प्रमिला करीब दो दशक से पत्रकारिता से जुड़ी हैं। निर्भया कांड से लेकर केदारनाथ त्रासदी तक को कवर कर चुकी हैं। मातृश्री, यूथ आइकन समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित की जा चुकी हैं।
'लड़की हूँ-लड़ सकती हूँ', के लिए बैकअप चाहिए होता है। बिना बैकअप लड़कियाँ बस लड़ने के लिए कूद नहीं सकतीं। बस वही बैकअप जहाँ मिलता दिख रहा है, वो उनको चुन रही हैं।