने रची थी...

नेताजी सुभाष बोस ने कॉन्ग्रेस द्वारा सरकार बनाने का समर्थन किया, किन्तु उनका विरोध करने के लिए इस बार सामने थे - मौलाना आज़ाद। बोस को सरदार पटेल का साथ मिला।